शनिवार, 8 नवंबर 2008

यमुना बोली, मुझे और न करो मैली





जीवन दायिनी का जीवन संकट में



वजीराबाद से ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर का सफर दिल्ली में तय करती है यमुना
एनसीआर में कुल 50 किलोमीटर है यमुना की लंबाई



यह है प्रदूषण का कारण

दिल्ली के विभिन्न इलाकों से 22 प्रमुख नाले गिरते हैं यमुना मेंप्रतिदिन 50 से 60 मिलियन गैलन औद्योगिक कचरा गिरता है यमुना के आंचल में
लगभग 700 गैलर घरेलू सीवेज प्रतिदिन करता है यमुना को बदरंग

1376 किलोमीटर की लंबाई में सर्वाधिक 79 प्रतिशत प्रदूषण यमुना को मिलता है दिल्ली से
प्रदूषण के लिए यमुना के भीतर होने वाली खेती भी है जिम्मेदार



यमुना एक्शन प्लान भी नहीं सुधार सका यमुना की दुर्दशा


पहले चरण में दिल्ली में ही 166 करोड़ रुपये हुए यमुना की सफाई पर खर्च
दूसरे चरण में भी ५०० करोड़ से अधिक खर्च होने का है अनुमान



प्रदूषण मुक्त करने की नई योजाना


यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अब जल बोर्ड ने बनाई इंटरसेप्टर व डाइवर्जन योजनासप्लीमेंट्री ड्रेन, नजफगढ़ ड्रेन व शाहदरा ड्रेन के मुहाने पर लगेंगे ट्रीटमेंट प्लांट
तीनों ड्रेन के समानान्तर सीवेज के लिए बिछेगी पाइप लाइन
पाइप लाइन से सीवेज पहुंचेगा ट्रीटमेंट प्लांट में
ट्रीटमेंट के बाद ही पानी जायेगा यमुना में
योजना पर अमल के लिए इंजीनियर इंडिया से हुआ अनुबंध
पुराने ट्रीटमेंट प्लांटों का होगा जीर्णोद्धार



यमुना को प्रदूषित करने वाले प्रमुख नालों से होने वाला प्रदूषण


नाला मिलियन गैलन(बीओडी)


नजफगढ़ नाला 148


मेटकाफ हाउस ५८


खैबर पास 10स्वीपर कालोनी ११०


मैगजीन रोड 240आईएसबीटी ड्रेन ११६


तांगा स्टेंड 130सिविल मिल 2१०


पावर हाउस 180डा.सेन नर्सिंग होम १७०


ड्रेन 14 16बरापुला 52महारानी बाग १०


0कालकाजी 22सरिता विहार ९४


तेखण्ड 64तुगलकाबाद 112एलपीजी प्लांट ६६


सरिता विहार पुल 39साहिबाबाद 230इन्द्रापुरी 2१०


(उक्त आंकड़े डीपीसीसी द्वारा मई 07 में लिए गये सेम्पल पर आधारित हैं)



