शनिवार, 5 जुलाई 2008

व्हीस्की का शौक, नशा ही नहीं स्टेटस भी

संजय टुटेजा

राजधानी के मध्यम वर्ग में बढ़ता व्हीस्की का शौक

  • वर्ष में 70 लाख क्रेट व्हीस्की पीकर झूमे दिल्ली वासी
  • जुलाई और नवंबर माह में हुई सर्वाधिक बिक्री
  • इक्नाॅमी रेंज की व्हीस्की है पहली पसंद
  • रम, जिन, स्काॅच, वोडका और ब्रांडी फीके हैं व्हीस्की के सामने
  • डायरेक्टर ब्लैक, रायल स्टेग, बलंडर प्राइड, टीचर और ब्लैक डाॅग के प्रति है दीवानगी
  • औसतन 250 रुपये प्रति बोतल कीमत की व्हीस्की बिकती है सर्वाधिक
  • जेब देखकर ब्रांड चुनते हैं व्हीस्की के शौकीन
  • सर्दी हो या गर्मी मौसम का मोहताज नहीं है व्हीस्की का नशा
    महंगी और आयातित व्हीस्की से दस गुना अधिक बिकती है देसी ब्रांड
  • 42.8 प्रतिशत तक होता है व्हीस्की में एल्कोहल

चीपर रेंज के ब्रांड
  • कीमत ब्रांड100 रुपये: 24 क्रेट, स्टड, हीरो न.1सर्वाधिक पंसद: 24 क्रेट ब्रांड

इक्नाॅमी रेंज के ब्रांड
  • 140-150 रुपये ः बोनी, बिन्नी,एवरीडे गोल्ड सर्वाधिक पसंद: बिन्नी
  • 180 रुपये ः बैग पाइपर, एरेस्ट्रोक्रेट, डायरेक्टर, 8 पीएम सर्वाधिक पसंद : डायरेक्टर ब्रांड
  • 200 से 250 रुपये: डायरेक्टर स्पेशल ब्लैक,एरेस्ट्रोक्रेट प्रीमियम (एसीपी), मैकडाॅल, व्हाइट चारों ब्रांड हैं शौकीनों की पसंद
  • 250 से 300 रुपये: रेड नाइट, मास्ट स्ट्रोक, रायल स्टैग, रोयल मिस्ट सर्वाधिक पसंद : रायल स्टैग
  • 400 से 500 रुपये: रायल चेेलेंज (आरसी), सिग्नेचर, बलंडर प्राइडसर्वाधिक पसंद ः बलंडर प्राइड, रायल चेलेंज
  • 500 से 600 रुपये : एंटी क्यूटी, रेयर, एंटी क्यूटी ब्लू, हैग,
  • जेब के हिसाब से करते हैं चुनाव
  • 800 से 900 रुपये: वेट 69, ओल्ड स्मगलर,
  • 900 से 1000 रुपये: टीचर, हडंर्ड पाइपर, ब्लैक एण्ड व्हाइट,, ब्लैक डाॅग 8 यो, ग्लेन ड्रमोंड,सर्वाधिक पसंद : ग्लेन ड्रमोंड
  • 1500 रुपये: टीचर्स 50

आयातित ब्रांड
  • 3960 ः जाॅनी वाकर गोल्डन लेबल
  • 3500 रुपये : ग्लेन फाॅरक्लैस इसमें होती है एल्कोहल की मात्रा अधिक
  • 2800 रुपये डलमोर
  • 2700 रुपये जूरा, व्हाइट एण्ड मैके
  • 2290 जानीवाकर ब्लैक लेबल
  • 1250 रुपये फेमस ग्राॅस
  • 1220 रुपये जानीवाकर रेड लेबल

