सांठ गांठ से हो गई लोफ्लोर की दरों में 14 लाख की बढ़ोत्तरी
निगम के एक पूर्व अधिकारी कंपनियों से कर रहे हैं दलाली
दिल्ली परिवहन निगम के लिए एक हजार साधारण बसों तथा ढाई हजार लोफ्लोर बसों की खरीद में निगम को करोड़ों का चूना लगाने की तैयारी हो गई है। इस सौदे में भारी दलाली के साथ साथ कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सुनियोजित रणनीति बनाई गई है और निगम के एक पूर्व अधिकारी इस दलाली में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इसी रणनीति के तहत एक कम्पनी से महंगी दरों पर साधारण बसें तथा दूसरी कम्पनी से महंगी दरों पर लोफ्लोर बसें खरीदने की रणनीति बनाई गई है। निगम के एक पूर्व अधिकारी व एक मौजुदा अधिकारी इस सौदे में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, यही कारण है कि इस सौदे में बस निर्माता कंपनिया भी आपसी प्रतिस्पर्धा के बजाय एक दूसरे की मदद करती दिखाई दे रही हैं। दिल्ली परिवहन निगम के लिए जल्द ही एक हजार साधारण बसें तथा ढाई हजार लोफ्लोर बसे खरीदी जानी हैं और दोनों ही सौंदों के लिए निविदा प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई है। यूं तो इन बसों की खरीद के लिए निगम बोर्ड बस निर्माता कम्पनियों से सौदेबाजी करता दिखाई दे रहा है लेकिन इस सौदेबाजी के पीछे असली खेल निगम के कुछ अधिकारी तथा एक पूर्व अधिकारी खेल रहे हैं। इस पूर्व अधिकारी ने हाॅल ही में निगम से त्यागपत्रा दिया है, बावजूद इसके वह इस सौदे में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। बताया जाता है कि 29 जुलाई को साधारण बसों की खरीद पर निर्णय लेने के लिए हुई निगम बोर्ड की बैठक से एक दिन पूर्व यह अधिकारी एक कम्पनी से दलाली के लिए चेन्नई में गये थे और कम्पनी अधिकारियों के साथ ही यहां लौटे। लोफ्लोर एवं साधारण बसों की आपूर्ति के लिए टाटा तथा अशोक लीलेैण्ड दो कम्पनीयां ही मैदान में हैं और रणनीति इस तरह की बनाई गई है साधारण बसें अशोक लीलेण्ड से खरीद ली जायें और लोफ्लोर बसें टाटा कम्पनी से खरीदी जायें। सूत्रों के अनुसार सौदे में सक्रिय अधिकारियों ने इसके लिए कम्पनियों से सांठ कर उन्हें इस प्रतिस्पर्धा के चक्कर में पड़ने के बजाय मनमानी दरो ंपर कोई एक सौदा लेने के लिए राजी भी कर लिया है। यही कारण है कि साधारण बसों के लिए टाटा ने प्रतिस्पर्धा न कर अपनी अधिकतम दरें दी हैं तथा लोफ्लोर के लिए अशोक लीलेंड भी अधिकतम दरों के साथ प्रतिस्पर्धा करती दिखाई नहीं दे रही है। एक हजार साधारण बसों की खरीद के लिए दी गई निविदा में टाटा कम्पनी ने 33 लाख रुपये प्रति बस तथा अशोक लीलेण्ड कम्पनी ने लगभग 27 लाख प्रति बस की दर दी है। अब से पहले भी डीटीसी ने अशोक लीलेंड से ही साधारण बसें खरीदी थी जिनकी औसत कीमत लगभग साढ़े पन्द्रह लाख थी लेकिन वर्तमान में डीटीसी ने साधारण बसों के लिए जो औसत मूल्य तय किया है वह लगभग 20 लाख है। एैसे में टाटा कम्पनी की 33 लाख कीमत से स्पष्ट है कि सांठ गांठ के तहत सौदेबाजी का नाटक कर अशोक लीलैण्ड को ही साधारण बसों का आर्डर दे दिया जायेगा। डीटीसी बोर्ड की 29 जुलाई को हुई बैठक में अशोक लीलेण्ड कम्पनी को अपनी दरें कम करने के लिए दो दिन का समय दिया गया। माना जा रहा है कि बोर्ड की आगामी बैठक में दरों में थोड़े फेरबदल के साथ अशोक लीलेण्ड को आर्डर देने पर मुहर लग जायेगी। यही रणनीति ढाई हजार लोफ्लोर बसों की खरीद में बनाई गई है। यह विडंबना ही है कि जो लोफ्लोर बसें एक वर्ष पूर्व 41 लाख में खरीदी गई थी उन्हीं लोफ्लोर बसों के लिए टाटा ने लगभग 14 लाख की बढ़ोत्तरी के साथ लगभग 55 लाख रुपये प्रति बस की दर दी है। अशोक लीलेंड ने लोफ्लोर के लिए लगभग 63 लाख रुपये प्रति बस की दर दी है, अशोक लीलेण्ड की दरों से स्पष्ट है कि यह कम्पनी लोफ्लोर के लिए प्रतिस्पर्धा करती दिखाई नहीं दे रही है। अब ढाई हजार बसें खरीदी जानी हैं, और 14 लाख रुपये प्रति बस की कीमत अधिक देकर बसें खरीदी गई तो सरकार व निगम को 300 करोड़ से अधिक का चूना लगेगाा। दिल्ली परिवहन मजदूर संघ ने बसों की सौदेबाजी के पीछे हो रहे इस खेल की जांच कराने की मांग की है। निगम चेयरमैन रमेश नेगी ने किसी अधिकारी को सौदेबाजी के लिए चेन्नई भेजे जाने से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई पूर्व अधिकारी अपने निजी काम से गया है तो उसकी उन्हें जानकारी नहीं है।
रविवार, 10 अगस्त 2008
इस माह शुरु होगा हवाई अड्डे के तीसरे रनवे का ट्रायल
तीसरे रनवे के बाद एयरपोर्ट की क्षमता में होगी वृद्धि
घरेलू उड़ानों पर 16 मिलियन यात्राी हैं प्रति वर्ष
घरेलू टर्मिनल की मौजुदा क्षमता है 8 मिलियन यात्राी प्रति वर्ष
इस वर्ष के अंत तक घरेलू टर्मिनल की क्षमता 18 मिलियन करने की तैयारी
वर्ष के अंत तक तैयार होगा नया घरेलू टर्मिनल 1-डी
इस टर्मिनल की क्षमता होगी 10 मिलियन यात्राी प्रति वर्षवर्ष 2010 तक हवाई अड्डे की क्षमता होगी 60 मिलियन यात्राी प्रति वर्ष
4430 मीटर लंबा और 60 मीटर चैड़ा है तीसरा रनवे
इस रनवे पर बड़े विमान पर उतर सकेंगे आसानी से
रनवे पर इलैक्ट्रानिक उपकरणों का काम बाकी
डीजीसीए ने दिये काम पूरा करने के निर्देश
आकाश पर विमानों का दबाव होगा कम
प्रतिदिन औसतन 660 विमानों का होता है आवागमन
व्यस्त समय के दौरान प्रति मिनट में एक विमान का होता है आवागमन
औसतन ढाई से तीन मिनट में एक विमान का होता है आवागमन
एक वर्ष में हुई 231200 उड़ानों का हुआ आवागमन
लेण्डिंग के लिए घंटो आकाश में चमारीक्कर लगाने से मिलेगी मुक्ति
सवेरे 7 से 10 तथा शाम 6 से 9 बजे तक रहती है मारा
राजधानी के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तीसरे रनवे पर उतरने के लिए विमानो ंको अभी इंतजार करना होगा। हालांकि रनवे बनकर तैयार हो चुका है लेकिन सिग्नल व्यवस्था एवं इलैक्ट्रानिक उपकरणों का काम अभी बाकी है। डीजीसीए ने रनवे का काम जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये हैं बावजूद इसके सितंबर माह से पूर्व रनवे शुरु होने की संभावना नहीं है। राजधानी के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर फिलहाल दो ही रनवे है लेकिन हवाई यातायात दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। बढ़ते हवाई यातायात के चलते यहां आने वाले विमानों को रनवे खाली न होने के कारण उतरने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है तथा उड़ान भरने वाले विमानों में भी अक्सर देरी हो जाती है। कई बार तो सवेरे व शाम के दौरान व्यस्त समय में विमानों को रनवे पर उतरने के लिए आकाश पर काफी देर तक चक्कर लगाना पड़ता है। यही नहीं रनवे की चैड़ाई कम होने के कारण इस रनवे पर बड़े विमान भी आसानी से नहीं उतर सकते। हवाई अड्डे पर बढ़ते यातायात को देखते हुए ही एक नये आधुनिक रनवे की आवश्यकता महसूस की गई और हवाई अड्डे को निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (डायल) ने हवाई अड्डे के विकास के लिए बनाये गये मास्टर प्लान में तीसरे रनवे के निर्माण को भी शामिल किया। हवाई अड्डे पर मौजुदा रनवे 10/28 की लबाई 3815 मीटर है तथा चैड़ाई 45 मीटर है जबकि दूसरे रनवे 9/27 की लंबाई 2810 मीटर तथा चैड़ाई 45 मीटर है। इन दोनों रनवे की चैड़ाई कम होने के कारण ए380 जैसे बड़े विमानों को यहां उतरने में कठिनाई होती रही है लेकिन डायल द्वारा बनाये जा रहे तीसरे रनवे की लंबाई 4430 मीटर तथा चैड़ाई 60 मीटर है जिससे बड़े विमानों को यहां उतरने में कठिनाई नहीं होगी। यह रनवे कैट थ्री बी सुविधा से सुसज्जित होगा। हाल ही में डीजीसीए ने भी डायल तथा एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया को रनवे का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये हैं। डायल के असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट अरुण अरोड़ा का कहना है कि डायल ने रनवे तैयार कर दिया है अब कुछ काम अन्य एजेंसियों को करना है। उन्होंने कहा कि अगस्त माह के अंत तक काम पूरा हो जायेगा तथा संभवतः इस रनवे का ट्रायल भी शुरु हो जायेगा। उन्होंने बताया कि ट्रायल के बाद सितंबर में रनवे को विमानों के लिए खोल दिया जायेगा। इसके बाद आकाश पर यातायात का दबाव कम होगा और विमानों को उतरने व उड़ान के लिए इंतजार नही करना पड़ेगा। यातायात के व्यस्त समय में राजधानी में प्रति एक़ मिनट में एक विमान का आवागमन होता है। प्रतिदिन लगभग 660 विमानों का आवागमन राजधानी में होता है औसतन 30 से 40 विमान प्रति घंटा यहां आवागमन करते हैं। तीन वर्ष में इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर आने व जाने वाले विमानों की संख्या में लगभग 65 हजार उड़ानों की वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्ष में हवाई उड़ानों की संख्या दोगुने से भी अधिक हो गई है, यही कारण है कि मौजुदा दोनों रनवे पर विमानों का दबाव रहता है।
घरेलू उड़ानों पर 16 मिलियन यात्राी हैं प्रति वर्ष
घरेलू टर्मिनल की मौजुदा क्षमता है 8 मिलियन यात्राी प्रति वर्ष
इस वर्ष के अंत तक घरेलू टर्मिनल की क्षमता 18 मिलियन करने की तैयारी
