रविवार, 10 अगस्त 2008

बढ़ती मांग ने राजधानी में बढाया सीएनजी संकट

  • पैट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से सीएनजी की मांग बढ़ी
    दो वर्ष में बढ़ गये 250 प्रतिशत सीएनजी यूजर्स
    सीएनजी स्टेशनों पर लगी हैं लंबी कतारें
    पिछले एक माह में ही बढ़ी दो लाख किलो सीएनजी की खपत
    पैट्रोल,डीजल की कीमतें बढ़ने से सीएनजी कनवर्ट कराने वालों की संख्या बढ़ी
    मुरली देवड़ा ने किया आईजीएल के एमडी को तलब
    आईजीएल ने बताई समस्याएं
    एनसीआर से आने वाले वाहन बने बड़ी समस्या30 प्रतिशत वाहनों का दबाव होता है एनसीआर से
    आईजीएल के पास नहीं है सीएनजी की कमी
    कम्प्रेशर क्षमता है सीएनजी स्टेशनो पर कतारों का प्रमुख कारण
    वाहनों के अनुपात में नहीं बढ़ रहे हैं सीएनजी स्टेशन
    भूमि आवंटित न होने के कारण बेबस है आईजीएल
    भूमि के लिए 40 आवेदन दबे हैं फाइलों मेंमौजुदा स्टेशनों की क्षमता बढाने की शुरु हुई तैयारी
    2.25 लाख प्राइवेट व सार्वजनिक वाहन प्रतिदिन भरवाते हैं सीएनजी
    सीएनजी स्टेशनों की संख्या है कुल 163
  • आईजीएल के स्टेशन 65पैट्रोल पम्पों पर लगे 75डीटीसी डिपो में लगे स्टेशन 23
    13 लाख किलो खपत होती है प्रतिदिन
    एक माह में दो लाख किलो सीएनजी की खपत बढ़ी
    आईजीएल ने विदेश से मंगाये 54 नये हाईकैपिसिटी कम्परेशर व 120 नये डिस्पेंसर
    सीएनजी वाहनों की
  • संख्यासीएनजी बसें २२५०० आटो रिक्शा ५५००० छोटे माल वाहक वाहन 24500
    एनसीआर से प्रतिदिन आने वाले सीएनजी वाहन लगभग 40 हजार
    अन्य प्राइवेट वाहन लगभग 1 लाख
    पैट्रोलियम पदार्थो की लगातार बढ़ती कीमतों ने राजधानी के सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की कतार लंबी कर दी है। पिछले एक माह में ही जहां सीएनजी की खपत में दो लाख किलो की बढ़ोत्तरी हो गई है वहीं पिछले दो वर्ष में 250 प्रतिशत सीएनजी के उपभोक्ता बढ़ गये है, यही कारण है कि सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की कतार छोटी नहीं हो रही है। इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के पास पर्याप्त सीएनजी तो है लेकिन पर्याप्त संसाधन व स्टेशनों की कमी होने के कारण यह समस्या विकराल हो रही है। आईजीएल ने दिसंबर तक संसाधनों व स्टेशनों का पूर्ण विस्तार करने की योजना बनाई है। राजधानी में सीएनजी गैस की आपूर्ति की जिम्मेदारी इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के पास है लेकिन आईजीएल प्रबंधन के सामने मुख्य समस्या यह है कि समय के साथ साथ राजधानी में सीएनजी उपभोक्ताओं की बढ़ोत्तरी तो हो रही है लेकिन उस अनुपात में आईजीएल के संसाधनों की बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। कहीं स्टेशन के लिए जमीन न मिलने की समस्या है तो कहीं कोई अन्य तकनीकी अड़चन सामने खड़ी है, नतीजतन विस्तार की तमाम योजनाएं अभी तक खटाई में पड़ी रही हैं। पैट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों के कारण प्राइवेट वाहन संचालक अब अपने वाहनों में सीएनजी किट लगवाना पसंद कर रहे हैं। औसतन प्रतिदिन 150 से 200 नये वाहनों में सीएनजी किट लगाई जा रही है जिससे आईजीएल के स्टेशनों पर दबाव बढ़ रहा है। हाल ही में लगभग 5000 स्कूली वैन भी सीएनजी में परिर्वतित कर दी गई है। इसके अलावा प्रतिदिन अनुमानित 30 से 40 हजार वाहन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा से दिल्ली में आते हैं और एनसीआर में कहीं सीएनजी स्टेशन न होने के कारण इनका दबाव भी राजधानी के स्टेशनों पर ही रहता है। अक्टूबर 2007 में आईजीएल को नोयडा में स्टेशन