शनिवार, 30 अगस्त 2008

सवालों के घेरे में है मासूम नादिर की मौत

मासूम नादिर

स्कूल प्रशासन की भूमिका दिखाई दे रही है संदिग्ध
दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्रा मासूम नादिर की मौत सवालों के घेरे में है। स्कूल परिसर के भीतर हुई इस मौत के मामले में स्कूल प्रशासन भी संदेह के घेरे में दिखाई दे रहा है। हालांकि यह कहा जा रहा है कि नादिर की मौत स्वीमिंग पुल में डूब कर हुई लेकिन इतने विख्यात स्कूल में एक मासूम बच्चा स्वीमिंग पुल तक कैसे पहुंच गया और यदि बच्चा स्वीमिंग पुल तक पहुंच भी गया तो उस दौरान लाइफ गार्ड, सुरक्षा गार्ड व कोच उसे क्यों नहीं बचा सके। यही सवाल इस मासूम के परिवार को ही नहीं बल्कि पुलिस को भी कुरेद रहे हैं। सराय काले खां स्थित हरिजन बस्ती निवासी रईस अहमद के 13 वर्षीय मासूम पुत्रा नादिर उर्फ नादुर को स्कूल की वैन शाम लगभग छह बजे शाही अस्पताल लेकर पहुंची। उस समय तक नादिर की मौत हो चुकी थी। उसकी मौत के बाद स्कूल प्रशासन ने उसके परिवार को तो खबर कर सीधे अस्पताल बुलाने के बजाय स्कूल में बुलाया जहां बताया गया कि नादिर की तबीयत खराब है। उसके परिजनों को अस्पताल पहुंच कर ही नादिर की मौत का पता चला लेकिन यह मौत कैसे हुई यह बताने वाला उसे वहां कोई नहीं था। स्कूल के जो कर्मचारी उसे अस्पताल लेकर आये उन्होंने उसे बताया कि नादिर की मौत स्कूल के स्वीमिंग पुल में डूब कर हुई है। राजधानी में अपनी अलग पहचान रखने वाले डीपीएस परिसर के भीतर छात्रा की डूब कर मौत हो जाने की बात न तो पुलिस के गले उतर रही है और न ही उसके परिजन इस पर विश्वास कर रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस इस मामले में हत्या की आशंका को देखते हुए भी अपनी जांच कर रही है। नियमानुसार प्रत्येक स्वीमिंग पुल पर बचाव के लिए लाइफ गार्ड नियुक्त होने के अलावा कोच नियुक्त होता है लेकिन नादिर को नहीं बचाया जा सका। जिस समय घटना हुई उस समय स्कूल के सुरक्षा गार्ड, स्वीमिंग पुल पर रहने वाले लाइफ गार्ड व कोच कहां थे और उसे बचाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि स्वीमिंग पुल के चारों तरफ बाउण्ड्री है और छोटे बच्चे का उस बाउण्ड्री को पार कर वहां तक पहुंचना मुश्किल है फिर मात्रा 13 वर्ष का मासूम स्वीमिंग पुल तक कैसे पहुंचा। उसके पिता ने उसे साढ़े चार बजे स्कूल के गेट पर एक्सट्रा क्लास के लिए छोड़ा, उसके बाद वह क्लास में गया या नहीं, इस बारे में भी पुलिस प्रशासन अभी चुप है। यदि क्लास में गया तो क्लास बीच में छोड़ कर वह स्वीमिंग पुल की तरफ कैसे बढ़ गया। शिक्षा व अनुशासन के लिए प्रख्यात इस स्कूल में जब एक छात्रा क्लास से गायब हो गया तो इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। यह सब एैसे सवाल हैं जिनके जवाब में अभी स्कूल प्रशासन मौन है। स्कूल के भीतर इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद देर रात तक स्कूल प्रशासन का कोई अधिकारी न तो अस्पताल में मौजूद था और न ही नादिर के घर कोई पहुंचा। मीडिया ने जब स्कूल जाकर स्कूल प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्डो ने स्कूल का गेट खोलने से ही इन्कार कर दिया। स्कूल प्रशासन न तो बात करने को तैयार है और न ही नादिर की मौत के कारणों को स्पष्ट कर रहा है।

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