वर्ष के अंत तक तैयार होगा नया घरेलू टर्मिनल 1-डी
इस टर्मिनल की क्षमता होगी 10 मिलियन यात्राी प्रति वर्षवर्ष 2010 तक हवाई अड्डे की क्षमता होगी 60 मिलियन यात्राी प्रति वर्ष
4430 मीटर लंबा और 60 मीटर चैड़ा है तीसरा रनवे
इस रनवे पर बड़े विमान पर उतर सकेंगे आसानी से
रनवे पर इलैक्ट्रानिक उपकरणों का काम बाकी
डीजीसीए ने दिये काम पूरा करने के निर्देश
आकाश पर विमानों का दबाव होगा कम
प्रतिदिन औसतन 660 विमानों का होता है आवागमन
व्यस्त समय के दौरान प्रति मिनट में एक विमान का होता है आवागमन
औसतन ढाई से तीन मिनट में एक विमान का होता है आवागमन
एक वर्ष में हुई 231200 उड़ानों का हुआ आवागमन
लेण्डिंग के लिए घंटो आकाश में चमारीक्कर लगाने से मिलेगी मुक्ति
सवेरे 7 से 10 तथा शाम 6 से 9 बजे तक रहती है मारा
राजधानी के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तीसरे रनवे पर उतरने के लिए विमानो ंको अभी इंतजार करना होगा। हालांकि रनवे बनकर तैयार हो चुका है लेकिन सिग्नल व्यवस्था एवं इलैक्ट्रानिक उपकरणों का काम अभी बाकी है। डीजीसीए ने रनवे का काम जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये हैं बावजूद इसके सितंबर माह से पूर्व रनवे शुरु होने की संभावना नहीं है। राजधानी के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर फिलहाल दो ही रनवे है लेकिन हवाई यातायात दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। बढ़ते हवाई यातायात के चलते यहां आने वाले विमानों को रनवे खाली न होने के कारण उतरने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है तथा उड़ान भरने वाले विमानों में भी अक्सर देरी हो जाती है। कई बार तो सवेरे व शाम के दौरान व्यस्त समय में विमानों को रनवे पर उतरने के लिए आकाश पर काफी देर तक चक्कर लगाना पड़ता है। यही नहीं रनवे की चैड़ाई कम होने के कारण इस रनवे पर बड़े विमान भी आसानी से नहीं उतर सकते। हवाई अड्डे पर बढ़ते यातायात को देखते हुए ही एक नये आधुनिक रनवे की आवश्यकता महसूस की गई और हवाई अड्डे को निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (डायल) ने हवाई अड्डे के विकास के लिए बनाये गये मास्टर प्लान में तीसरे रनवे के निर्माण को भी शामिल किया। हवाई अड्डे पर मौजुदा रनवे 10/28 की लबाई 3815 मीटर है तथा चैड़ाई 45 मीटर है जबकि दूसरे रनवे 9/27 की लंबाई 2810 मीटर तथा चैड़ाई 45 मीटर है। इन दोनों रनवे की चैड़ाई कम होने के कारण ए380 जैसे बड़े विमानों को यहां उतरने में कठिनाई होती रही है लेकिन डायल द्वारा बनाये जा रहे तीसरे रनवे की लंबाई 4430 मीटर तथा चैड़ाई 60 मीटर है जिससे बड़े विमानों को यहां उतरने में कठिनाई नहीं होगी। यह रनवे कैट थ्री बी सुविधा से सुसज्जित होगा। हाल ही में डीजीसीए ने भी डायल तथा एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया को रनवे का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये हैं। डायल के असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट अरुण अरोड़ा का कहना है कि डायल ने रनवे तैयार कर दिया है अब कुछ काम अन्य एजेंसियों को करना है। उन्होंने कहा कि अगस्त माह के अंत तक काम पूरा हो जायेगा तथा संभवतः इस रनवे का ट्रायल भी शुरु हो जायेगा। उन्होंने बताया कि ट्रायल के बाद सितंबर में रनवे को विमानों के लिए खोल दिया जायेगा। इसके बाद आकाश पर यातायात का दबाव कम होगा और विमानों को उतरने व उड़ान के लिए इंतजार नही करना पड़ेगा। यातायात के व्यस्त समय में राजधानी में प्रति एक़ मिनट में एक विमान का आवागमन होता है। प्रतिदिन लगभग 660 विमानों का आवागमन राजधानी में होता है औसतन 30 से 40 विमान प्रति घंटा यहां आवागमन करते हैं। तीन वर्ष में इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर आने व जाने वाले विमानों की संख्या में लगभग 65 हजार उड़ानों की वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्ष में हवाई उड़ानों की संख्या दोगुने से भी अधिक हो गई है, यही कारण है कि मौजुदा दोनों रनवे पर विमानों का दबाव रहता है।
बढ़ती मांग ने राजधानी में बढाया सीएनजी संकट
- पैट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से सीएनजी की मांग बढ़ी
दो वर्ष में बढ़ गये 250 प्रतिशत सीएनजी यूजर्स
सीएनजी स्टेशनों पर लगी हैं लंबी कतारें
पिछले एक माह में ही बढ़ी दो लाख किलो सीएनजी की खपत
पैट्रोल,डीजल की कीमतें बढ़ने से सीएनजी कनवर्ट कराने वालों की संख्या बढ़ी
मुरली देवड़ा ने किया आईजीएल के एमडी को तलब
आईजीएल ने बताई समस्याएं
एनसीआर से आने वाले वाहन बने बड़ी समस्या30 प्रतिशत वाहनों का दबाव होता है एनसीआर से
आईजीएल के पास नहीं है सीएनजी की कमी
कम्प्रेशर क्षमता है सीएनजी स्टेशनो पर कतारों का प्रमुख कारण
वाहनों के अनुपात में नहीं बढ़ रहे हैं सीएनजी स्टेशन
भूमि आवंटित न होने के कारण बेबस है आईजीएल
भूमि के लिए 40 आवेदन दबे हैं फाइलों मेंमौजुदा स्टेशनों की क्षमता बढाने की शुरु हुई तैयारी
2.25 लाख प्राइवेट व सार्वजनिक वाहन प्रतिदिन भरवाते हैं सीएनजी
सीएनजी स्टेशनों की संख्या है कुल 163 - आईजीएल के स्टेशन 65पैट्रोल पम्पों पर लगे 75डीटीसी डिपो में लगे स्टेशन 23
13 लाख किलो खपत होती है प्रतिदिन
एक माह में दो लाख किलो सीएनजी की खपत बढ़ी
आईजीएल ने विदेश से मंगाये 54 नये हाईकैपिसिटी कम्परेशर व 120 नये डिस्पेंसर
सीएनजी वाहनों की - संख्यासीएनजी बसें २२५०० आटो रिक्शा ५५००० छोटे माल वाहक वाहन 24500
एनसीआर से प्रतिदिन आने वाले सीएनजी वाहन लगभग 40 हजार
अन्य प्राइवेट वाहन लगभग 1 लाख
पैट्रोलियम पदार्थो की लगातार बढ़ती कीमतों ने राजधानी के सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की कतार लंबी कर दी है। पिछले एक माह में ही जहां सीएनजी की खपत में दो लाख किलो की बढ़ोत्तरी हो गई है वहीं पिछले दो वर्ष में 250 प्रतिशत सीएनजी के उपभोक्ता बढ़ गये है, यही कारण है कि सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की कतार छोटी नहीं हो रही है। इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के पास पर्याप्त सीएनजी तो है लेकिन पर्याप्त संसाधन व स्टेशनों की कमी होने के कारण यह समस्या विकराल हो रही है। आईजीएल ने दिसंबर तक संसाधनों व स्टेशनों का पूर्ण विस्तार करने की योजना बनाई है। राजधानी में सीएनजी गैस की आपूर्ति की जिम्मेदारी इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के पास है लेकिन आईजीएल प्रबंधन के सामने मुख्य समस्या यह है कि समय के साथ साथ राजधानी में सीएनजी उपभोक्ताओं की बढ़ोत्तरी तो हो रही है लेकिन उस अनुपात में आईजीएल के संसाधनों की बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। कहीं स्टेशन के लिए जमीन न मिलने की समस्या है तो कहीं कोई अन्य तकनीकी अड़चन सामने खड़ी है, नतीजतन विस्तार की तमाम योजनाएं अभी तक खटाई में पड़ी रही हैं। पैट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों के कारण प्राइवेट वाहन संचालक अब अपने वाहनों में सीएनजी किट लगवाना पसंद कर रहे हैं। औसतन प्रतिदिन 150 से 200 नये वाहनों में सीएनजी किट लगाई जा रही है जिससे आईजीएल के स्टेशनों पर दबाव बढ़ रहा है। हाल ही में लगभग 5000 स्कूली वैन भी सीएनजी में परिर्वतित कर दी गई है। इसके अलावा प्रतिदिन अनुमानित 30 से 40 हजार वाहन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा से दिल्ली में आते हैं और एनसीआर में कहीं सीएनजी स्टेशन न होने के कारण इनका दबाव भी राजधानी के स्टेशनों पर ही रहता है। अक्टूबर 2007 में आईजीएल को नोयडा में स्टेशन लगाने की अनुमति मिली है लेकिन अभी तक नोयडा में एक छोटा स्टेशन स्थापित हो सका है, अन्य स्टेशनों के लिए तकनीकी अड़चने दूर होने व भूमि आवंटित होने का इंतजार आईजीएल कर रही है। सीएनजी स्टेशनों पर बढ़ते दबाव का प्रमुख कारण स्टेशनों की कम्प्रेशर क्षमता में कमी होना, वाहनो ंकी संख्या बढ़ना तथा नये स्टेशनों के खुलने में देरी होना है। आईजीएल प्रबंधक निदेशक ओम नारायण कहते हैं कि वह लंबे समय से नये स्टेशनों के लिए भूमि आवंटित होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन भूमि संबधी लगभग 40 आवेदन डीडीए और एमसीडी की फाइलों में दबे हुए हैं। वह कहते हैं कि वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है जिसे देखते हुए 54 नये कम्प्रेशर आयात करने के अलावा 120 सीएनजी डिस्पेंसर मंगाये गये हैं जिनके लगने के बाद सीएनजी कम्प्ररेशर क्षमता में 30 से 40 प्रतिशत की बढोत्तरी हो जायेगी। उन्होंने बताया कि विस्तार की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है और दिसंबर तक समस्या का समाधान पूरी तरह हो जायेगा। रसीएनजी के मौजुदा स्टेशनों पर लगी कम्परेशर मशीनें लगातार 18-18 घंटे चलाई जा रही है इसके बावजूद सभी वाहनों को सीएनजी उपलब्ध नहीं हो पाती। लगभग 3 से 4 किलो सीएनजी की कमी रोजाना दिखाई देती है जबकि यह कमी केवल कम्परेशर क्षमता न होने के कारण ही है, वास्तव में आईजीएल के पास सीएनजी की कमी नहीं है। राजधानी में सीएनजी की प्रतिदिन की खपत लगभग 13 लाख किलो है। बीते एक माह में ही दो लाख किलो की मांग बढ़ गई है। हालांकि कम्प्रेशन की मौजुदा क्षमता आईजीएल के पास 21 लाख किलो प्रतिदिन की है लेकिन कम्प्रेशर मशीनें कुल क्षमता का 50 प्रतिशत ही कार्य सुविधाजनक तरीके से करती हैं नतीजतन लगभग 10.5 लाख किलो प्रतिदिन की आपूर्ति तो आराम से हो जाती है लेकिन इससे ऊपर की मांग को पूरा करने के लिए आईजीएल को मशक्कत का सामना करना पड़ता है। पेट्रोलियम मंत्राी ने आईजीएल प्रबंध निदेशक को किया तलब