    नई दिल्ली 9 मई।
इसे दिन भर की थकान मिटाने का बहाना कहें या फिर जमाने का चढ़ता रंग, व्हीस्की का जादू हर वर्ग में सर चढ़ कर बोल रहा है, अब इस रंग में अपनी शाम को रंगीन बनाना आम बात हो गई है, जैसी जेब वैसा ब्रांड, जाम से जाम टकराने के लिए व्हीस्की के शौकीन अब डांस पार्टियों के मोहताज नहीं, न बार की जरूरत और न क्लब की चाहत, शाम होते ही खुदबखुद महफिल सज जाती है। इन महफिलों की शान बन गई व्हीस्की अब शौकीनों के लिए लत या शौक ही नहीं बल्कि स्टेटस सिंबल भी है। लत और स्टेटस के नशे में पिछले एक वर्ष में ही लगभग 70 लाख क्रेट व्हीस्की की बोतलें महफिलों और पार्टियों की शान बन गई।
व्हीस्की का नशा, अब केवल लत या शौक ही नहीं बल्कि स्टेटस बन रहा है। केवल डांस पार्टी, बर्थ डे पार्टी, मैरिज पार्टी में झूमने वाली व्हीस्की की बोतलें अब बार या दुकानों से निकल कर मध्यम वर्गीय परिवारों के फ्रिज में पहुंच रही हैं। कोई थकान मिटाने के बहाने व्हीस्की की बोतल खोलता है तो कोई पार्टियों में थिरकने की चाहत लेकर इस नशे में डूबता है। एक बड़ा वर्ग एैसा भी है जो अपनी मित्रा मंडली में अपना स्टेटस बनाने लिए लिए व्हीस्की का सेवन अपनी शान समझता है। आबकारी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि व्हीस्की की मांग पूरा वर्ष रहती है। सर्दी हो या गर्मी या फिर सावन की बहार, व्हीस्की की मांग हर मौसम में रहती है। पिछले वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि जहां भीषण गर्मी में जुलाई माह मे इकनाॅमी रेंज की 250 रुपये कीमत वाली व्हीस्की के 314668 क्रेट बिके तथा सर्दी के मौसम में नवंबर माह में भी 330344 क्रेट बिके। लगभग यही अनुपात इससे महंगी व्हीस्की का भी है, इससे पता चलता है कि व्हीस्की की मांग पर मौसम का कोई खास असर नहीं होता। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष में सबसे ज्यादा बिक्री इक्नाॅमी रेंज की 250 रुपये की कीमत वाली व्हीस्की की हुई इस वर्ग के लगभग 34 लाख क्रेट बिके जबकि मीडियम कीमत में 250 से 400 रुपये वाली व्हीस्की के लगभग 4 लाख क्रेट बिके। प्रीमियम वर्ग में 400 से 600 रुपये वाली व्हीस्की के लगभग पौने दो लाख क्रेट जबकि 600 रुपये से अधिक स्काॅच ब्रांड के मात्रा लगभग 40 हजार क्रेट बिके। इन आंकड़ों से पता चलता है कि मध्यम वर्ग में व्हीस्की का जुनून ज्यादा है। ब्रांडी के लगभग 10 हजार क्रेट, जिन के लगभग 14 हजार क्रेट तथा रम के लगभग 50 हजार क्रेट बिके।
व्हीस्की की ट्रेडिंग करने वाली एक कम्पनी के सेल्स एक्जक्यूटिव तरूण लांबा बताते हैं कि व्हीस्की के शोकीन लोगों में डायरेक्टर ब्लैक, रायल स्टेग, बलंडर प्राइड, टीचर व ब्लैक डाॅग का आकर्षण ज्यादा है। वह बताते हैं कि अधिेकतर ग्राहक 250 रुपये तक की कीमत की शराब ही पसंद करते हैं। व्हीस्की के प्रति इस जुनून को भुनाने के लिए अब बड़ी कंपनियां अंतराष्ट्रीय सितारों के जरिए अपने ब्रांड का प्रचार कर रही हैं।
इसी हफ्ते प्रमुख ब्रांड ब्लेक डाॅग 8 यो ने अपने प्रचार के लिए राजधानी में अंतराष्ट्रीय गायक स्टीफन कबाकोस को बुलाकर उनका शो आयोजित किया। उनके इस शो के बाद अन्य कंपनियां भी अपने ब्रांड के प्रचार की रणनीति बनाने में लगी हैं। उच्च मध्यम वर्ग में व्हीस्की के आकर्षण को देखते हुए अब कंपनियां भी इस वर्ग को लुभाने का प्रयास कर रही हैं।

शरीर की भूख में पति पत्नी के रिश्ते हुए तार तार


शाम को रंगीन करने के लिए होता वाइफ स्वेपिंग का खेल

  • पत्नी की अदला बदली के इस खेल का बढ़ रहा है चलन
  • निरंतर बढ़ रहे हैं वाइफ स्वेपिंग क्लब
  • इंटरनेट है वाइफ स्वेपिंग का बड़ा बाजार
  • होटल, फार्म हाऊस व गेस्ट हाऊस में होती हैं पार्टियां
  • उच्च धनाड्य वर्ग में स्टेटस सिम्बल है वाइफ स्वेपिंग
  • मल्टी नेशनल कंपनियों के कर्मचारी, इंजीनियर, डाक्टर हैं इस खेल के शौकीन
  • अब महिलाएं भी स्वेच्छा से शामिल होने लगी हैं इस खेल में
  • रिश्तो की प्राथमिकता हुई खत्मनैतिकता का हो रहा है ह्रास
  • टूट रहे हैं सामाजिक नियम,
  • मनोचिकित्सकों की राय में ये है मानसिक रोग
    इस खेल में नहीं होता पुलिस या छापे का डर

क्लब में शामिल होने के लिए हैं ये जरूरी शर्ते

  • क्लब का सदस्य शादीशुदा होना जरूरी
  • सदस्यता से पूर्व पति व पत्नी दोनों का एचआईवी टेस्ट है जरूरी
  • आयु 20 से 30 वर्ष के बीच हो
  • उच्च वर्ग से होना चाहिए दम्पत्ति
  • पहली मुलाकात में नहीं होगी अदला बदली
  • अदला बदली से पहले होती हैं दो तीन साधारण मुलाकातें
  • बर्थ कण्ट्रोल की जिम्मेदारी होगी महिला पर


इस खेल में हैं अनेक खतरे

  • साथी की पत्नी से बन जाते हैं भावनात्मक संबध
  • पति पत्नी के बीच बढ़ने लगती है दूरियां
  • यौन रोग का रहता है खतरा
  • परिवार में रुचि हो जाती है कम
  • बच्चों की नजर में सम्मान होता है कम

