राजधानी में प्रति वर्ष अनुमानित 500 करोड़ का होता है नशे का कारोबार
पब, रेव पार्टियां और डिस्को थिक हैं नशेड़ियों के अड्डे
दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है रेव पार्टियों का चलनसभी नशीली दवांए,
अर्धनग्न बालाएं और संगीत की धूने हैं रेव पार्टियों का आकर्षण
रेव पार्टियों में मनमोहन व्यंजनों की तरह परोसी जाती हैं नशीली दवाईयां
एक ही थाली में होती हैं सभी दवाईया, सभी चुनते हैं अपनी अपनी पसंद की दवा
पिछले कुछ वर्षो से बढ़ा है रेव पार्टियों का चलन
फार्म हाऊसों व गुप्त स्थानों पर होती हैं पार्टियां
बड़े अमीरजादों के लिये हैं ये पसंदीदा पार्टियां
नशे के सेवन पर न तो शर्मसार होते हैं न नशे का सेवन गलत मानते हैं इसके आदी
बड़े व्यवसायियों या फिर बड़े वेतन पाने वालों के लिए शौक और आदत है नशे का सेवन
नशीली दवाइयों का भारत है बड़ा बाजार
स्मगलिंग के लिए भी भारत है एक ट्रांजिट कैम्प
भारत से भी अनेक देशों को होती है स्मगलिंग
अधिकतर दवाओं की आपूर्ति होती है विदेशों से
स्मगलिंग के धंधे में नाइजीरियन नागरिकों की संख्या ज्यादा
इन नशीले पदार्थो की ज्यादा पड़ती है लत
हीरोइन, कोकीन, एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, कोडीन, आइस, एफड्राइन, मारीजुआना, हशीश,कैथामिन, चरस, नार्फेन, लुफ्रिजेसिक, एलएसडी एसिड, एमडीएमए,
बीपीओं में ज्यादा है चरस का चलन
एक नजर घातक नशीले पदार्थो पर
कोकीन: यह एक सफेद पाउडर जैसी होती है जो कोका के पेड़ से निकाला जाता है। कोकीन को कोक, कैंडी, आइस, ब्लो व सी नामों से भी जाना जाता है।
कीमत: 3 से 6 हजार रुपये प्रति ग्रामचरम सीमा: कोकीन का सेवन करने वाला इसके सेवन के बाद स्वयं को ऊर्जावान, आत्मविश्वासी महसूस करता है।
खतरा: कोकीन का ज्यादा सेवन करने से ह्रदय घात का खतरा रहता है, तथा धीरे धीरे डिप्रेशन के साथ साथ आत्महत्या की ओर कदम बढ़ने लगते हैं।
एक्सटेसी: यह एक प्रकार का सेंथेटिक रसायन है जो फिनोलेथीलेमाइन नामक रसायन से बनता है। इसे एमडीएमए, एक्स,एक्सटीसी व आदम नाम से भी जाना जाता है।
कीमत: 300 से 500 रुपये प्रति ग्रामसेवन का तरीका: सिगरेट में डालकर धुम्रपान या इंजेक्शन
चरम सीमा: इसके सेवन से लगभग 5 से 6 घंटे तक सेवन करने वाले को नशा रहता है और वह स्वयं को अलग दुनिया में मस्त महसूस करता है।खतरा: इसके ज्यादा सेवन से यादाश्त कमजोर हो जाती है तथा दिमाग पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
एसिड: यह एक प्रकार का लिक्विड नशीला पदार्थ है जिसे लाइसर्जिक एसिड कहा जाता हैऔर यह सीआईडी, ब्लोटर, शुगर क्यूब, एलएसडी नामों से भी जाना जाता है
कीमत: 150 रुपये से 200 रुपये प्रति खुराक
सेवन का तरीका: जीभ पर बूंदे डालकर या फिर किसी तरल पदार्थ के साथ
नशे में अनुभूति: एसिड का नशा एक घंटे में अपनी चरम स्थिति पर पहुंचता है और 5 से 6 घंटे तक बना रहता है। इस दौरान सेवन करने वाला उन्मादी होने के साथ साथ मस्ती अनुभव करता है।
स्पीड: यह एमफीटामाइन नामक केमिकल से बनती है तथा इसे मैथ, क्रेस्टल, क्रेन्क व ग्लास नाम से भी जाना जाता है।
कीमत: 5 से 10 रुपये प्रति गोलीसेवन का तरीका: यह अधिकतर गोली के रुप में ली जाती है, कुछ लोग इसका इंजेक्शन लगवाते हैं तथा कुछ गोली पीसकर धूम्रपान के जरिए इसका सेवन करते हैं।
क्या कहता है कानून
नशीली दवाओं के खिलाफ पुलिस की नारकोटिक शाखा तथा केन्द्र के नाकोटिक कंट्रोल ब्यूरो द्वारा समय समय पर अभियान चलाये जाते हैं लेकिन कानून में नशीली पदार्थो की तस्करी पर कोई बड़ी सजा न होने के कारण तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाता। नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकाट्रोपिक सबटेंसिस एक्ट के तहत कोकीन व अन्य मादक पदार्थो की तस्करी पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है लेकिन यह सजा मादक पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि मात्रा कम हो और निजी उपयोग के लिए हो तो इसमें एक वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