राजधानी में सीएनजी को लेकर उत्पन्न संकट को देखते हुए केन्द्रीय पैट्रोलियम मंत्राी मुरली देवड़ा ने आज आईजीएल के प्रबंध निदेशक को तलब किया। आईजीएल प्रबंधक निदेशक ओम नारायण ने विभिन्न तकनीकी अड़चनों से मंत्राी को अवगत कराया। राजधानी में सीएनजी स्टेशनों पर लगी लंबी कतारों तथा लोगों को हो रही कठिनाई के मद्देनजर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्राी मुरली देवड़ा ने आज आईजीएल के प्रबंध निदेशक ओम नारायण को बुलाकर सीएनजी संकट पर चर्चा की। इस दौरान प्रबंध निदेशक ओम नारायण ने उन्हें बताया कि भूमि उपलब्ध न होने के कारण ही नये स्टेशन स्थापित करने में अडचन आ रही है। उन्होने बताया कि स्टेशनों की कम्प्रेशर क्षमता बढ़ाने के लिए 54 हाईकैपिसिटी मशीने आयात की गई हैं। उन्होंने बताया कि नोयडा में एक स्टेशन के लिए 40 करोड़ का निवेश पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने मंत्राी के समक्ष स्पष्ट किया सीएनजी की कोई कमी नही, केवल कुछ ढांचागत सुविधाओं की कमी है जिसके चलते थोड़ा दबाव है। उन्होंने कहा कि नोयडा में आवंटित भूमि में अड़चन के कारण काम रुक गया है। उन्होंने बताया कि नोयडा में पाइप लाइन भी बिछा दी है वहां भूमि आवंटन में हो रही अड़चन दूर होती ही स्टेशन काम करने लगेगा। केन्द्रीय मंत्राी मुरली देवड़ा ने तकनीकी समस्याओं के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्राी से बात करने के अलावा उत्तर प्रदेश व हरियाणा सरकार से भी इस संबध में बात करने का आश्वासन दिया है।
शुक्रवार, 18 जुलाई 2008
परमाणु करार पर सोनिया ने दिखाए तीखे तेवर
परमाणु करार व राष्ट्रहित के मुद्दे पर किसी के प्रमाणपत्रा की जरुरत नहीं: सोनिया
समझौते के मूड में नहीं है कांग्रेस,
चुनाव के लिए भी तैयार दिखाई दी सोनिया
संजय टुटेजा
नेल्लूर 17 जुलाई।
परमाणु करार मुद्दे पर संकट में घिरी कांग्रेस कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। यही नहीं पार्टी इस मुद्दे पर जनता के बीच जाने को भी तैयार दिखाई दे रही है। यूपीए चेयरमैन एवं कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने इस परमाणु करार को देश के लिए लाभकारी बताते हुए वामदलों व करार का विरोध कर रहे अन्य दलों के प्रति तीखे तेवर दिखाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस को अपनी देशभक्ति, विदेश नीति एवं परमाणु करार के मुद्दे पर किसी से प्रमाणपत्रा की जरूरत नहीं है। यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी ने आज आन्ध्रपदेश के अपने दौरे के दौरान नेल्लूर के एसी सुब्बारेडडी स्टेडियम में कांग्रेस की एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए परमाणु करार मुद्दे पर पार्टी और सरकार का पक्ष रखा साथ ही यह संकेत भी दिये कि किसी भी परिणाम के लिए पार्टी तैयार है और समझौते के कतई मूड में नहीं है। अपने दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्षा ने यहां प्रदेश के 1.86 करोड बीपीएल कार्ड धारकों के लिए राजीव आरोग्यश्री स्वास्थ्य योजना की शुरुआत की एवं कृष्णापट्टम बंदरगाह का उद्घाटन कर इस बंदरगाह को देश को समर्पित करने के साथ साथ आन्ध्रप्रदेश के प्रमुख नेता दामोदरन संजीवैय्या के नाम पर 800 मेगावाट के दो थर्मल प्वार प्लांट की नींव भी रखी। तपती धूप में स्टेडियम को खचाखच भरा देख कांग्रेस अध्यक्षा उत्साहित थी, जनसैलाब को देखकर उनके तेवर आक्रामक तो दिखाई दिये लेकिन उन्होंने वामदलों के प्रति कठोर शब्दों का प्रयोग करने से परहेज किया। उन्होंने अपने संबोधन में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्राी श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की शहादत का भी जिक्र किया और कांग्रेस द्वारा ही देश को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर साख प्रदान किये जाने की बात कही। उन्होने कहा कि कांग्रेस ने ही देश को परमाणु कार्यक्रम दिया व स्वतंत्रा विदेश नीति दी। उन्होंने कहा कि जिस करार के जरिए हम देश में परमाणु प्लांट लगा सकते हैं और देश में आधुनिक तकनीक ला सकते हैं, उसी करार के मुद्दे पर वामदलों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यह मुद्दा कांग्रेस व सरकार के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, यह सवाल जनता पूछ सकती है, यह करार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश को ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा चाहिए। उन्होंने कहा कि इस करार से देश के किसानों, अस्पतालों, उद्योगों व आम नागरिकों को पर्याप्त बिजली मिल सकेगी। देश में अभी कोयले व पानी से बिजली का उत्पादन हो रहा है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, मांग लगातार बढ रही है, यही कारण है कि आधुनिक परमाणु तकनीक व ईंधन की जरूरत है। जब सरकार यह तकनीक ला रही है तो सरकार को दोषी बताया जा रहा है और देश हित के खिलाफ जाने के आरोप लगाये जा रहे हैं। देश हित, परमाणु करार व स्वतंत्रा विदेश नीति पर न तो यह सरकार कोई समझौता करने वाली है और न ही कांग्रेस एैसा करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही देश को सर्वशक्तिमान बनाया और अब विदेश नीति, परमाणु करार ओर देश भक्ति पर कांग्रेस को किसी से प्रमाणपत्रा नहीं चाहिए। कांग्रेस अध्यक्षा ने कहा कि कांग्रेस भेदभाव फैलानी वाली एवं नफरत फैलाने वाली राजनीति नहीं करती। कांग्रेस सभी को साथ लेकर चलने व देश को जोड़ने वाल राजनीति करती है। आज सबको जोड़ने वाली राजनीति की ही जरूरत है। भाजपा का नाम लिए बगैर भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन दलों की तरह नहीं है जो नफरत फैलाने और घृणा के जरिए लोगों को बांटने की राजनीति करते हैं। उन्होंने आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्राी वाई एस राजशेखर रेड्डी की पीठ थपथपाते हुए कहा कि चार वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने आन्ध्रप्रदेश को विकास की दृष्टि से देश का नम्बर एक राज्य बना दिया है। यहां श्रमिकों, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों व दलितों के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की गई है। उन्होने कहा कि आज देश का किसान निराश है, बेटी की शादी के लिए उसे भूमि गिरवी रखकर कर्ज लेना पडता है, कांग्रेस की इसी हालत को देखते हुए केन्द्र सरकार ने किसानों का 75 हजार करोड कर्ज माफ किया जिसका सबसे बडा लाभ आन्ध्रपदेश के किसानों को मिला। उन्होने कहा कि देश में कृषि ऋण पर ब्याज की दर 7 प्रतिशत है लेकिन आन्ध्रपेदश में यह दर 3 प्रतिशत है जिससे पता चलता है कि कांग्रेस की प्राथमिकता किसानों का हित है। उन्होंने बताया कि अनंतपुरम से शुरु की गई नेशनल रूरल इम्पाइमेंट गारंटी एक्ट की रोजगार योजना को अब पूरे देश में लागू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने देश में 2000 से ज्यादा आबादी वाले कस्बों एवं गांवों को सडकों के जरिए शहरों से जोडने का निर्णय लिया है। उन्होंने बढती महंगाई का कारण अन्तराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए कार्यकाल में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें 35 डाल प्रति बैरल से 147 डालर प्रति बैरल होने के बावजूद कांग्रेस ने कैरोसीन की कीमत नहीं बढाई तथा रसोई गैस की दरों में भी राहत दी। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने अपने कार्यकाल में कई बार पेट्रोलियम पदार्थो की दरें बढाई।
समझौते के मूड में नहीं है कांग्रेस,
चुनाव के लिए भी तैयार दिखाई दी सोनिया
संजय टुटेजा
नेल्लूर 17 जुलाई।
