मंगलवार, 15 जुलाई 2008

अब सिख पंथ के सहारे सरकार बचाने की कोशिश

सिखों के जरिए बादल पर दबाव बनाने में जुटी कांग्रेस

सिख प्रधानमंत्राी के सम्मान के लिए पंजाब में होंगी जनसभायें

संजय टुटेजा
कांग्रेस ने अब सिख पंथ का सहारा लेकर सरकार को बचाने की कोशिश शुरु कर दी है। देश में एक सिख प्रधानमंत्राी की सरकार बचाने तथा पंथ का गौरव बनाये रखने के लिए बादल गुट के सिख सांसदों पर सिख संगत के जरिए दबाव बनाने की का प्रयास हो रहा है। इसके लिए पंजाब के प्रमुख शहरों में जनसभाएं आयोजित कर शिरोमणि अकाली दल के नेता व मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई है। संसद में शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के 8 सांसद हैं। एनडीए का प्रमुख घटक होने के नाते यह माना जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल के सभी सांसद संसद में विश्वास मत के दौरान सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्राी व प्रमुख अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका दल एनडीए के साथ है और वह एनडीए के निर्णय का पालन करेगें। कांग्रेस को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्राी पद पर सिख समुदाय के डा।मनमोहन सिंह को पद पर बनाये रखने के लिए अकाली दल बादल या तो सरकार के समर्थन में मतदान कर सकता है या फिर अकाली दल के सांसद मतदान के दौरान संसद से अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद कर सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल के तेवर से कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। प्रकाश सिंह बादल का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने अब सिख समुदाय के जरिए बादल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। पंथ के सम्मान व पंथ के गौरव के मुद्दे पर बादल को घेरने की रणनीति बनाई गई है। इसके लिए सिख समाज में पार्टी के प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बादल से अपील करने के साथ साथ पंथ की बैठकें बुलाकर पंथ को भी इस मुद्दे पर एकजुट करें ताकि बादल पर दबाव बन सके।इसी कड़ी में कल एक बड़ी सभा में कुछ संगठनों द्वारा अमृतसर में बुलाई गई है। अमृतसर की सभा के बाद मोगा व संगरुर में तथा संसद में मतदान से पूर्व चण्डीगढ़ में भी इस तरह की एक सभा बुलाई गई है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि पंजाब में सिख समाज की सिख प्रधानमंत्राी मुद्दे पर एक राय बना ली जाये तो शिरोमणि अकाली दल बादल पर दबाव डाला जा सकता है। इस दबाव में प्रकाश सिंह बादल भले ही कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान न करें लेकिन यदि बादल अपने सांसदों को विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहने के निर्देश भी दें दें तो यूपीए सरकार की नैया आसानी से पार हो जायेगी।

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