दिल्ली पुलिस की नारकोटिक शाखा द्वारा बरामद नशीले पदार्थ
वर्ष 2007हिरोइन 78 किलोकोकीन 220 ग्रामअफीम 83 किलोचरस 55 किलोगांजा 66 किलोनशीली गोलियां 7500नशीले इंजेक्शन 20000
मस्ती, उन्माद और ऊर्जा की चाह में बहकते कदम
संजय टुटेजा
नई दिल्ली, 28 मार्च।
मस्ती, उन्माद, आत्मविश्वास और ऊर्जा की चाह राजधानी के युवा वर्ग को एक एैसे रास्ते पर ले जा रही है जो रास्ता भले ही सुनहरा दिखाई दे रहा है लेकिन उसका अंतिम पड़ाव गहरा अंधकार है। इसे रोजमर्रा के झंझावतों से मुक्ति का साधन कहें या फिर रईसों का शोक, युवा वर्ग नशीले पदार्थो की गिरफ्त में फंस रहे हैं, स्थिति यह है कि अब पब और डिस्को थिक से एक कदम आगे बढ़ते हुए रईसजादों का एक बड़ा वर्ग ‘रेव पार्टियों’ में मस्ती ढूंढ रहा है, जहां नशीली दवांए, अर्धनग्न बालाएं और मदमस्त संगीत की धुनें रईस जादों को परी लोक का अहसास कराती हैं। राजधानी में अवैध तरीके से नशे का कारोबार कोई नया नहीं है लेकिन अब यह कारोबार ‘रेव पार्टियों’ के जरिए होने लगा है। फार्म हाऊसों या फिर गुप्त स्थानों पर होने वाली इन पार्टियों में नशे व मस्ती के शौकीन युवा वर्ग को मस्ती भी मिलती है और नशा भी मिलता है। यह पार्टियां इस धंधे में लगे माफियाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं और प्रत्येक प्रकार की नशीली दवा व नशीला पदार्थ इन पार्टियों में उपलब्ध होता है। इन पार्टियों में नशीली दवाएं परोसने का तरीका भी मोहक है। अर्धनग्न बालाएं हाथ में सजी धजी थाली या फिर आकर्षक ट्रे में सभी तरह की नशीली दवांए परोसती हैं और पार्टी में उपस्थित युवा वर्ग अपनी अपनी पसंद की नशीली दवा चुन कर सेवन करता रहता है। हालांकि डिस्कोथिक और पब भी नशेड़ियों के अड़्डे हैं लेकिन हाईप्रोफाइल रईस वर्ग की पहली पसंद अब रेव पार्टियां हैं। रईस वर्ग के युवाओं की पहली पसंद कोकीन का नशा है, इस वर्ग में वह युवा शामिल हैं जो बड़े उद्योगपति परिवारों से हैं या फिर उनका वेतन इतना ज्यादा है कि उनके लिए पैसे की कोई कीमत नहीं है। केवल युवा लड़के ही नहीं बल्कि युवा लड़कियां भी बड़ी संख्या में नशीली दवाओं की आदि हो गई हैं। इनमें अधिकतर युवाओं को इन नशीली दवाओं की लत कालेज में व हास्टल में पड़ती है। कोकीन की कीमत बाजार में 3 हजार से 6 हजार रुपये प्रति ग्राम तक है जो युवा इतनी महंगी कोकीन नहीं खरीद सकते वह कैथामिन नाम की नशीली दवा का उपयोग करते है, इसका नशा भी कोकीन की तरह ही होता है। इसके अलावा एक्सटेसी, एसिड, स्पीड, हेरोइन आदि एैसे नशीले पदार्थ हैं जिनका चलन नशेड़ियों में ज्यादा है। इनमें अधिकतर नशीले पदार्थ विदेशों से तस्करी के जरिए आते हैं और यहां से देश के विभिन्न शहरों में भेजे जाने के अलावा नेपाल, ब्राजील, चीन,युएसए सहित एशिया के विभिन्न देशों को इनकी तस्करी की जाती है। इनकी तस्करी में अब तक पकड़े जाने वाले विदेशियों में नाइजीरिया के नागरिक ज्यादा सामने आये हैं। अवैध कारोबार होने के कारण हालांकि इस कारोबार में प्रतिवर्ष होने वाले व्यापार का स्पष्ट ब्यौरा नही है लेकिन अनुमान है कि प्रति वर्ष राजधानी में ही नशीले पदार्थो की बिक्री का कारोबार 500 करोड़ से अधिक होता है।
नशे के कारोबार का हाॅट स्पाॅट है दिल्लीप्रति वर्ष होता है करोड़ों का कारोबारनशीले पदार्थो की तस्करी का ट्रांजिट कैम्प बन गया है दिल्लीअफगानिस्तान, म्यंमार, ब्राजील, कोलंबिया, हैती, इक्वेडोर आदि देशों से होती है तस्करीदिल्ली के रास्ते नेपाल, चीन, व एशियाई देशों को होती है तस्करीदिल्ली में हेरोइन, कोकीन, एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, कोडीन, आईस, एफड्रइन, मारीजुआना,हशीश कैथामिन, चरस, नार्फेन, लुफ्रिजेसिक, एमडीएमएस दवांए हैं नशेड़ियों में प्रचलितकम आय वर्ग मे है स्मैक व अफीम का चलननशे के व्यापारियों का है बड़ा नेटवर्कझुग्गी झोपड़ी से लेकर रईसजादों तक फैला है तस्करों का नेटवर्क10 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक है एक बार नशा करने की कीमत
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