परमाणु करार मुद्दे पर संकट में घिरी कांग्रेस कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। यही नहीं पार्टी इस मुद्दे पर जनता के बीच जाने को भी तैयार दिखाई दे रही है। यूपीए चेयरमैन एवं कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने इस परमाणु करार को देश के लिए लाभकारी बताते हुए वामदलों व करार का विरोध कर रहे अन्य दलों के प्रति तीखे तेवर दिखाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस को अपनी देशभक्ति, विदेश नीति एवं परमाणु करार के मुद्दे पर किसी से प्रमाणपत्रा की जरूरत नहीं है। यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी ने आज आन्ध्रपदेश के अपने दौरे के दौरान नेल्लूर के एसी सुब्बारेडडी स्टेडियम में कांग्रेस की एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए परमाणु करार मुद्दे पर पार्टी और सरकार का पक्ष रखा साथ ही यह संकेत भी दिये कि किसी भी परिणाम के लिए पार्टी तैयार है और समझौते के कतई मूड में नहीं है। अपने दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्षा ने यहां प्रदेश के 1.86 करोड बीपीएल कार्ड धारकों के लिए राजीव आरोग्यश्री स्वास्थ्य योजना की शुरुआत की एवं कृष्णापट्टम बंदरगाह का उद्घाटन कर इस बंदरगाह को देश को समर्पित करने के साथ साथ आन्ध्रप्रदेश के प्रमुख नेता दामोदरन संजीवैय्या के नाम पर 800 मेगावाट के दो थर्मल प्वार प्लांट की नींव भी रखी। तपती धूप में स्टेडियम को खचाखच भरा देख कांग्रेस अध्यक्षा उत्साहित थी, जनसैलाब को देखकर उनके तेवर आक्रामक तो दिखाई दिये लेकिन उन्होंने वामदलों के प्रति कठोर शब्दों का प्रयोग करने से परहेज किया। उन्होंने अपने संबोधन में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्राी श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की शहादत का भी जिक्र किया और कांग्रेस द्वारा ही देश को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर साख प्रदान किये जाने की बात कही। उन्होने कहा कि कांग्रेस ने ही देश को परमाणु कार्यक्रम दिया व स्वतंत्रा विदेश नीति दी। उन्होंने कहा कि जिस करार के जरिए हम देश में परमाणु प्लांट लगा सकते हैं और देश में आधुनिक तकनीक ला सकते हैं, उसी करार के मुद्दे पर वामदलों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यह मुद्दा कांग्रेस व सरकार के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, यह सवाल जनता पूछ सकती है, यह करार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश को ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा चाहिए। उन्होंने कहा कि इस करार से देश के किसानों, अस्पतालों, उद्योगों व आम नागरिकों को पर्याप्त बिजली मिल सकेगी। देश में अभी कोयले व पानी से बिजली का उत्पादन हो रहा है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, मांग लगातार बढ रही है, यही कारण है कि आधुनिक परमाणु तकनीक व ईंधन की जरूरत है। जब सरकार यह तकनीक ला रही है तो सरकार को दोषी बताया जा रहा है और देश हित के खिलाफ जाने के आरोप लगाये जा रहे हैं। देश हित, परमाणु करार व स्वतंत्रा विदेश नीति पर न तो यह सरकार कोई समझौता करने वाली है और न ही कांग्रेस एैसा करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही देश को सर्वशक्तिमान बनाया और अब विदेश नीति, परमाणु करार ओर देश भक्ति पर कांग्रेस को किसी से प्रमाणपत्रा नहीं चाहिए। कांग्रेस अध्यक्षा ने कहा कि कांग्रेस भेदभाव फैलानी वाली एवं नफरत फैलाने वाली राजनीति नहीं करती। कांग्रेस सभी को साथ लेकर चलने व देश को जोड़ने वाल राजनीति करती है। आज सबको जोड़ने वाली राजनीति की ही जरूरत है। भाजपा का नाम लिए बगैर भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन दलों की तरह नहीं है जो नफरत फैलाने और घृणा के जरिए लोगों को बांटने की राजनीति करते हैं। उन्होंने आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्राी वाई एस राजशेखर रेड्डी की पीठ थपथपाते हुए कहा कि चार वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने आन्ध्रप्रदेश को विकास की दृष्टि से देश का नम्बर एक राज्य बना दिया है। यहां श्रमिकों, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों व दलितों के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की गई है। उन्होने कहा कि आज देश का किसान निराश है, बेटी की शादी के लिए उसे भूमि गिरवी रखकर कर्ज लेना पडता है, कांग्रेस की इसी हालत को देखते हुए केन्द्र सरकार ने किसानों का 75 हजार करोड कर्ज माफ किया जिसका सबसे बडा लाभ आन्ध्रपदेश के किसानों को मिला। उन्होने कहा कि देश में कृषि ऋण पर ब्याज की दर 7 प्रतिशत है लेकिन आन्ध्रपेदश में यह दर 3 प्रतिशत है जिससे पता चलता है कि कांग्रेस की प्राथमिकता किसानों का हित है। उन्होंने बताया कि अनंतपुरम से शुरु की गई नेशनल रूरल इम्पाइमेंट गारंटी एक्ट की रोजगार योजना को अब पूरे देश में लागू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने देश में 2000 से ज्यादा आबादी वाले कस्बों एवं गांवों को सडकों के जरिए शहरों से जोडने का निर्णय लिया है। उन्होंने बढती महंगाई का कारण अन्तराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए कार्यकाल में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें 35 डाल प्रति बैरल से 147 डालर प्रति बैरल होने के बावजूद कांग्रेस ने कैरोसीन की कीमत नहीं बढाई तथा रसोई गैस की दरों में भी राहत दी। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने अपने कार्यकाल में कई बार पेट्रोलियम पदार्थो की दरें बढाई।
गरीबों को महंगे अस्पतालों में मिलेगा निशुल्क उपचार
स्वीडन, यूके एवं यूएसए की तर्ज पर बनी राजीवगांधी आरोग्यश्री योजना सोनिया ने आन्ध्रप्रदेश के 1।86 करोड़ बीपीएल परिवारों को दिया तोहफा
एक दर्जन राज्यों ने दिखाई इस योजना में रूचि
संजय टुटेजा
नेल्लूर 18 जुलाई।
आन्ध्रप्रदेश के गरीबों के लिए यह सपना नहीं बल्कि हकीकत है। न तो अब उन्हें उपचार के अभाव में तिल तिल मौत के मूंह में जाना पड़ेगा और न ही सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाने होंगे। वह जिस निजी अस्पताल में चाहें, अपना उपचार व बड़े से बड़ा आपरेशन निशुल्क करा सकेंगे। स्वीडन, यूके एवं यूएसए की तर्ज पर इस तरह की योजना भारत में पहली बार आन्ध्रपदेश में लागू की गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर प्रदेश के सभी1.86 करोड़ बीपीएल परिवारों को इस योजना में शामिल कर दिया है। राजीवगांधी आरोग्यश्री योजना की खासियत यह है कि इसमें प्रत्येक बीपीएल कार्ड धारक परिवार को अपनी पसंद के निजी अस्पताल में निशुल्क उपचार की सुविधा होगी। यह एक बीमा योजना है जिसका प्रीमियम गरीबों से नहीं लिया जायेगा बल्कि सरकार स्वयं प्रीमियम अदा करेगी। इस योजना में 533 किस्म की आपरेशन संबधी गंभीर व जटिल रोगों को शामिल किया गया है। छोटी से छोटी बीमारी होने पर भी गरीबों को घर बैठे ही प्राथमिक उपचार व एम्बूलेंस सुविधा हासिल हो जाये इसके लिए एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया है। इस नेटवर्क के तहत पीएचसी स्तर पर नियमित शिविर व उपचार से लेकर चिन्हित रोगियों को उनकी पसंद के अस्पतालों में बेहतर उपचार उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। मरीज को घर से अस्पताल तक लाने व उपचार के बाद घर तक छोड़ने का एम्बुलेंस खर्च भी मरीज को अदा नहीं करना पड़ेगा। सभी बीपीएल कार्ड धारकां को सफेद रंग के कार्ड प्रदान किये जा रहे हैं जिन पर उनके परिवार का फोटो व बीपीएल कार्ड का नम्बर अंकित है। यह कार्ड ही उनकी पहचान होगा और इसी कार्ड के आधार पर उन्हें कहीं भी जटिल से जटिल रोग का उपचार कराने की सुविधा होगी। इस योजना के पैनल में 300 से अधिक निजी व बड़े अस्पताल शामिल हैं। उपचार के बाद उपचार का पूरा बिल अस्पताल द्वारा बीमा कंपनी को भेजा जायेगा और रोगी से संतुष्टि के बाद ही बीमा कंपनी संबधित अस्पताल को भुगतान अदा करेगी। आन्ध्रप्रदेश में राजीवगांधी आरोग्यश्री योजना की शुरुआत यूं तो 1 अप्रैल वर्ष 07 में 13 जिलों में लागू की गई थी लेकिन तब यह एक प्रयोग भर था। भ्रष्टाचार की तमाम संभावनाओं को नकारते हुए इस योजना से जब गरीबों को भी निजी अस्पतालों में निशुल्क इलाज मिलने लगा तो इस योजना का विस्तार करने का निर्णय लिया गया। अब तक 3.86 करोड़ बीपीएल आबादी इस योजना का लाभ उठा चुकी है और इस योजना की सफलता से देश भर के लगभग एक दर्जन राज्य भी अब इसका अध्ययन कर इसे लागू करने पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आन्ध्रपदेश का यह दौरा चुनावी दौरा तो नहीं था अलबत्ता इस दौरे के दौरान प्रदेश के गरीब बीपीएल कार्ड धारक परिवारों को एक एैसी सौगात मिल गई है जो उनके लिए केवल सपना भर थी। इस तोहफे की खासियत यह है कि इसमें भ्रष्टाचार की कोई संभावना नहीं है और प्रदेश का प्रत्येक बीपीएल कार्ड धारक परिवार इस योजना का लाभ उठा सकेगा। निश्चित रूप से सोनिया गांधी ने प्रदेश के सभी 23 जनपदों के लिए राजीव गांधी आरोग्यश्री योजना के द्वितीय चरण की शुरुआत कर प्रदेश की गरीब जनता को सुलभ चिकित्सा का तो तोहफा दिया ही है साथ ही अपने दौरे को भी एैतिहासिक बना दिया है।
एक दर्जन राज्यों ने दिखाई इस योजना में रूचि
संजय टुटेजा
नेल्लूर 18 जुलाई।