लगाने की अनुमति मिली है लेकिन अभी तक नोयडा में एक छोटा स्टेशन स्थापित हो सका है, अन्य स्टेशनों के लिए तकनीकी अड़चने दूर होने व भूमि आवंटित होने का इंतजार आईजीएल कर रही है। सीएनजी स्टेशनों पर बढ़ते दबाव का प्रमुख कारण स्टेशनों की कम्प्रेशर क्षमता में कमी होना, वाहनो ंकी संख्या बढ़ना तथा नये स्टेशनों के खुलने में देरी होना है। आईजीएल प्रबंधक निदेशक ओम नारायण कहते हैं कि वह लंबे समय से नये स्टेशनों के लिए भूमि आवंटित होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन भूमि संबधी लगभग 40 आवेदन डीडीए और एमसीडी की फाइलों में दबे हुए हैं। वह कहते हैं कि वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है जिसे देखते हुए 54 नये कम्प्रेशर आयात करने के अलावा 120 सीएनजी डिस्पेंसर मंगाये गये हैं जिनके लगने के बाद सीएनजी कम्प्ररेशर क्षमता में 30 से 40 प्रतिशत की बढोत्तरी हो जायेगी। उन्होंने बताया कि विस्तार की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है और दिसंबर तक समस्या का समाधान पूरी तरह हो जायेगा। रसीएनजी के मौजुदा स्टेशनों पर लगी कम्परेशर मशीनें लगातार 18-18 घंटे चलाई जा रही है इसके बावजूद सभी वाहनों को सीएनजी उपलब्ध नहीं हो पाती। लगभग 3 से 4 किलो सीएनजी की कमी रोजाना दिखाई देती है जबकि यह कमी केवल कम्परेशर क्षमता न होने के कारण ही है, वास्तव में आईजीएल के पास सीएनजी की कमी नहीं है। राजधानी में सीएनजी की प्रतिदिन की खपत लगभग 13 लाख किलो है। बीते एक माह में ही दो लाख किलो की मांग बढ़ गई है। हालांकि कम्प्रेशन की मौजुदा क्षमता आईजीएल के पास 21 लाख किलो प्रतिदिन की है लेकिन कम्प्रेशर मशीनें कुल क्षमता का 50 प्रतिशत ही कार्य सुविधाजनक तरीके से करती हैं नतीजतन लगभग 10.5 लाख किलो प्रतिदिन की आपूर्ति तो आराम से हो जाती है लेकिन इससे ऊपर की मांग को पूरा करने के लिए आईजीएल को मशक्कत का सामना करना पड़ता है। पेट्रोलियम मंत्राी ने आईजीएल प्रबंध निदेशक को किया तलब
    राजधानी में सीएनजी को लेकर उत्पन्न संकट को देखते हुए केन्द्रीय पैट्रोलियम मंत्राी मुरली देवड़ा ने आज आईजीएल के प्रबंध निदेशक को तलब किया। आईजीएल प्रबंधक निदेशक ओम नारायण ने विभिन्न तकनीकी अड़चनों से मंत्राी को अवगत कराया। राजधानी में सीएनजी स्टेशनों पर लगी लंबी कतारों तथा लोगों को हो रही कठिनाई के मद्देनजर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्राी मुरली देवड़ा ने आज आईजीएल के प्रबंध निदेशक ओम नारायण को बुलाकर सीएनजी संकट पर चर्चा की। इस दौरान प्रबंध निदेशक ओम नारायण ने उन्हें बताया कि भूमि उपलब्ध न होने के कारण ही नये स्टेशन स्थापित करने में अडचन आ रही है। उन्होने बताया कि स्टेशनों की कम्प्रेशर क्षमता बढ़ाने के लिए 54 हाईकैपिसिटी मशीने आयात की गई हैं। उन्होंने बताया कि नोयडा में एक स्टेशन के लिए 40 करोड़ का निवेश पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने मंत्राी के समक्ष स्पष्ट किया सीएनजी की कोई कमी नही, केवल कुछ ढांचागत सुविधाओं की कमी है जिसके चलते थोड़ा दबाव है। उन्होंने कहा कि नोयडा में आवंटित भूमि में अड़चन के कारण काम रुक गया है। उन्होंने बताया कि नोयडा में पाइप लाइन भी बिछा दी है वहां भूमि आवंटन में हो रही अड़चन दूर होती ही स्टेशन काम करने लगेगा। केन्द्रीय मंत्राी मुरली देवड़ा ने तकनीकी समस्याओं के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्राी से बात करने के अलावा उत्तर प्रदेश व हरियाणा सरकार से भी इस संबध में बात करने का आश्वासन दिया है।

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