संजय टुटेजा
नई दिल्ली 22 मई।
उनके लिए न सात फेरों की कोई मर्यादा है और न ही सामाजिक नियमों व नैतिकता का कोई डर। बस यौन पिपासा और भोजन की तरह रोजाना नये नये स्वाद चखने की प्रवृति में होने लगा है पत्नियों की ही अदला बदली का खेल। इस खेल में अब पत्नियां भी स्वेच्छा से शामिल होने लगी है और अपने पतियों के साथ साथ स्वयं भी अदला बदली का मजा ले रही हैं। उच्च धनाड्य वर्ग में वाइफ स्वेपिंग नाम से प्रचलित इस खेल के शौकीन लोगों में बड़े चिकित्सक और इंजीनियर भी शामिल हैं और मल्टी नेशनल कंपनियों में लाखों का वेतन पाने वाले मैनेजर भी। इंटरनेट इस खेल के शौकीन लोगों को आपस में मिलाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है।
वाइफ स्वेपिंग यानी पत्नियों की अदला बदली को समाज के सभ्य नागरिक भले ही हेय दृष्टि से देखें लेकिन उच्च धनाढ्य लोगों का एक बड़ा वर्ग इसे जिंदगी को जीने का अपना ढंग मानता है और इस खेल में कुछ भी गलत नहीं देखता। अब तो वाइफ स्वेपिंग के लिए रोजाना पार्टियां और मौज मस्ती आम बात हो गई है। एक दशक पूर्व तक भारत में पत्नियों की अदला बदली के बारे में कल्पना भी नहीं की जाती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षो में ही यह खेल केवल महानगरों में ही नहंीं बल्कि छोटे शहरों में भी खेला जाने लगा है।
राजधानी और आस पास के नगरों में इस वर्ग के अनेक एैसे क्लब हैं जो नियमित रूप से प्रति सप्ताह या प्रति पखवाड़े मिलकर पार्टियां आयोजित करते हैं और पत्नियों की अदला बदली कर अपनी शाम को रंगीन करते हैं। इस तरह की पार्टियांे में शराब और संगीत के अलावा अशलील चुटकलों का भी दौर चलता है और फिर लाटरी निकालकर पत्नियों का चुनाव किया जाता है। कुछ पार्टियों में पत्नियों का चुनाव करने के लिए कार की चाबियों को एक बाउल में डाल दिया जाता है और फिर आंखे बंद करके सभी बारी बारी से कार की चाबियां उठाते हैं, जिसके हिस्से में जिस सदस्य की कार की चाबी आती है, वह उसी सदस्य की पत्नी के साथ रात बिताता है। इसके अलावा पत्नियों को चुनने के कुछ अन्य तरीके भी अपनाये जाते हैं। इस तरह की पार्टियां या तो फार्म हाऊसों या फिर बड़े होटलों या गैस्ट हाऊसों में आयोजित की जाती हैं। कहीं से कोई शिकायत न मिलने के कारण पुलिस भी कोई कार्रवाई करने में असमर्थ होती है।
पुरुषों की यौन पिपासा से शुरु हुए खेल में अब उनकी पत्नियां भी रुचि लेने लगी हैं। दक्षिणी दिल्ली निवासी एक प्रमुख चिकित्सक की पत्नी नीतू (परिवर्तित नाम) बताती है कि शादी के तीन माह बाद उसके पति उसे इस तरह की एक पार्टी में ले गये। पार्टी के बाद रात्रि में उसके कमरे में जब पति के स्थान पर पति का दोस्त आया तो वह हैरान रह गई, बाद में उसी दोस्त से उसे पता चला कि उसका पति उस दोस्त की पत्नी के साथ दूसरे कमरे में है, इसका विश्वास दिलाने के लिए दोस्त ने अपने मोबाइल में अपनी पत्नी और उसके पति का एक फोटो भी मस्ती करते हुए दिखाया। नीतू के अनुसार जब पति को ही बुरा नहीं लगता तो फिर वह क्या कर सकती है, इसलिए अब वह भी इन पार्टियों का मजा लेती है। समाजशास्त्राी व मनोचिकित्सक इसे मानसिक रोग तथा रिश्तों की गंभीरता में आ रही गिरावट का नतीजा मानते हैं।
प्रमुख मनोवैज्ञानी व समाजशास्त्राी डा.अरुणा ब्रुटा के अनुसार समाज की प्रवृति बदल रही है और सभी रिश्ते अब अपने फायदे के लिए बनाये जा रहे हैं, न तो रिश्तो की कोई गंभीरता है और न ही मर्यादा है। सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जो मूल जरूरत है वही समाप्त हो रही है नतीजतन सामाजिक नियम टूट रहे हैं और इन्सान जानवर बनता जा रहा है। डा.ब्रूटा के अनुसार जो काम पहले चोरी छिपे होते थे वह खुले आम होने लगे है जिसके नतीजे निश्चित रुप से खतरनाक होंगे। वह कहती हैं कि यह एक प्रकार का मनोरोग है जिसमें व्यक्ति का अपनी इन्द्रियों पर नियंत्राण समाप्त हो जाता है।

शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

हुरियत के विरोध को उचित नहीं मानते मुस्लिम बुद्धिजीवी व उलेमा

  • गलत मानते हैं जमीन को वापिस लेना
  • सभी धर्मो व धार्मिक मान्यताओं का आदर हो
  • आजाद सरकार ने दिया साम्प्रदायिक ताकतो ंको मुद्दा