आन्ध्रप्रदेश के गरीबों के लिए यह सपना नहीं बल्कि हकीकत है। न तो अब उन्हें उपचार के अभाव में तिल तिल मौत के मूंह में जाना पड़ेगा और न ही सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगाने होंगे। वह जिस निजी अस्पताल में चाहें, अपना उपचार व बड़े से बड़ा आपरेशन निशुल्क करा सकेंगे। स्वीडन, यूके एवं यूएसए की तर्ज पर इस तरह की योजना भारत में पहली बार आन्ध्रपदेश में लागू की गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर प्रदेश के सभी1.86 करोड़ बीपीएल परिवारों को इस योजना में शामिल कर दिया है। राजीवगांधी आरोग्यश्री योजना की खासियत यह है कि इसमें प्रत्येक बीपीएल कार्ड धारक परिवार को अपनी पसंद के निजी अस्पताल में निशुल्क उपचार की सुविधा होगी। यह एक बीमा योजना है जिसका प्रीमियम गरीबों से नहीं लिया जायेगा बल्कि सरकार स्वयं प्रीमियम अदा करेगी। इस योजना में 533 किस्म की आपरेशन संबधी गंभीर व जटिल रोगों को शामिल किया गया है। छोटी से छोटी बीमारी होने पर भी गरीबों को घर बैठे ही प्राथमिक उपचार व एम्बूलेंस सुविधा हासिल हो जाये इसके लिए एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया है। इस नेटवर्क के तहत पीएचसी स्तर पर नियमित शिविर व उपचार से लेकर चिन्हित रोगियों को उनकी पसंद के अस्पतालों में बेहतर उपचार उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। मरीज को घर से अस्पताल तक लाने व उपचार के बाद घर तक छोड़ने का एम्बुलेंस खर्च भी मरीज को अदा नहीं करना पड़ेगा। सभी बीपीएल कार्ड धारकां को सफेद रंग के कार्ड प्रदान किये जा रहे हैं जिन पर उनके परिवार का फोटो व बीपीएल कार्ड का नम्बर अंकित है। यह कार्ड ही उनकी पहचान होगा और इसी कार्ड के आधार पर उन्हें कहीं भी जटिल से जटिल रोग का उपचार कराने की सुविधा होगी। इस योजना के पैनल में 300 से अधिक निजी व बड़े अस्पताल शामिल हैं। उपचार के बाद उपचार का पूरा बिल अस्पताल द्वारा बीमा कंपनी को भेजा जायेगा और रोगी से संतुष्टि के बाद ही बीमा कंपनी संबधित अस्पताल को भुगतान अदा करेगी। आन्ध्रप्रदेश में राजीवगांधी आरोग्यश्री योजना की शुरुआत यूं तो 1 अप्रैल वर्ष 07 में 13 जिलों में लागू की गई थी लेकिन तब यह एक प्रयोग भर था। भ्रष्टाचार की तमाम संभावनाओं को नकारते हुए इस योजना से जब गरीबों को भी निजी अस्पतालों में निशुल्क इलाज मिलने लगा तो इस योजना का विस्तार करने का निर्णय लिया गया। अब तक 3.86 करोड़ बीपीएल आबादी इस योजना का लाभ उठा चुकी है और इस योजना की सफलता से देश भर के लगभग एक दर्जन राज्य भी अब इसका अध्ययन कर इसे लागू करने पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आन्ध्रपदेश का यह दौरा चुनावी दौरा तो नहीं था अलबत्ता इस दौरे के दौरान प्रदेश के गरीब बीपीएल कार्ड धारक परिवारों को एक एैसी सौगात मिल गई है जो उनके लिए केवल सपना भर थी। इस तोहफे की खासियत यह है कि इसमें भ्रष्टाचार की कोई संभावना नहीं है और प्रदेश का प्रत्येक बीपीएल कार्ड धारक परिवार इस योजना का लाभ उठा सकेगा। निश्चित रूप से सोनिया गांधी ने प्रदेश के सभी 23 जनपदों के लिए राजीव गांधी आरोग्यश्री योजना के द्वितीय चरण की शुरुआत कर प्रदेश की गरीब जनता को सुलभ चिकित्सा का तो तोहफा दिया ही है साथ ही अपने दौरे को भी एैतिहासिक बना दिया है।
मंगलवार, 15 जुलाई 2008
अब सिख पंथ के सहारे सरकार बचाने की कोशिश
सिखों के जरिए बादल पर दबाव बनाने में जुटी कांग्रेस
सिख प्रधानमंत्राी के सम्मान के लिए पंजाब में होंगी जनसभायें
संजय टुटेजा
कांग्रेस ने अब सिख पंथ का सहारा लेकर सरकार को बचाने की कोशिश शुरु कर दी है। देश में एक सिख प्रधानमंत्राी की सरकार बचाने तथा पंथ का गौरव बनाये रखने के लिए बादल गुट के सिख सांसदों पर सिख संगत के जरिए दबाव बनाने की का प्रयास हो रहा है। इसके लिए पंजाब के प्रमुख शहरों में जनसभाएं आयोजित कर शिरोमणि अकाली दल के नेता व मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई है। संसद में शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के 8 सांसद हैं। एनडीए का प्रमुख घटक होने के नाते यह माना जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल के सभी सांसद संसद में विश्वास मत के दौरान सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्राी व प्रमुख अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका दल एनडीए के साथ है और वह एनडीए के निर्णय का पालन करेगें। कांग्रेस को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्राी पद पर सिख समुदाय के डा।मनमोहन सिंह को पद पर बनाये रखने के लिए अकाली दल बादल या तो सरकार के समर्थन में मतदान कर सकता है या फिर अकाली दल के सांसद मतदान के दौरान संसद से अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद कर सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल के तेवर से कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। प्रकाश सिंह बादल का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने अब सिख समुदाय के जरिए बादल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। पंथ के सम्मान व पंथ के गौरव के मुद्दे पर बादल को घेरने की रणनीति बनाई गई है। इसके लिए सिख समाज में पार्टी के प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बादल से अपील करने के साथ साथ पंथ की बैठकें बुलाकर पंथ को भी इस मुद्दे पर एकजुट करें ताकि बादल पर दबाव बन सके।इसी कड़ी में कल एक बड़ी सभा में कुछ संगठनों द्वारा अमृतसर में बुलाई गई है। अमृतसर की सभा के बाद मोगा व संगरुर में तथा संसद में मतदान से पूर्व चण्डीगढ़ में भी इस तरह की एक सभा बुलाई गई है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि पंजाब में सिख समाज की सिख प्रधानमंत्राी मुद्दे पर एक राय बना ली जाये तो शिरोमणि अकाली दल बादल पर दबाव डाला जा सकता है। इस दबाव में प्रकाश सिंह बादल भले ही कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान न करें लेकिन यदि बादल अपने सांसदों को विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहने के निर्देश भी दें दें तो यूपीए सरकार की नैया आसानी से पार हो जायेगी।
सिख प्रधानमंत्राी के सम्मान के लिए पंजाब में होंगी जनसभायें
संजय टुटेजा
कांग्रेस ने अब सिख पंथ का सहारा लेकर सरकार को बचाने की कोशिश शुरु कर दी है। देश में एक सिख प्रधानमंत्राी की सरकार बचाने तथा पंथ का गौरव बनाये रखने के लिए बादल गुट के सिख सांसदों पर सिख संगत के जरिए दबाव बनाने की का प्रयास हो रहा है। इसके लिए पंजाब के प्रमुख शहरों में जनसभाएं आयोजित कर शिरोमणि अकाली दल के नेता व मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई गई है। संसद में शिरोमणि अकाली दल बादल गुट के 8 सांसद हैं। एनडीए का प्रमुख घटक होने के नाते यह माना जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल के सभी सांसद संसद में विश्वास मत के दौरान सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्राी व प्रमुख अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका दल एनडीए के साथ है और वह एनडीए के निर्णय का पालन करेगें। कांग्रेस को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्राी पद पर सिख समुदाय के डा।मनमोहन सिंह को पद पर बनाये रखने के लिए अकाली दल बादल या तो सरकार के समर्थन में मतदान कर सकता है या फिर अकाली दल के सांसद मतदान के दौरान संसद से अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद कर सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्राी प्रकाश सिंह बादल के तेवर से कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। प्रकाश सिंह बादल का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने अब सिख समुदाय के जरिए बादल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। पंथ के सम्मान व पंथ के गौरव के मुद्दे पर बादल को घेरने की रणनीति बनाई गई है। इसके लिए सिख समाज में पार्टी के प्रमुख नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बादल से अपील करने के साथ साथ पंथ की बैठकें बुलाकर पंथ को भी इस मुद्दे पर एकजुट करें ताकि बादल पर दबाव बन सके।इसी कड़ी में कल एक बड़ी सभा में कुछ संगठनों द्वारा अमृतसर में बुलाई गई है। अमृतसर की सभा के बाद मोगा व संगरुर में तथा संसद में मतदान से पूर्व चण्डीगढ़ में भी इस तरह की एक सभा बुलाई गई है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि पंजाब में सिख समाज की सिख प्रधानमंत्राी मुद्दे पर एक राय बना ली जाये तो शिरोमणि अकाली दल बादल पर दबाव डाला जा सकता है। इस दबाव में प्रकाश सिंह बादल भले ही कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान न करें लेकिन यदि बादल अपने सांसदों को विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहने के निर्देश भी दें दें तो यूपीए सरकार की नैया आसानी से पार हो जायेगी।
सोमवार, 14 जुलाई 2008
अल्पसंख्यक महिलाओं में गुंजा वंदे मातरम
आल्पसंख्यक महिलाओं को वंदे मातरम का मंत्रा दे गये आडवाणी
भीड़ को देख आडवाणी सहित सभी नेता हुए गदगद
भाजपा को अछूत नहीं मानती अल्पसंख्यक महिलाये
महंगाई को लेकर कांग्रेस से दूर होती दिखाई दी
संजय टुटेजा