यमुना नदी दिल्ली के करोड़ो लोगों की जीवन दायिनी है लेकिन अब देश की पुरातन परंपराओं, आस्थाओं व धार्मिक मान्यताओं की प्रतीक यमुना नदी जीवन दायिनी होकर भी स्वयं अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। करोड़ो लोगों की गंदगी, मल मूत्र, उद्योगों का कचरा और तमाम जहरीले कैमिकल अपने में समाहित करने के बाद भी यह राजधानी के आधे से अधिक लोगों की प्यास बुझा रही है। निरंतर बढ़ती गंदगी के बावजूद राजधानी को मिलने वाले पेयजल की 56 प्रतिशत पूर्ति यमुना ही करती है। लेकिन विडंबना यह है कि दिल्ली के जिन करोड़ों लोगों को यह जीवन दे रही है वही इस अभागी का जीवन लेने पर तुले हैं। यमुनौत्राी से अपने अंतिम पड़ाव तक यूं तो यमुना का सफर 1376 किलोमीटर लंबा है लेकिन राजधानी दिल्ली में यमुना 22 किलोमीटर और एनसीआर में 50 किलोमीटर सफर तय करती है। यह यमुना की कुल लंबाई का मात्रा 2 प्रतिशत है लेकिन यह दुर्भाग्य यह है कि यमुना के 1376 किलोमीटर लंबे सफर में यमुना को मिलने वाली गंदगी का 79 प्रतिशत उसे दिल्ली से मिलता है। यमुना का सफर दिल्ली में वजीराबाद बैराज से शुरु होता है और 22 किलोमीटर बाद ओखला बैराज पर खत्म होता है। इसे डाउन स्ट्रीम बोला जाता है, अप स्ट्रीम पाल्ला बैराज से शुरु होता है यह 28 किलोमीटर का सफर है। दिल्ली में प्रवेश करते ही दिल्लीवासी जहर पिलाकर मां यमुना का स्वागत करते हैं और उसके बाद तो 22 किलोमीटर के सफर में र कदम कदम पर जहर का एैसा सैलाब इसमें समाहित होता है कि यमुना की पवित्राता स्वयं पर शर्माने लगती है। प्रदूषण नियंत्राण व पर्यावरण संस्थाओं के आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन लगभग 60 गैलर औद्योगिक कचरा दिल्ली से यमुना में समाहित होता है और लगभग 700 मिलियन घरेलू सीवेज प्रतिदिन यमुना में समाहित होकर यमुना को गंदा नाला बना देता है। धार्मिक आस्थाएं व मान्यताएं भी यमुना के जहर में और अधिक जहर घोल रही हैं। विभिन्न पर्वो व त्यौहारों पर हजारो टन धार्मिक अनुष्ठानों की सामग्री यमुना में बहा दी जाती है जिसमें अलग अलग कैमिकल होने के कारण यमुना में जहरीले तत्वों की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है। इस स्थिति से निपटने में सामने सरकार भी बेबस है। वार्षिक पर्वो त्यौहारों पर ही नहीं बल्कि प्रतिदिन भारी मात्रा में धार्मिक अनुष्ठानों की सामग्री यमुना में प्रवाहित कर दी जाती है। यूं तो सरकार का प्रदूषण नियंत्राण विभाग नियमित रूप से यमुना जल के नमूने एकत्रा कर प्रदूषण व यमुना में फैले जहरीले तत्वों की मात्रा का परीक्षण करता है लेकिन इस परीक्षण की रिपोर्ट केवल प्रयोगशालाओं में ही पड़ी रहती है। सरकार की ओर से योजनाएं तो बनाई जाती हैं, लेकिन योजनाओं के अमल में इतने पेच होते हैं कि योजना पूरी होने से पूर्व यमुना के प्रदूषण को एक नई योजना की जरूरत होती है। यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वर्ष 1993 में यमुना एक्शन प्लान बनाया गया, जिसमें दिल्ली में ही लगभग 160 करोड़ रुपये बहा दिये गये लेकिन स्थिति बद से बदतर हो गई है। इसके अलावा दिल्ली जलबोर्ड, डीडीए व बाढ़ नियंत्राण विभाग भी प्रतिवर्ष लगभग
आम जनता की जागरुकता जरूरी
जब तक आम जनता अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लायेगी तब तक यमुना को प्रदूशण से मुक्त नहीं किया जा सकता। आज यदि यमुना में जहर घुल रहा है तो इसका कारण आम जनता की लापरवाही अधिक है। सरकार को तो योजनाएं ही बनानी है और सरकार की योजनाओं पर काम भी शुरु हो जाता है लेकिन जब तक आम जनता का सहयोग नहीं होगा तब तक प्रदूषण कैसे खत्म होगा। सरकार की तमाम योजनाओं को आम जनता ही ठप कर रही है। यमुना दिल्ली की लाइफ लाइन है, यह दिल्लीवासियों को समझना होगा और अपनी सोच में परिवर्तन करना होगा। एस.ए.नकवी कन्वीनर, सिटीजन फ्रन्ट फार वाटर डेमोक्रेसी


यमुना को उसके हाल पर छोड़ दें
यमुना को प्रदूषण से मुक्त करने के यमुना को उसके हाॅल पर छोड़ दें। बस, यमुना से छेड़छाड़ बंद हो जाये। यमुना अपनी सफाई में खुद सक्षम है। यमुना को यमुना के हाल पर छोड़ दिया जाये तो प्राकृतिक रूप से वह स्वयं अपना उपचार कर लेगी लेकिन इसमें जिस तरह गंदगी के नाले डाले जा रहे हैं उन पर रोक लगे। इसमें डाले जा रहे नाले यह सबसे बड़ा कारण है। एक सामानान्तर नाला बने और ट्रीटमेंट कर के ही पानी यमुना में मिलाया जाये। आस पास पेड़ पौधे लगा दे बजाय कंकरीट का जंगल बनाने के। प्राकृतिक जंगल जरूरी है। यमुना को साफ करने के लिए करोड़ो रूपये की योजनाओं पर तरीके से काम हो तो सुधार हो सकता है। एनएन मिश्रा, संयोजक यमुना सत्याग्रह

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