संजय टुटेजा
नई दिल्ली 4 जुलाई।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा दी गई जमीन का भले ही हुरियत और वहां के अन्य संगठनों ने विरोध किया हो लेकिन मुस्लिम उलेमा और बुद्धिजीवी इस विरोध को उचित नहीं मानते। एक बार जमीन आवंटित कर वापस लेने को वह सरकार का गलत कदम बताते हैं। उनका कहना है कि जम्मू कश्मीर सरकार ने जमीन वापिस लेकर साम्प्रदायिक ताकतो को राजनीति करने का मौका दे दिया है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा जमीन आवंटित किये जाने से जो आग कश्मीर की वादियों में अलगाववादी ताकतों व हुरियत आदि संगठनों द्वारा लगाई जा रही थी वही आग अब जमीन वापस लिए जाने के बाद देश भर में फैलती दिखाई दे रही है। विभिन्न मुस्लिम उलेमा व बुद्धिजीवी इसके लिए जम्मू कश्मीर सरकार को तो दोषी मानते ही हैं साथ ही केन्द्र सरकार के रवैये से भी नाखुश हैं। उनका कहना है कि तीर्थ यात्रियों जमीन उपलब्ध कराने में कोई हर्ज नहीं है और इस जमीन को लेकर किया गया विरोध किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। जामिया मिल्लिया में इस्लामिक स्टडीज के विभागाध्यक्ष प्रो.अख्तर उल वासे का कहना है कि इस तरह के मसलों पर बवाल नहीं होना चाहिए। यदि कोई सुविधा धर्म स्थलों या तीर्थ यात्रियों को दी जाती है तो उसका विरोध नहीं होना चाहिए सभी की धार्मिक भावनाओं का आदर करते हुए यह कार्य सर्वसम्मति से किए जाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि धर्म को राजनीति से परे रखना चाहिए तथा धर्मगुरुओं को बैठाकर इस तरह के मसलांे का समाधान निकाला जाना चाहिए ताकि धर्म उन्माद का जरिया न बन सके। कुछ बुद्धिजीवियों ने जहां बेबाकी से अपनी राय व्यक्त की वही कुछ बुद्धिजीवियों व उलेमाओं ने अपना नाम न छापने की शर्त पर अपनी राय दी। फतेहपुरी शाही मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम का कहना है कि यह सरकार व श्रद्धालुओं का मामला है और यात्रियों को हर हाल में सुविधा मिलनी ही चाहिए। प्रत्येक धर्मस्थल व धर्म से जुड़े लोगों की बात सुनी जाये और इस तरह के मुद्दों पर साम्प्रदायिकता फैलाना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि एक बार अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने का फैसला ले लिया गया था तो फिर जमीन वापिस नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एैसे मामलों पर राजनीति करना शर्मनाक है। जमीअतुल-उलेमा-ए-हिन्द के सचिव मौलाना अब्दुल हमीद नौमानी ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने जमीन वापस लेकर भाजपा व साम्प्रदायिक ताकतों को एक मुद्दा दे दिया है। उन्होंने इस पूरे मामले में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एस.के.सिन्हा की भूमिका को गलत बताया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने जमीन देने का विरोध किया वह भी देश में शांति व अमन नहीं चाहते। यह एक धार्मिक मामला है और धार्मिक भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। एक बार जमीन देकर वापस लेना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि तीर्थ यात्राी केवल तीर्थ यात्रा के लिए वहां जाते हैं उनका मकसद वहां स्थायी रूप से रहना नहीं है एैसे में जमीन देने का विरोध कतई नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले का समाधान करना चाहिए। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष कमाल फारूकी कहते हैं कि कश्मीर के हालात सुधर रहे थे एैसे में वहां की सरकार को कोई एैसा काम नहीं करना चाहिए था जिसे हालात बिगड़े। उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा के लिए अग जगह दे भी दी गई तो हुरियत व वहां के संगठनों को बवाल नहीं करना चाहिए था। अब अगर वापस ले ली गई है तो भी इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने का कि सभी का मकसद कश्मीर के हालात को सुधारना हो , इस तरह के मुद्दे पर राजनीति न हो।

मस्ती, उन्माद और ऊर्जा की चाह में बहकते कदम

राजधानी में प्रति वर्ष अनुमानित 500 करोड़ का होता है नशे का कारोबार
पब, रेव पार्टियां और डिस्को थिक हैं नशेड़ियों के अड्डे
दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है रेव पार्टियों का चलनसभी नशीली दवांए,
अर्धनग्न बालाएं और संगीत की धूने हैं रेव पार्टियों का आकर्षण
रेव पार्टियों में मनमोहन व्यंजनों की तरह परोसी जाती हैं नशीली दवाईयां
एक ही थाली में होती हैं सभी दवाईया, सभी चुनते हैं अपनी अपनी पसंद की दवा
पिछले कुछ वर्षो से बढ़ा है रेव पार्टियों का चलन
फार्म हाऊसों व गुप्त स्थानों पर होती हैं पार्टियां
बड़े अमीरजादों के लिये हैं ये पसंदीदा पार्टियां
नशे के सेवन पर न तो शर्मसार होते हैं न नशे का सेवन गलत मानते हैं इसके आदी
बड़े व्यवसायियों या फिर बड़े वेतन पाने वालों के लिए शौक और आदत है नशे का सेवन
नशीली दवाइयों का भारत है बड़ा बाजार
स्मगलिंग के लिए भी भारत है एक ट्रांजिट कैम्प
भारत से भी अनेक देशों को होती है स्मगलिंग
अधिकतर दवाओं की आपूर्ति होती है विदेशों से
स्मगलिंग के धंधे में नाइजीरियन नागरिकों की संख्या ज्यादा
इन नशीले पदार्थो की ज्यादा पड़ती है लत
हीरोइन, कोकीन, एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, कोडीन, आइस, एफड्राइन, मारीजुआना, हशीश,कैथामिन, चरस, नार्फेन, लुफ्रिजेसिक, एलएसडी एसिड, एमडीएमए,
बीपीओं में ज्यादा है चरस का चलन