आज भाजपा के लिए शायद एक सुखद दिन था। अल्पसंख्यक महिलाओं के सम्मेलन में उमड़ी भीड़ ही आश्चर्यजनक नहीं थी, बल्कि पार्टी के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी के स्वर में स्वर मिलाकर मुस्लिम महिलाओं का ‘भारत माता की जय’ और वंदे मातरम’ के नारे लगाना भी कम आश्चर्यजनक नहीं था। आडवाणी ने इस सम्मेलन में महिलाओं को राष्ट्रप्रेम और वंदेमातरम का मंत्रा दिया। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष शाहनवाज हुसैन द्वारा यहां मावलंकर सभागार में अल्पसंख्यक महिलाओं का सम्मेलन भाजपा के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। सम्मेलन में उमड़ी मुस्लिम महिलाओं की भीड़ की को देखकर तो भाजपा के तमाम नेता गदगद थे ही, इस भीड़ के बहाने भाजपा नेताओं को मुसलमानों की दृष्टि में लगा अछूत का दाग मिटाने का मौका भी मिला। तमाम वक्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं को यही समझाने का प्रयास किया कि भाजपा उनके लिए अछूत नहीं बल्कि उनकी हितैषी है। सम्मेलन में आई मुस्लिम महिलाएं भाजपा की नीतियों रीतियों से भले ही संतुष्ट हों या न हों लेकिन महिलाओं में बढ़ती महंगाई को लेकर आक्रोश था और यही आक्रोश उन्हें सम्मेलन तक खींच कर भी लाया। भाजपा के प्रति इस लगाव के बारे में जब राष्ट्रीय सहारा ने कुछ महिलाओं को कुरेदा तो रोजी रोटी, गरीबी, महंगाई आदि समस्याओं से जूझ रही इन महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा। बल्ली मारान निवासी रेहाना बोली ‘28 रुपये की आधा किलो दाल हो गई है अब खायें पियें या भूखे मरें, कहां जाये। ओखला निवासी वहीदा का गुस्सा इस तरह दिखाई दिया ‘जहां मर्जी तोड़ फोड़ कर देते है, न रहने देते हैं न खाने देते है, गरीबों की तो जान लेना चाहते हैं ये सरकार वाले। ये भाजपा वाले ही ठीक हैं। सम्मेलन में भाजपा के प्रधानमंत्राी पद के दावेदार लालकृष्ण आडवाणी के प्रति महिलाओं में काफी आकर्षण दिखाई दिया। बुरका पहने एक महिला जब आडवाणी से उनका आटोग्राफ लेने बढ़ी तो सुरक्षाकर्मियों ने उसे पीछे हटाया। आडवाणी ने सम्मेलन में महिलाओं को राष्ट्रीयता का पाठ पड़ाया और वंदेमातरम का मंत्रा दिया। उन्होंने स्वयं महिलाओं से वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगवाये। मुस्लिम महिलाओं के मुख से इस तरह के नारे सचमुच आश्चर्यजनक था। सम्मेलन के संयोजकों को भी यह अंदाजा नहीं रहा था कि इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं वहां तक पहुंचेगी इसलिए शायद सम्मेलन को एक सभागार में समेटा गया था लेकिन जितनी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं सम्मेलन में पहुंची उससे इस सम्मेलन को एक सभागार में समेटना आयोजकों के लिए भी मुश्किल हो गया। हांलांकि अल्पसंख्यक मोर्चे का यह राष्ट्रीय सम्मेलन था लेकिन इसमें राजधानी दिल्ली की मुस्लिम महिलाओं की संख्या अधिक थी जिन्हें भाजपा के स्थानीय मुस्लिम नेता अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए वहां लाये थे।
भीड़ को देख आडवाणी सहित सभी नेता हुए गदगद
भाजपा को अछूत नहीं मानती अल्पसंख्यक महिलाये
महंगाई को लेकर कांग्रेस से दूर होती दिखाई दी
संजय टुटेजा
आज भाजपा के लिए शायद एक सुखद दिन था। अल्पसंख्यक महिलाओं के सम्मेलन में उमड़ी भीड़ ही आश्चर्यजनक नहीं थी, बल्कि पार्टी के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी के स्वर में स्वर मिलाकर मुस्लिम महिलाओं का ‘भारत माता की जय’ और वंदे मातरम’ के नारे लगाना भी कम आश्चर्यजनक नहीं था। आडवाणी ने इस सम्मेलन में महिलाओं को राष्ट्रप्रेम और वंदेमातरम का मंत्रा दिया। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष शाहनवाज हुसैन द्वारा यहां मावलंकर सभागार में अल्पसंख्यक महिलाओं का सम्मेलन भाजपा के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। सम्मेलन में उमड़ी मुस्लिम महिलाओं की भीड़ की को देखकर तो भाजपा के तमाम नेता गदगद थे ही, इस भीड़ के बहाने भाजपा नेताओं को मुसलमानों की दृष्टि में लगा अछूत का दाग मिटाने का मौका भी मिला। तमाम वक्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं को यही समझाने का प्रयास किया कि भाजपा उनके लिए अछूत नहीं बल्कि उनकी हितैषी है। सम्मेलन में आई मुस्लिम महिलाएं भाजपा की नीतियों रीतियों से भले ही संतुष्ट हों या न हों लेकिन महिलाओं में बढ़ती महंगाई को लेकर आक्रोश था और यही आक्रोश उन्हें सम्मेलन तक खींच कर भी लाया। भाजपा के प्रति इस लगाव के बारे में जब राष्ट्रीय सहारा ने कुछ महिलाओं को कुरेदा तो रोजी रोटी, गरीबी, महंगाई आदि समस्याओं से जूझ रही इन महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा। बल्ली मारान निवासी रेहाना बोली ‘28 रुपये की आधा किलो दाल हो गई है अब खायें पियें या भूखे मरें, कहां जाये। ओखला निवासी वहीदा का गुस्सा इस तरह दिखाई दिया ‘जहां मर्जी तोड़ फोड़ कर देते है, न रहने देते हैं न खाने देते है, गरीबों की तो जान लेना चाहते हैं ये सरकार वाले। ये भाजपा वाले ही ठीक हैं। सम्मेलन में भाजपा के प्रधानमंत्राी पद के दावेदार लालकृष्ण आडवाणी के प्रति महिलाओं में काफी आकर्षण दिखाई दिया। बुरका पहने एक महिला जब आडवाणी से उनका आटोग्राफ लेने बढ़ी तो सुरक्षाकर्मियों ने उसे पीछे हटाया। आडवाणी ने सम्मेलन में महिलाओं को राष्ट्रीयता का पाठ पड़ाया और वंदेमातरम का मंत्रा दिया। उन्होंने स्वयं महिलाओं से वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगवाये। मुस्लिम महिलाओं के मुख से इस तरह के नारे सचमुच आश्चर्यजनक था। सम्मेलन के संयोजकों को भी यह अंदाजा नहीं रहा था कि इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं वहां तक पहुंचेगी इसलिए शायद सम्मेलन को एक सभागार में समेटा गया था लेकिन जितनी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं सम्मेलन में पहुंची उससे इस सम्मेलन को एक सभागार में समेटना आयोजकों के लिए भी मुश्किल हो गया। हांलांकि अल्पसंख्यक मोर्चे का यह राष्ट्रीय सम्मेलन था लेकिन इसमें राजधानी दिल्ली की मुस्लिम महिलाओं की संख्या अधिक थी जिन्हें भाजपा के स्थानीय मुस्लिम नेता अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए वहां लाये थे।
शनिवार, 12 जुलाई 2008
निजीकरण की राह पर दिल्ली परिवहन निगम
आने वाली 2500 अन्य बसों की मरममत भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी
मरम्मत का कार्य निजी हाथों में देने से कर्मचारी हुए बेकार
छह डिपो किये टाटा के हवाले
अब तक खरीदी गई सभी 650 लोफ्लोर व 25 वातानुकूलित बसों के लिए हुआ है एएमसी कान्ट्रेक्ट
छह डिपो के एक हजार से अधिक कर्मचारी हुए प्रभावित
मरम्मत एग्रीमेंट के अनुसार बसों 95 प्रतिशत उपलब्धता देगी कम्पनी
12 वर्ष तक कम्पनी करेगी बसों की मरम्मत
शर्तो का पालन न करने पर है कम्पनी पर जुर्माने का प्रावधान
मरम्मत निजी हाथों में सौंपने से डीटीसी को प्रति बस 15 लाख रुपये की सालाना बचत
डीटीसी वर्कशाप में मरम्मत कराना पड़ता है महंगा
कर्मचारी संगठन हो रहे हैं लामबंद
संजय टुटेजा
दिल्ली परिवहन निगम धीरे धीरे निजीकरण के रास्ते पर बढ़ रहा है। निगम के के लिए खरीदी गई 650 लोफ्लोर बसों व 25 वातानुकूलित बसों की मरम्मत का कार्य भी बस निर्माता कम्पनी टाटा को सौंपे जाने के बाद अब जल्द ही खरीदी जाने वाली अन्य लगभग ढाई हजार बसों की मरम्मत भी इसी तर्ज पर निजी हाथों में सौंपे जाने की तैयारी है। पहली खेप में खरीदी गई बसों की मरम्मत के लिए निगम ने अपने छह डिपो भी टाटा को सौंप दिये हैं जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। दिल्ली परिवहन निगम के पास लगभग छह हजार तकनीकी कर्मचारी हैं जो बसों की मरमम्त आदि के लिए निगम की कार्यशालाओं में तैनात हैं। इसके अलावा प्रत्येक कार्यशाला में एक रिकवरी वैन व एक स्टोर वैन भी है। बसों की मरम्मत के लिए पर्याप्त कर्मचारी व तमाम संसाधन होने के बावजूद दिल्ली परिवहन निगम नई आने वाली बसों की मरम्मत का कार्य पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। निगम ने पहली खेप के रूप में 525 लोफ्लोर बसों की खरीद का आर्डर दिया था जिसे बढ़ाकर बाद में 650 कर दिया गया। यह सभी बसें टाटा मोटर से खरीदी गई हैं और इसी कम्पनी के साथ ही इन बसों की मरम्मत का भी 12 वर्ष का एग्रीमेंट किया गया है। मरम्मत की राशि प्रति बस प्रति किलोमीटर के हिसाब से निश्चित है। मतलब जितने किलोमीटर बस चलेगी उसी अनुपात में मरम्मत करने वाली कम्पनी की आय भी बढ़ेगी। पहले वर्ष मरम्मत की यह राशि प्रति किलोमीटर 1।60 रुपये है जो प्रत्येक वर्ष बढ़ते हुए 12 वें वर्ष में बढ़कर 12 रुपये प्रति किलोमीटर हो जायेगी। नतीजतन 12 वें वर्ष में निगम की बस के एक किलोमीटर चलने पर 12 रुपये मरम्मत कर्ता कम्पनी को भुगतान मिलेगा। आगामी राष्ट्रकुल खेलों से पूर्व निगम के बेड़े में 2500 अन्य लोफ्लोर व सेमी लोफ्लोर बसें शामिल होनी है। निगम का प्रबंधन निगम के बेड़े में आने वाली सभी बसों की मरम्मत का कार्य निर्माता कम्पनी को ही देने के पक्ष में है और इसकी तैयारी की जा रही है। निगम के इस रूख को देखते हुए कर्मचारी संगठनों में रोष है और कर्मचारी संगठन भी आंदोलन के मूड में हैं। दिल्ली परिवहन मजदूर सेघ के महामंत्राी रामचन्द्र होलम्बी कहते हैं कि सरकार धीरे धीरे निगम को बेच रही है। कर्मचारियों के हितों की उपेक्षा की जा रही है और निजी कंपनियों को काम सौंप कर कर्मचारियों को बेकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में खरीदी जाने वाली बसों की मरममत की दर भी बढ़ायी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि निगम ने यह रवैया न बदला तो बड़ा आंदोलन होगा।
