रविवार, 28 नवंबर 2010
एलजी व शीला के टकराव पर गेंद अब केन्द्र के पाले में
शीला के गर्म तेवर के बाद शीला खेमे में है खलबली
यूडी व गृहमंत्रालय पर हमला पड़ सकता है महंगा
नई दिल्ली। सर्किल रेट मुद्दे पर सरकार व एलजी के बीच शुरु हुए टकराव के बाद मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के गर्म तेवर व जवाबी हमले ने एलजी व सरकार के बीच की खाई को न केवल और चैड़ा कर दिया है बल्कि संवैधानिक अधिकारों को लेकर ऐसी बहस शुरु कर दी है जिसका जवाब अब केवल केन्द्र को देना है। शीला ने एलजी के साथ साथ केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय व गृह मंत्रालय को भी जिस तरह निशाना बनाया है वह मुख्यमंत्री को महंगा भी पड़ सकता है। शीला के गर्म तेवर से हालांकि शीला खेमा उत्साहित है लेकिन मुख्यमंत्री के नजदीकी भी शीला के हमले को केन्द्र सरकार पर हमला मान रहे हैं, यही कारण है कि किसी भी अनहोनी को लेकर उनमें खलबली मची है।
सर्किल रेट के मुद्दे पर सरकार व राजनिवास के बीच शुरु हुई लड़ाई अब दोनों ही पक्षों के लिए नाक की लड़ाई बन गई है। शीला दीक्षित द्वारा एलजी के अधिकारों को सीधी चुनौती देने तथा एक के बाद एक मिसाइलें एलजी पर दागे जाने के बाद भी राजनिवास अभी खामोश है और कोई प्रतिक्रिया राजनिवास की ओर से नहीं आई है। सर्किल रेट की फाइल दोनों बार लौटाते समय भी राजनिवास ने सरकार के संवैधानिक अधिकारों पर न तो कोई टिप्पणी की थी और न ही सरकार को कोई सीधी चुनौती दी थी। राजानिवास ने दोनों बार केवल अपने सुझाव दिये थे, बावजूद इसके शीला दीक्षित ने एलजी पर सीधा हमला किया है बल्कि एलजी के संवैधानिक अधिकारों को चुनौती देने के लिए विधानसभा को माध्यम बनाया।
केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन की की सरकार है और उपराज्यपाल की नियुक्ति केन्द्र ही करता है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपनी बात विधानसभा में इस चर्चा से पहले ही गृह मंत्रालय के समक्ष रख चुकी थी, बावजूद इसके इतनी जल्दी विधानसभा में एलजी पर सीधा हमला करने की जरूरत क्यों पड़ी और इस हमले में एलजी के साथ साथ केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय को निशाना क्यों बनाया गया, यह एक ऐसा सवाल है जिसका कई तरह से विशलेषण किया जा रहा है। राजनैतिक विशलेषक इसे शीला का केन्द्र सरकार व पार्टी आलाकमान पर सीधा हमला भी मान रहे हैं, जो मुख्यमंत्री के लिए मंहगा भी पड़ सकता है। मुख्यमंत्री खेमे के विधायक व मंत्री भी मानते हैं कि शीला ने एलजी,यूडी व गृहमंत्रालय पर हमला कर केन्द्र से सीधी लड़ाई शुरु कर दी है।
हालांकि विधानसभा में चर्चा पूर्ण राज्य को लेकर थी, इस तरह की चर्चाएं विधानसभा का हिस्सा हो सकती हैं लेकिन यदि सरकार की मंशा यदि वास्तव में दिल्ली को पूर्ण राज्य देने का होती तो सरकार विधानसभा में चर्चा कराने से पहले केबिनेट से भी यह प्रस्ताव पारित कर सकती थी, लेकिन शायद असली मंशा एलजी पर हमला करना था, यही कारण है कि इस चर्चा की शुरुआत करने वाले विधायक मुकेश शर्मा से लेकर शिक्षा मंत्री अरविन्दर सिंह लवली व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तक सभी के निशाने पर एलजी ही रहे। यहां यह भी गौरतलब है कि विधानसभा में हुई यह चर्चा पूर्व नियोजित थी और इस पर उसी दिन सवेरे केबिनेट में भी चर्चा हुई थी। सूत्रो के अनुसार केबिनेट में ही शिक्षा मंत्री अरविन्दर सिंह लवली को भी इस मुद्दे पर बोलने के लिए अधिकृत किया गया था।
अब चूंकि शीला व एलजी के बीच शुरु हुई इस लड़ाई की गूंज पूरी दिल्ली में सुनाई दे रही है, ऐसे में अब सभी केन्द्र की ओर देख रहे हैं। चूंकि एलजी केन्द्र के प्रतिनिधि हैं ऐसे में केन्द्र शीला के भाषण को पार्टी अनुशासन की सीमा में मानता है या फिर सीमा के बाहर यह भी एक बड़ा सवाल है। इतना निश्चित है कि यदि केन्द्र शीला के तेवर को सहमति देता है तो एलजी के संवैधानिक अधिकारों को लेकर एक नई तहरीर लिखी जायेगी।
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