एक नजर घातक नशीले पदार्थो पर
कोकीन: यह एक सफेद पाउडर जैसी होती है जो कोका के पेड़ से निकाला जाता है। कोकीन को कोक, कैंडी, आइस, ब्लो व सी नामों से भी जाना जाता है।
कीमत: 3 से 6 हजार रुपये प्रति ग्रामचरम सीमा: कोकीन का सेवन करने वाला इसके सेवन के बाद स्वयं को ऊर्जावान, आत्मविश्वासी महसूस करता है।
खतरा: कोकीन का ज्यादा सेवन करने से ह्रदय घात का खतरा रहता है, तथा धीरे धीरे डिप्रेशन के साथ साथ आत्महत्या की ओर कदम बढ़ने लगते हैं।

क्सटेसी: यह एक प्रकार का सेंथेटिक रसायन है जो फिनोलेथीलेमाइन नामक रसायन से बनता है। इसे एमडीएमए, एक्स,एक्सटीसी व आदम नाम से भी जाना जाता है।
कीमत: 300 से 500 रुपये प्रति ग्रामसेवन का तरीका: सिगरेट में डालकर धुम्रपान या इंजेक्शन
चरम सीमा: इसके सेवन से लगभग 5 से 6 घंटे तक सेवन करने वाले को नशा रहता है और वह स्वयं को अलग दुनिया में मस्त महसूस करता है।खतरा: इसके ज्यादा सेवन से यादाश्त कमजोर हो जाती है तथा दिमाग पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।

एसिड: यह एक प्रकार का लिक्विड नशीला पदार्थ है जिसे लाइसर्जिक एसिड कहा जाता हैऔर यह सीआईडी, ब्लोटर, शुगर क्यूब, एलएसडी नामों से भी जाना जाता है
कीमत: 150 रुपये से 200 रुपये प्रति खुराक
सेवन का तरीका: जीभ पर बूंदे डालकर या फिर किसी तरल पदार्थ के साथ
नशे में अनुभूति: एसिड का नशा एक घंटे में अपनी चरम स्थिति पर पहुंचता है और 5 से 6 घंटे तक बना रहता है। इस दौरान सेवन करने वाला उन्मादी होने के साथ साथ मस्ती अनुभव करता है।

स्पीड: यह एमफीटामाइन नामक केमिकल से बनती है तथा इसे मैथ, क्रेस्टल, क्रेन्क व ग्लास नाम से भी जाना जाता है।
कीमत: 5 से 10 रुपये प्रति गोलीसेवन का तरीका: यह अधिकतर गोली के रुप में ली जाती है, कुछ लोग इसका इंजेक्शन लगवाते हैं तथा कुछ गोली पीसकर धूम्रपान के जरिए इसका सेवन करते हैं।

क्या कहता है कानून
नशीली दवाओं के खिलाफ पुलिस की नारकोटिक शाखा तथा केन्द्र के नाकोटिक कंट्रोल ब्यूरो द्वारा समय समय पर अभियान चलाये जाते हैं लेकिन कानून में नशीली पदार्थो की तस्करी पर कोई बड़ी सजा न होने के कारण तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाता। नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकाट्रोपिक सबटेंसिस एक्ट के तहत कोकीन व अन्य मादक पदार्थो की तस्करी पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है लेकिन यह सजा मादक पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि मात्रा कम हो और निजी उपयोग के लिए हो तो इसमें एक वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
दिल्ली पुलिस की नारकोटिक शाखा द्वारा बरामद नशीले पदार्थ
वर्ष 2007हिरोइन 78 किलोकोकीन 220 ग्रामअफीम 83 किलोचरस 55 किलोगांजा 66 किलोनशीली गोलियां 7500नशीले इंजेक्शन 20000