छह डिपो किये टाटा के हवाले
दिल्ली परिवहन निगम ने निगम के बेड़े में शामिल हो रही नई लोफ्लोर बसों व वातानुकूलित बसों की मरम्मत के लिए अपने छह डिपो अगले 12 वर्ष के लिए टाटा मोटर के हवाले कर दिये हैं। डीटीसी द्वारा पहले चरण में खरीदी गई 650 लोफ्लोर बसों में से अब तक 411 बसें निगम को प्राप्त हो चुकी हैं। इन बसों की मरमम्त के लिए राजधानी के चारो दिशाओं में छह डिपो टाटा को दिये गये हैं। इन डिपो में सुभाष पैलेस डिपेा, हरिनगर नगर द्वितीय डिपो, मायापुरी डिपो, हसनपुर डिपो, सुखदेव विहार डिपो तथा रोहिणी प्रथम डिपो शामिल हैं। इन डिपो में तैयार निगम के तकनीकी कर्मचारियों को वहां से अन्य डिपो में स्थानान्तरित कर दिया है। डीटीसी के पास कुल लगभग 6000 एैसे कर्मचारी हैं जो कार्यशालाओं में तैनात हैं, इनमें से लगभग एक हजार कर्मचारी उन डिपो में कार्यरत थे जो टाटा को दिये गये हैं। भले ही इन सभी कर्मचारियों को अन्य डिपो में भेज दिया गया है लेकिन इनमें अधिकतर खाली हैं क्योंकि सभी डिपो में मरम्मत कर्मचारी पहले से ही तैनात हैं।
मरम्मत निजी हाथों में देने से घाटा होगा कम: नेगी
दिल्ली परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक रमेश नेगी का कहना है कि मरम्मत निजी हाथों में देने से निगम को नुकसान नहीं बल्कि फायदा है। निगम के प्रबंध निदेशक श्री नेगी का कहना है कि निगम में तकनीकी कर्मचारियों के वेतन तथा वर्कशाप के अन्य खर्चो को देखा जाये तो प्रति किलोमीटर प्रति बस औसतन 8 रुपये किलोमीटर खर्च आता है लेकिन मरम्मत का कार्य बस आपूर्ति करने वाली कम्पनी को ही देने से यह औसत खर्च 5।45 पैसे प्रति बस प्रति किलोमीटर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इस हिसाब से निगम को एक बस पर लगभग डेढ़ लाख की बचत मरम्मत में प्रति वर्ष होगी और 12 वर्षो में एक बस पर 15 लाख रुपये की मरम्मत खर्च में बचत निगम को होगी। उन्होंने बताया कि निर्माता कम्पनी को ही मरम्मत का कार्य देने से एक फायदा यह होगा कि 95 प्रतिशत बसें हमेशा बिल्कुल ठीक होंगी क्योंकि एग्रीमेंट के अनुसार कम्पनी 95 प्रतिशत बसों की उपलब्धता निगम को देगी, एैसा न करने पर निगम उस कम्पनी पर जुर्माना कर सकता है। उन्होंने बताया कि निगम कर्मचारियों द्वारा मरम्मत होने पर अधिकतर बड़ी संख्या में बसों की मरम्मत समय पर नहीं हो पाती क्योंकि अनेक बार स्टोर में सामान नहीं होता और सामान खरीदने की प्रक्रिया लंबी होने के कारण खरीद में देरी हो जाती है जिससे बसें खराब होकर डिपो में खड़ी रहती हैं।
रविवार, 6 जुलाई 2008
लंका में आज भी स्थित हैं रामायाण कालीन स्थान
शोध में प्रमाणिक साबित हुई हैं रामायणकालीन घटनाएं
अशोक वाटिका में होगा रामकथा का आयोजन
नई दिल्ली 5 जुलाई।
करोड़ो लोगों के आस्था के प्रतीक भगवान राम के अस्तित्व को लेकर भले ही सवाल उठाये जाते रहे हों लेकिन लंका में आज भी रामायण कालीन स्थान मौजूद हैं और शोध में उक्त स्थानों पर रामायणकालीन घटनाएं प्रमाणिक साबित हुई हैं। एैसे ही एक स्थान ‘अशोक वाटिका’ पर एक भव्य मंदिर के निर्माण के बाद अब वहां श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीलंका में रामायण कालीन स्थानों के शोध में लगी विश्व स्तरीय 22 शोधार्थियों की टीम ने अपने शोध में न केवल रामायण कालीन अशोक वाटिका, सीता माता के अग्नि परीक्षा के स्थान, विभिषण के राज्याभिषेक का स्थान, रावण के गुप्त भूमिगत मार्ग आदि अनेक प्राचीन स्थानों का पता लगाया है बल्कि वहां रामायण कालीन घटनाओं के प्रमाण भी जुटाये हैं। इस टीम के प्रमुख सदस्य अशोक कैथ ने श्रीलंका में किये गये शोध से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि शोध को प्रमाणिक करने में जर्मन सरकार का उन्हें विशेष सहयोग रहा है।
उन्होंने बताया कि शोध के दौरान उन्हें वह स्थान भी मिला है जहां से रावण पुष्पक विमान से उड़ान भरता था, इसके अलावा वह पर्वत जहां रावण का शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, वह स्थान जहां श्री हनुमान जी द्रोण पर्वत से संजीवनी लेने गये तो आते समय उस संजीवनी का कुछ भाग जहां गिरा वह स्थान आज भी वहां है। उन्होंने बताया कि रावण के पुराने किले के अवशेष माता सीता द्वारा स्थापित विश्व का एक मात्रा शिवलिंग आदि अनेक स्थान एैसे हैं जो रामायण काल से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कुल 51 स्थान खोजे गये हैं उनका शोध अभी भी जारी है तथा अनेक अन्य स्थानों की भी खोज की जा रही है।
उन्होंने श्रीलंका के साथ सांस्कृति आदान प्रदान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि शोध के दौरान खोजी गई अशोक वाटिका में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है जहां 25 अगस्त से 30 अगस्त तक श्री रामकथा का निमंत्राण त्रिवेणी सेवा मिशन के कथाकार भाई अजय को दिया गया है। इस दौरान धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांगेराम गर्ग ने कहा कि रामायणकालीन तीर्थ स्थानों के मिलने के बाद अब उन स्थानों पर भी तीर्थयात्रा की शुरुआत होगी और इस यात्रा में अनेक संत, महात्मा व तीर्थ यात्राी शामिल होंगे।
अशोक वाटिका में होगा रामकथा का आयोजन
नई दिल्ली 5 जुलाई।
करोड़ो लोगों के आस्था के प्रतीक भगवान राम के अस्तित्व को लेकर भले ही सवाल उठाये जाते रहे हों लेकिन लंका में आज भी रामायण कालीन स्थान मौजूद हैं और शोध में उक्त स्थानों पर रामायणकालीन घटनाएं प्रमाणिक साबित हुई हैं। एैसे ही एक स्थान ‘अशोक वाटिका’ पर एक भव्य मंदिर के निर्माण के बाद अब वहां श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीलंका में रामायण कालीन स्थानों के शोध में लगी विश्व स्तरीय 22 शोधार्थियों की टीम ने अपने शोध में न केवल रामायण कालीन अशोक वाटिका, सीता माता के अग्नि परीक्षा के स्थान, विभिषण के राज्याभिषेक का स्थान, रावण के गुप्त भूमिगत मार्ग आदि अनेक प्राचीन स्थानों का पता लगाया है बल्कि वहां रामायण कालीन घटनाओं के प्रमाण भी जुटाये हैं। इस टीम के प्रमुख सदस्य अशोक कैथ ने श्रीलंका में किये गये शोध से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि शोध को प्रमाणिक करने में जर्मन सरकार का उन्हें विशेष सहयोग रहा है।
उन्होंने बताया कि शोध के दौरान उन्हें वह स्थान भी मिला है जहां से रावण पुष्पक विमान से उड़ान भरता था, इसके अलावा वह पर्वत जहां रावण का शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, वह स्थान जहां श्री हनुमान जी द्रोण पर्वत से संजीवनी लेने गये तो आते समय उस संजीवनी का कुछ भाग जहां गिरा वह स्थान आज भी वहां है। उन्होंने बताया कि रावण के पुराने किले के अवशेष माता सीता द्वारा स्थापित विश्व का एक मात्रा शिवलिंग आदि अनेक स्थान एैसे हैं जो रामायण काल से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कुल 51 स्थान खोजे गये हैं उनका शोध अभी भी जारी है तथा अनेक अन्य स्थानों की भी खोज की जा रही है।
उन्होंने श्रीलंका के साथ सांस्कृति आदान प्रदान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि शोध के दौरान खोजी गई अशोक वाटिका में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है जहां 25 अगस्त से 30 अगस्त तक श्री रामकथा का निमंत्राण त्रिवेणी सेवा मिशन के कथाकार भाई अजय को दिया गया है। इस दौरान धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांगेराम गर्ग ने कहा कि रामायणकालीन तीर्थ स्थानों के मिलने के बाद अब उन स्थानों पर भी तीर्थयात्रा की शुरुआत होगी और इस यात्रा में अनेक संत, महात्मा व तीर्थ यात्राी शामिल होंगे।
शनिवार, 5 जुलाई 2008
हाईप्रोफाइल होता सेक्स कारोबार
संजय टुटेजा
व्हाइट स्किन, रेड स्किन, ब्लैक स्किन के अलग अलग हैं दाम
मोबाइल और इंटरनेट से होता है सम्पर्क
पोर्न वेबसाइटस के जरिए अपने नेटवर्क को मजबूत बनाते हैं दलाल
नई दिल्ली 1 सितंबर।
