गुरुवार, 21 अगस्त 2008

उफनते जल सैलाब में ठहर गई जिंदगी

फोटो अनिल सिन्हा

जीवन तो बच गया लेकिन नहीं बचा सके जीने का सामान

500 से अधिक लोग अभी तक फंसे हैं पानी में
महिलायें, बच्चे व वृद्ध छह दिन से छतों पर डाले हुए हैं डेरा
नही है उफनते पानी से निकलने का कोई रास्ता
गांव में दिखाई देता है तबाही का मंजर
रोटी को भी मोहताज हैं पानी में फंसे लोग
o दो हजार से अधिक लोग हैं बाढ़ से प्रभावित
मदद के लिए भेजी गई नौकाएं बनी मौज मस्ती का साधन

संजय टुटेजा
नई दिल्ली,
यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद यमुना के खादर में बसे उस्मानपुर के लोगों की जिंदगी मानों जल सैलाब में ठहर गई है। इनकी जिंदगी तो बच गई लेकिन जीने का सामान वह नहीं बचा सके हैं। स्थिति यह है कि आज छठे दिन भी लगभग 500 महिलाएं, बच्चे व वृद्ध उफनते पानी के बीच में फंसे हैं और छतों पर डेरा डालकर अपनी जान बचाए हुए हैं। चैतरफा उफनते पानी से घिरा कोई भूख प्यास से बिलबिला रहा है तो कोई बीमारी में दवा के लिए तड़प रहा है। स्वतंत्राता दिवस की सुबह जब देश आजादी के गीत गा रहा था और देश के प्रधानमंत्राी डा।मनमोहन सिंह लालकिले की प्राचीर से गरीबों के विकास के दावे कर रहे थे, ठीक उसी समय राजधानी में यमुना के खादर में बसे उस्मानपुर गांव में यमुना के जल सैलाब ने एैसा तांडव किया कि यहां बसें दो हजार से अधिक लोग बेघर हो गये। किसी ने किनारों की ओर भाग कर जान बचाई तो और जो भाग नहीं सकते थे उन्होंने छतों पर चढ़कर जान बचाई। आज छह दिन बाद यमुना के जल स्तर में मामूली कमी तो आई है लेकिन यह गांव अभी भी जलमग्न है और गांवों में छतों पर बैठे बच्चे, महिलाएं व वृद्ध चारो तरफ मदद के लिए देख रहे है। राष्ट्रीय सहारा ने आज नौका से इस गांव में हुई तबाही का जायजा लिया तो पूरा गांव जलमग्न दिखाई दिया। न तो गांव तक पहुंचने का कोई रास्ता था और न ही इन्हें मदद पहुंचाने के लिए कोई सरकारी हाथ वहां दिखाई दिया। छतो ंपर बैठे लोग बेघर होकर अपनी बरबादी का मंजर देख रहे थे और मदद की गुहार करते दिखाई दे रहे थे। कुछ परिवार अभी भी पानी में तैर रहे अपने सामान को समेटने का प्रयास कर रहे थे। अपने घरों की छतो ंपर बैठे लोगों का वहां से किनारे तक आना आज भी नामुमकिन था। कोई प्यास बुझाने के लिए पानी मांगता दिखाई दिया तो कोई पेट की आग बुझाने के लिए रोटी मांग रहा था। बाढ़ बचाव दल की आधा दर्जन नोकाएं पीड़ितों तक कोई मदद पहुंचाने के बजाय वहां मौज मस्ती का साधन दिखाई दी, कुछ प्रभावी लोग इन नौकाओं पर बैठकर नौकायन का आनंद ले रहे थे। गांव की ही एक छत से आवाज लगाकर मुखराम ने बताया कि उसके परिवार की एक महिला बिरजेश तीन दिन से बीमार है और दवा के अभाव में वह लगातार तड़प रही है। आरएमएल में कार्यरत श्रीपाल ने बताया कि उसके घर का सभी सामान पानी में बह गया है, और परिवार की महिलाएं व बच्चे छत पर हैं।ला लोगांे में राहत कार्यो को लेकर रोष था। उन्होंने बताया कि राहत के नाम पर केवल यमुना के किनारे कुछ टैण्ट लगा दिये गये हैं जिनमें कुछ झुग्गी वासियों ने डेरा डाल लिया है जबकि आज भी पानी के बीच फंसे लोगों के पास न तो खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है और न ही कोई अन्य मदद की जा रही है।

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