मस्ती, उन्माद और ऊर्जा की चाह में बहकते कदम

संजय टुटेजा
नई दिल्ली, 28 मार्च।
मस्ती, उन्माद, आत्मविश्वास और ऊर्जा की चाह राजधानी के युवा वर्ग को एक एैसे रास्ते पर ले जा रही है जो रास्ता भले ही सुनहरा दिखाई दे रहा है लेकिन उसका अंतिम पड़ाव गहरा अंधकार है। इसे रोजमर्रा के झंझावतों से मुक्ति का साधन कहें या फिर रईसों का शोक, युवा वर्ग नशीले पदार्थो की गिरफ्त में फंस रहे हैं, स्थिति यह है कि अब पब और डिस्को थिक से एक कदम आगे बढ़ते हुए रईसजादों का एक बड़ा वर्ग ‘रेव पार्टियों’ में मस्ती ढूंढ रहा है, जहां नशीली दवांए, अर्धनग्न बालाएं और मदमस्त संगीत की धुनें रईस जादों को परी लोक का अहसास कराती हैं। राजधानी में अवैध तरीके से नशे का कारोबार कोई नया नहीं है लेकिन अब यह कारोबार ‘रेव पार्टियों’ के जरिए होने लगा है। फार्म हाऊसों या फिर गुप्त स्थानों पर होने वाली इन पार्टियों में नशे व मस्ती के शौकीन युवा वर्ग को मस्ती भी मिलती है और नशा भी मिलता है। यह पार्टियां इस धंधे में लगे माफियाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं और प्रत्येक प्रकार की नशीली दवा व नशीला पदार्थ इन पार्टियों में उपलब्ध होता है। इन पार्टियों में नशीली दवाएं परोसने का तरीका भी मोहक है। अर्धनग्न बालाएं हाथ में सजी धजी थाली या फिर आकर्षक ट्रे में सभी तरह की नशीली दवांए परोसती हैं और पार्टी में उपस्थित युवा वर्ग अपनी अपनी पसंद की नशीली दवा चुन कर सेवन करता रहता है। हालांकि डिस्कोथिक और पब भी नशेड़ियों के अड़्डे हैं लेकिन हाईप्रोफाइल रईस वर्ग की पहली पसंद अब रेव पार्टियां हैं। रईस वर्ग के युवाओं की पहली पसंद कोकीन का नशा है, इस वर्ग में वह युवा शामिल हैं जो बड़े उद्योगपति परिवारों से हैं या फिर उनका वेतन इतना ज्यादा है कि उनके लिए पैसे की कोई कीमत नहीं है। केवल युवा लड़के ही नहीं बल्कि युवा लड़कियां भी बड़ी संख्या में नशीली दवाओं की आदि हो गई हैं। इनमें अधिकतर युवाओं को इन नशीली दवाओं की लत कालेज में व हास्टल में पड़ती है। कोकीन की कीमत बाजार में 3 हजार से 6 हजार रुपये प्रति ग्राम तक है जो युवा इतनी महंगी कोकीन नहीं खरीद सकते वह कैथामिन नाम की नशीली दवा का उपयोग करते है, इसका नशा भी कोकीन की तरह ही होता है। इसके अलावा एक्सटेसी, एसिड, स्पीड, हेरोइन आदि एैसे नशीले पदार्थ हैं जिनका चलन नशेड़ियों में ज्यादा है। इनमें अधिकतर नशीले पदार्थ विदेशों से तस्करी के जरिए आते हैं और यहां से देश के विभिन्न शहरों में भेजे जाने के अलावा नेपाल, ब्राजील, चीन,युएसए सहित एशिया के विभिन्न देशों को इनकी तस्करी की जाती है। इनकी तस्करी में अब तक पकड़े जाने वाले विदेशियों में नाइजीरिया के नागरिक ज्यादा सामने आये हैं। अवैध कारोबार होने के कारण हालांकि इस कारोबार में प्रतिवर्ष होने वाले व्यापार का स्पष्ट ब्यौरा नही है लेकिन अनुमान है कि प्रति वर्ष राजधानी में ही नशीले पदार्थो की बिक्री का कारोबार 500 करोड़ से अधिक होता है।
नशे के कारोबार का हाॅट स्पाॅट है दिल्लीप्रति वर्ष होता है करोड़ों का कारोबारनशीले पदार्थो की तस्करी का ट्रांजिट कैम्प बन गया है दिल्लीअफगानिस्तान, म्यंमार, ब्राजील, कोलंबिया, हैती, इक्वेडोर आदि देशों से होती है तस्करीदिल्ली के रास्ते नेपाल, चीन, व एशियाई देशों को होती है तस्करीदिल्ली में हेरोइन, कोकीन, एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, कोडीन, आईस, एफड्रइन, मारीजुआना,हशीश कैथामिन, चरस, नार्फेन, लुफ्रिजेसिक, एमडीएमएस दवांए हैं नशेड़ियों में प्रचलितकम आय वर्ग मे है स्मैक व अफीम का चलननशे के व्यापारियों का है बड़ा नेटवर्कझुग्गी झोपड़ी से लेकर रईसजादों तक फैला है तस्करों का नेटवर्क10 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक है एक बार नशा करने की कीमत

नशे के कारोबार का हाट स्पाट है दिल्ली

नशीले पदार्थो की तस्करी का ट्रांजिट कैम्प बन गया है दिल्ली
प्रति वर्ष होता है करोड़ों का कारोबार
अफगानिस्तान, म्यंमार, ब्राजील, कोलंबिया, हैती, इक्वेडोर आदि देशों से होती है तस्करी
दिल्ली के रास्ते नेपाल, चीन, व एशियाई देशों को होती है तस्करी
दिल्ली में हेरोइन, कोकीन, एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, कोडीन, आईस, एफड्रइन, मारीजुआना,हशीश कैथामिन, चरस, नार्फेन, लुफ्रिजेसिक, एमडीएमएस दवांए हैं नशेड़ियों में प्रचलित
कम आय वर्ग मे है स्मैक व अफीम का चलन
नशे के व्यापारियों का है बड़ा नेटवर्कझुग्गी झोपड़ी से लेकर रईसजादों तक फैला है तस्करों का नेटवर्क10 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक है एक बार नशा करने की कीमत