हाईप्रोफाइल होती राजधानी में अब सेक्स का कारोबार भी हाईप्रोफाइल हो रहा है। इस हाईप्रोफाइल सेक्स कारोबार में दलालों, कालगर्ल और ग्राहकों के बीच संपर्क का माध्यम अब मोबाइल और इंटरनेट है। इस धंधे के दलाल भी बड़ी कंपनियों के एक्जक्यूटिव सरीखे हाईप्रोफाइल हैं और इन दलालों का नेटवर्क केवल राजधानी तक ही सीमित नहीं बल्कि देश के तमाम शहरों में दलालों के तार हैं। महंगी कारों के माध्यम से कालगर्ल की डिलीवरी करने वाले यह दलाल ग्राहक की मांग पर किसी भी शहर में देशी व विदेशी कालगर्ल उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। ब्लेक स्किन, व्हाइट स्किन और रेड स्किन आदि हर तरह का स्वाद ग्राहकों को कीमत देने पर उपलब्ध होता है। राजधानी में गली मौहल्लों से सिमट कर यह धंधा अब बड़ी कोठियांे, फार्म हाऊस और बड़े होटलों तक पहुंच गया है। मौज मस्ती और अय्याशी के लिए अब किसी रेडलाइट एरिया या किसी पतली गली के किसी कोठे पर जाने की जरूरत नहीं, बस मोबाइल पर एक काॅल और इंटरनेट पर एक क्लिक में मन चाही कालगर्ल उपलब्ध है। हालांकि मजदूर वर्ग, ड्राईवर वर्ग व लोप्रोफाइल लोगों के लिए अब भी रेडलाइट एरिया की गलियां खुली हैं लेकिन सेक्स के खेल में डूब रहे हाईप्रोफाइल लोगों ने इस धंधे को भी हाईप्रोफाइल बना दिया है। अब तक सेक्स के इस कारोबार में गरीब व मजबूर लड़कियों की तादाद ही देखी जाती थी लेकिन अब इस कारोबार में न केवल विदेशी लड़कियां भी शामिल हैं बल्कि माडल, कालेज गर्ल और बहुत जल्दी ऊंची छलांग लगाने की महत्वाकांक्षा रखने वाली मध्यमवर्ग की लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। पिछले दिनों विदेशी कालगर्ल के एक राकेट का पर्दाफाश कर आधा दर्जन विदेशी कालगर्ल को पकड़ने वाले पुलिस अधिकारी के अनुसार अब कालगर्ल और दलालों की पहचान मुश्किल हो गई है क्योंकि दलालों और कालगर्ल की वेशभूषा, पहनावा व भाषा हाईप्रोफाइल है और उनका काम करने का ढंग भी पूरी तरह सुरक्षित है। पुलिस सूत्रों के अनुसार राजधानी में उज्बेकिस्तान, अजरबेचान व रशिया से ट्रेवल एजेंटों के माध्यम से टुरिस्ट वीजा पर लड़कियां आती हैं और बड़े उद्योगपतियों, अधिकारियों व विदेशी मेहमानों की मांग पूरी करती हैं। कालगल्र्स और दलालों का नेटवर्क दो स्तरों पर है, एक अत्यंत हाईप्रोफाइल है जिसमें माडल, फेशनेबल, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली और आधुनिक वेशभूषा पहनने वाली कालगर्ल शामिल हैं और दूसरा नेटवर्क महाराष्ट्र, सिक्किम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, नेपाल और भूटान से लाई गई लड़कियों का है। ग्राहक की मांग के अनुसार ही कालगर्ल उपलब्ध कराई जाती है। कालगर्ल को भुगतान भी अब मासिक वेतन या फिर कान्ट्रेक्ट के आधार पर किया जाता है। अमूमन बिहार नेपाल, भूटान, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि से लाई जाने वाली लड़कियों को दो से तीन लाख रुपये में छह माह के ठेके पर लाया जाता है जबकि हाईप्रोफाइल कालगर्ल को लाख से दो लाख रुपये प्रति माह की निश्चित रकम दलाल की ओर से अदा की जाती है।समूचा कारोबार इंटरनेट या मोबाइल से ही चलता है और किसी भी ग्राहक को दलाल या कालगर्ल का पता नहीं दिया जाता। जगह की व्यवस्था करने का रिस्क दलाल अब कतई नहीं लेते, ग्राहक को स्वयं करनी होती है, और किसी भी नये ग्राहक को कालगर्ल की डिलीवरी नहीं दी जाती। ग्राहक को एक निश्चित स्थान पर कालगर्ल की डिलीवरी किसी मंहगी कार के माध्यम से कर दी जाती है और फिर वहां से ग्राहक अपने वाहन से ही कालगर्ल को मनचाहे स्थान पर ले जाता है। अमूमन यह स्थान बड़े होटल, बड़ी कोठियां या फिर फार्महाऊस होते हैं। सभी दलालों और कालगर्ल के नियमित ग्राहक हैं और दलाल नियमित ग्राहकों के पास ही कालगर्ल भेजना पसंद करते हैं। यह दलाल इंटरनेट की पोर्न वेबसाइटों के जरिए एक दूसरे से सम्पर्क साध कर अपने नेटवर्क को मजबूत बनाते हैं। नार्थजोन के पुलिस उपायुक्त देवेश चंद श्रीवास्तव के अनुसार कालगर्ल सीधी डील नहीं करती और दलाल भी केवल विश्वसनीय डील ही करते हैं, किसी भी कीमत पर किसी नये ग्राहक से डील नहीं की जाती, पुराने सम्पर्क के आधार पर ही डील की जाती है। यही कारण है कि पुलिस की पकड़ से बाहर रहते हैं। उन्होंने बताया कि दलालों के अपने कोडवर्ड हैं जिनका इस्तेमाल कर वह ग्राहकों से बातचीत करते हैं। वह कहते हैं कि दलालों और कालगल्र्स का ट्रेंड बदल जाने के कारण ही पुलिस को इन तक पहुंचने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
व्हाइट स्किन, रेड स्किन, ब्लैक स्किन के अलग अलग हैं दाम
मोबाइल और इंटरनेट से होता है सम्पर्क
पोर्न वेबसाइटस के जरिए अपने नेटवर्क को मजबूत बनाते हैं दलाल
- बड़ी कोठियां, फार्म हाऊस और बड़े होटल हैं एशगाह
- टुरिस्ट वीजा पर आती हैं विदेशी कालगर्ल
- उजबेकिस्तान, अजरबेजान, रशिया, नेपाल व भूटान से काल गर्ल लाते हैं ट्रेवल एजेंट
- दलालों से होता है मासिक कान्ट्रेक्ट
- बदला है दलालों का भी रूप रंग, दलाल भी हैं हाई प्रोफाइल
- मंहगी कारों से होती है कालगर्ल की डिलिवरी
- बातचीत में भी होता है फर्राटेदार अंग्रेजी का प्रयोग
- नये ग्राहकों को जल्दी नहीं मिलती एण्ट्री
- दलालों का है बड़ा नेटवर्क
- बड़े उद्योगपति और बड़ी कंपनियों के अधिकारी है नियमित ग्राहक
- चलता है साथ साथ नशे का कारोबार भी
- पुलिस से बचने के लिए बदले पुराने तौर तरीकेपुलिस के सामने भी हैं कई मुश्किलें
नई दिल्ली 1 सितंबर।
हाईप्रोफाइल होती राजधानी में अब सेक्स का कारोबार भी हाईप्रोफाइल हो रहा है। इस हाईप्रोफाइल सेक्स कारोबार में दलालों, कालगर्ल और ग्राहकों के बीच संपर्क का माध्यम अब मोबाइल और इंटरनेट है। इस धंधे के दलाल भी बड़ी कंपनियों के एक्जक्यूटिव सरीखे हाईप्रोफाइल हैं और इन दलालों का नेटवर्क केवल राजधानी तक ही सीमित नहीं बल्कि देश के तमाम शहरों में दलालों के तार हैं। महंगी कारों के माध्यम से कालगर्ल की डिलीवरी करने वाले यह दलाल ग्राहक की मांग पर किसी भी शहर में देशी व विदेशी कालगर्ल उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। ब्लेक स्किन, व्हाइट स्किन और रेड स्किन आदि हर तरह का स्वाद ग्राहकों को कीमत देने पर उपलब्ध होता है। राजधानी में गली मौहल्लों से सिमट कर यह धंधा अब बड़ी कोठियांे, फार्म हाऊस और बड़े होटलों तक पहुंच गया है। मौज मस्ती और अय्याशी के लिए अब किसी रेडलाइट एरिया या किसी पतली गली के किसी कोठे पर जाने की जरूरत नहीं, बस मोबाइल पर एक काॅल और इंटरनेट पर एक क्लिक में मन चाही कालगर्ल उपलब्ध है। हालांकि मजदूर वर्ग, ड्राईवर वर्ग व लोप्रोफाइल लोगों के लिए अब भी रेडलाइट एरिया की गलियां खुली हैं लेकिन सेक्स के खेल में डूब रहे हाईप्रोफाइल लोगों ने इस धंधे को भी हाईप्रोफाइल बना दिया है। अब तक सेक्स के इस कारोबार में गरीब व मजबूर लड़कियों की तादाद ही देखी जाती थी लेकिन अब इस कारोबार में न केवल विदेशी लड़कियां भी शामिल हैं बल्कि माडल, कालेज गर्ल और बहुत जल्दी ऊंची छलांग लगाने की महत्वाकांक्षा रखने वाली मध्यमवर्ग की लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। पिछले दिनों विदेशी कालगर्ल के एक राकेट का पर्दाफाश कर आधा दर्जन विदेशी कालगर्ल को पकड़ने वाले पुलिस अधिकारी के अनुसार अब कालगर्ल और दलालों की पहचान मुश्किल हो गई है क्योंकि दलालों और कालगर्ल की वेशभूषा, पहनावा व भाषा हाईप्रोफाइल है और उनका काम करने का ढंग भी पूरी तरह सुरक्षित है। पुलिस सूत्रों के अनुसार राजधानी में उज्बेकिस्तान, अजरबेचान व रशिया से ट्रेवल एजेंटों के माध्यम से टुरिस्ट वीजा पर लड़कियां आती हैं और बड़े उद्योगपतियों, अधिकारियों व विदेशी मेहमानों की मांग पूरी करती हैं। कालगल्र्स और दलालों का नेटवर्क दो स्तरों पर है, एक अत्यंत हाईप्रोफाइल है जिसमें माडल, फेशनेबल, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली और आधुनिक वेशभूषा पहनने वाली कालगर्ल शामिल हैं और दूसरा नेटवर्क महाराष्ट्र, सिक्किम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, नेपाल और भूटान से लाई गई लड़कियों का है। ग्राहक की मांग के अनुसार ही कालगर्ल उपलब्ध कराई जाती है। कालगर्ल को भुगतान भी अब मासिक वेतन या फिर कान्ट्रेक्ट के आधार पर किया जाता है। अमूमन बिहार नेपाल, भूटान, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि से लाई जाने वाली लड़कियों को दो से तीन लाख रुपये में छह माह के ठेके पर लाया जाता है जबकि हाईप्रोफाइल कालगर्ल को लाख से दो लाख रुपये प्रति माह की निश्चित रकम दलाल की ओर से अदा की जाती है।समूचा कारोबार इंटरनेट या मोबाइल से ही चलता है और किसी भी ग्राहक को दलाल या कालगर्ल का पता नहीं दिया जाता। जगह की व्यवस्था करने का रिस्क दलाल अब कतई नहीं लेते, ग्राहक को स्वयं करनी होती है, और किसी भी नये ग्राहक को कालगर्ल की डिलीवरी नहीं दी जाती। ग्राहक को एक निश्चित स्थान पर कालगर्ल की डिलीवरी किसी मंहगी कार के माध्यम से कर दी जाती है और फिर वहां से ग्राहक अपने वाहन से ही कालगर्ल को मनचाहे स्थान पर ले जाता है। अमूमन यह स्थान बड़े होटल, बड़ी कोठियां या फिर फार्महाऊस होते हैं। सभी दलालों और कालगर्ल के नियमित ग्राहक हैं और दलाल नियमित ग्राहकों के पास ही कालगर्ल भेजना पसंद करते हैं। यह दलाल इंटरनेट की पोर्न वेबसाइटों के जरिए एक दूसरे से सम्पर्क साध कर अपने नेटवर्क को मजबूत बनाते हैं। नार्थजोन के पुलिस उपायुक्त देवेश चंद श्रीवास्तव के अनुसार कालगर्ल सीधी डील नहीं करती और दलाल भी केवल विश्वसनीय डील ही करते हैं, किसी भी कीमत पर किसी नये ग्राहक से डील नहीं की जाती, पुराने सम्पर्क के आधार पर ही डील की जाती है। यही कारण है कि पुलिस की पकड़ से बाहर रहते हैं। उन्होंने बताया कि दलालों के अपने कोडवर्ड हैं जिनका इस्तेमाल कर वह ग्राहकों से बातचीत करते हैं। वह कहते हैं कि दलालों और कालगल्र्स का ट्रेंड बदल जाने के कारण ही पुलिस को इन तक पहुंचने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
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