संजय टुटेजा
नई दिल्ली 30 जून।
देश की राजधानी दिल्ली अब नशे के कारोबार का भी हाॅट स्पाॅट बन गई है। न केवल करोड़़ो रुपये के नशीले पदार्थो की खपत केवल राजधानी में ही होती है बल्कि दिल्ली के रास्ते अन्य देशों को भी नशीले पदार्थो की खपत हो रही है। इस धंधे में लगे तस्करों का नेटवर्क दिल्ली में ही नहीं बल्कि देश के अन्य नगरों से लेकर कई देशों तक फैला है। स्थिति यह है कि दिल्ली इस धंधे का ट्रांजिट कैम्प बनती जा रही है। नशे के प्रति युवा वर्ग के बढ़ते आकर्षण के साथ साथ नशे का कारोबार भी निरंतर बढ़ रहा है। यह कारोबार न केवल संगठित नेटवर्क का रूप ले चुका है बल्कि अब देश की सीमाओं को भी पार कर चुका है। न केवल अफगानिस्तान, म्यमांर, ब्राजील, नाइजेरिया, हैती आदि देशों से नशीले पदार्थो के जहर की तस्करी राजधानी में हो रही है बल्कि राजधानी के रास्ते नशीले पदार्थ कुछ अन्य देशों को भी तस्करी के जरिए भेजे जाते हैं। राजधानी के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ही कई बार अनेक विदेशी नागरिक नशीले पदार्थो को लाते पकड़े गये हैं। देश में मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के अनेक हिस्सों में अफीम की खेती की जाती है, इस धंधे में लगे लोग उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश से यहां अफीम लाकर उससे हेरेाइन तेयार करते हैं ओर राजधानी के नशेड़ियों को इसकी आपूर्ति करने के साथ साथ अन्य महानगरों व देशों को भी भेजते हैं। राजधानी में नशे का कारोबार झुग्गी झोपड़ियों से लेकर उच्च वर्ग तक फैला है और प्रत्येक वर्ग को अपनी पसंद के नशीले पदार्थो सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। नशे का शिकार लोगों में युवा वर्ग की संख्या अधिक है। मस्ती की चाह में युवा वर्ग नशे का सेवन करता है और फिर इसका आदि हो जाता है। निम्न आय वर्ग के युवा जहां अफीम व स्मैक का सेवन करने के अलावा कुछ जीवन रक्षक दवाओं का उपयोग नशे के रूप में करते हैं वहीं उच्च आय वर्ग महंगी नशीली दवाओं व नशीले पदार्थो का सेवन करता है इनमें कोकीन, एक्सटेसी, एसिड एवं स्पीड जैसे नशीले पदार्थ प्रमुख हैं। कोकीन की कीमत 3 हजार से 6 हजार रुपये प्रति ग्राम है जबकि एक्सटेसी व एसिड जैसे नशीले पदार्थ 200 से 600 रुपये की प्रति खुराक के हिसाब से उपलब्ध हो जाते हैं जबकि स्मैक की एक पुड़िया 25 रुपये से लेकर 100 रुपये तक मिलती है। इसकी कीमत इसकी क्वालिटी पर निर्भर करती है। बाजार में भारतीय स्मैक अफगानिस्तान से आने वाली स्मैक की अपेक्षा काफी सस्ती है।

क्या कहता है कानून नशीली दवाओं के खिलाफ पुलिस की नारकोटिक शाखा तथा केन्द्र के नाकोटिक कंट्रोल ब्यूरो द्वारा समय समय पर अभियान चलाये जाते हैं लेकिन कानून में नशीली पदार्थो की तस्करी पर कोई बड़ी सजा न होने के कारण तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाता। नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकाट्रोपिक सबटेंसिस एक्ट के तहत कोकीन व अन्य मादक पदार्थो की तस्करी पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है लेकिन यह सजा मादक पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि मात्रा कम हो और निजी उपयोग के लिए हो तो इसमें एक वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

सेना के रिटायर्ड अधिकारी संभालेंगे डीटीसी का की कमान

निगम को घाटे से उबारने के लिए होगी नई कोशिश
480 नये अधिकारियों की डीटीसी को है जरूरत
सेना से मांगी जायेगी इच्छुक अधिकारियों की सूची
कान्ट्रेक्ट के आधार पर होगी भर्ती
sanjay tuteja
नई दिल्ली 2 जुलाई। दिल्ली परिवहन निगम को घाटे से उबारने तथा निगम की व्यवस्था को अनुशासित एवं चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए निगम में अब सेना के सेवा निवृत अधिकारियों की नियुक्ति की जायेगी। यह नियुक्ति कान्ट्रेक्ट के आधार पर होगी। निगम प्रबंधन जल्द ही इस संबध में सेना से निगम में काम करने के इच्छुक व कर्मठ सेवा निवृत अधिकारियों की सूची मांगेगा। दिल्ली परिवहन निगम को घाटे से उबारने की तमाम कोशिशों के बावजूद निगम का घाटा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि निगम की प्रतिदिन की आय भी एक करोड़ 30 लाख से घटकर एक करोड़ रह गई है। इसके अलावा घाटे का ग्राफ भी बढ़ रहा है। नये वेतन आयोग के बाद निगम पर कर्मचारियों के वेतन का भी लगभग एक करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। निगम की बसो को प्रति किलोमीटर आय 18 रुपये से 20 रुपये प्रति किलोमीटर औसतन है जबकि यह आय 35 से 40 रुपये औसतन प्रति किलोमीटर हो तभी डीटीसी अपने सभी खर्चे स्वयं निकाल सकती है। निगम के बेड़े में नई बसें बढ़ाये जाने के बाद नये नियुक्त होने वाले ड्राइवरों व कंडक्टरों के वेतन का बोझ भी निगम पर बढ़ जायेगा। इसके अलावा 480 नये अफसरों की नियुक्ति होनी है उनके वेतन व भत्तों का करोड़ो रुपये का आकलन किया जाये तो इस वर्ष के अंत तक निगम के सामने गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है। निगम को घाटे से उबारने के लिए निगम प्रबंधन ने अब नई कोशिश शुरु की है। इसके तहत सेना के सेवानिवृत अधिकारियों को निगम में महत्वपूर्ण पद सौंपने का निर्णय लिया गया है। अफसरों के 480 पदों पर नियुक्तियां होनी हैं और इनमें से लगभग आधे पदों पर सेना के अधिकारियों को लिया जायेगा। यह नियुक्ति कान्ट्रेक्ट के आधार पर होगी। इससे निगम को सेना के अधिकारियों के लंबे अनुभव का तो लाभ मिलेगा ही साथ ही स्थायी अधिकारियों की तुलना में उन्हें भुगतान भी कम करना होगा और निगम पर खर्च का बोझ कम पड़ेगा। डीटीसी के प्रबंध निदेशक रमेश नेगी के अनुसार आगामी अक्टूबर नवंबर माह तक डीटीसी को 480 नये अधिकारियों को जरूरत होगी तब तक सेना से सम्पर्क कर इच्छुक अधिकारियों का पैनल मांग लिया जायेगा जिसमें से योग्य व कर्मठ अधिकारियों का चयन कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि निगम को घाटे से उबारने के अन्य उपाय भी किये जा रहे हैं।
अतिथि देवो भवः के रास्ते पर डीटीसी

यात्रियों का अतिथि की तरह सत्कार करेंगे डीटीसी के कंडक्टर

कंडक्टर होंगे अतिथि सत्कार व ग्राहक सेवा में दक्ष2200 नये कंडक्टरों की होगी भर्ती

एक पखवाड़े में शुरु हो जायेगी भर्ती प्रक्रिया

कस्टयूमर केयर व होस्पेलिटी में प्रमाणपत्रा हासिल युवाओं को दी जायेगी प्राथमिकता


नई दिल्ली 1 जुलाई। आगामी राष्ट्रकुल खेलों के दौरान राजधानी में विदेशों से आने वाले अतिथियों के सत्कार के लिए दिल्ली परिवहन निगम भी ‘अतिथि देवो भवः‘ का मंत्रा अपने कंडक्टरों को देगा। निकट भविष्य में डीटीसी के कंडक्टर बस में यात्रियों का अतिथि की तरह सत्कार करेंगे और उनकी प्रत्येक असुविधा का ख्याल भी रखेंगे। अतिथियों को निगम की बसों में कोई कठिनाई न हो इसके लिए निगम के नये कंडक्टर अब अतिथि सत्कार व ग्राहक सेवा में दक्ष होंगे। निगम में कुल 2200 नये कंडक्टर भर्ती किये जायेंगे और अतिथि सत्कार व ग्राहक सेवा में दक्ष कंडक्टरों को ही प्राथमिकता दी जायेगी। इन कंडक्टरों की भर्ती प्रक्रिया एक पखवाड़े के भीतर शुरु हो जायेगी। राजधानी में ब्लूलाइन बसों के कर्मचारियों की तरह ही दिल्ली परिवहन निगम के कर्मचारियों द्वारा भी यात्रियों से अभद्र व्यवहार की शिकायतें अक्सर यात्राी करते रहे हैं। आगामी राष्ट्रकुल खेलों के मद्देनजर दिल्ली परिवहन निगम ने निगम की बसों में कंडक्टरों की इस छवि को बदलने की तैयारी कर ली है। विदेशों से आने वाले अतिथि यहां से कोई कटु अनुभव लेकर न लौटें इसे लेकर सरकार भी गंभीर है, यही कारण है कि सार्वजनिक सेवा से जुड़े सभी विभागों में मेहमाननवाजी को खासा महत्व दिया जा रहा है। मेहमानों के लिए राजधानी की सड़कों पर लोफ्लोर बसों और वातानुकूलित बसों की दौड़ तो शुरु हो गई है। राष्ट्रकुल खेलों तक लगभग 3000 लोफ्लोर बसें यहां सड़कों पर दौड़ती दिखाई देंगी, जिनके लिए कंडक्टरों की भी आवश्यकता पड़ेगी। वर्तमान में डीटीसी के बेड़े में लगभग साढ़े तीन हजार बसें हैं जिनके अनुपात में कंडक्टरों की संख्या आवश्यकता से लगभग एक हजार अधिक है लेकिन अगले छह माह में ही लगभग एक हजार लोफ्लोर बसें निगम के बेड़े मंे शामिल हो जायेंगी जिनके लिए लगभग 2500 कंडक्टरों की आवश्यकता होगी। निगम के प्रबंध निदेशक रमेश नेगी के अनुसार छह माह बाद कंडक्टरों की कमी न हो इसके लिए एक पखवाड़े के भीतर ही नये कंडक्टरों की भर्ती प्रक्रिया शुरु कर दी जायेगी। उन्होंने बताया कि कुल 2200 कंडक्टर भर्ती किये जायेंगे और कंडक्टर के लिए आवश्यकता योग्यताओं के साथ साथ ग्राहक सेवा एवं अतिथि सत्कार में कोई प्रमाणपत्रा हासिल उम्मीदवारों को चयन में प्राथमिकता दी जायेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रकुल खेलों के मद्देनजर ही कस्टयूमर केयर एवं हास्पीलिटी में प्रशिक्षण प्राप्त कंडक्टरों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। भर्ती की तैयारी भी शुरु हो गई है। निगम में कुल 2200 नये कंडक्टर भर्ती किये जायेंगे जिनकी भर्ती प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरु हो जायेगी।

मंगलवार, 4 मार्च 2008

bes of luck

Happiness kips u sweet,
Trials make u strong,
Sorows kips u humble
Sucess kips u Glowing
best of luck u all

sweet ness of life

To taste sweetness of life, one must have the power to forget past. A frnd is gift, u give urself. Hav a nice day.

A ROSE FOR YOU

khushi itni ho ki tum dikha sako ; gum bus itna ho ki tum chupa sako jindagi mein kum se kum ek dost aisa rakhna jske sath off mood mein bhi tum muskura sako


sochate hai ki kya upahar bhejein unko kya khitaab bhejein kash goolab se bhi koi nayab cheej hoti jo khud goolab hai usko kya goolab bhejein