शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

नशे के कारोबार का हाट स्पाट है दिल्ली

नशीले पदार्थो की तस्करी का ट्रांजिट कैम्प बन गया है दिल्ली
प्रति वर्ष होता है करोड़ों का कारोबार
अफगानिस्तान, म्यंमार, ब्राजील, कोलंबिया, हैती, इक्वेडोर आदि देशों से होती है तस्करी
दिल्ली के रास्ते नेपाल, चीन, व एशियाई देशों को होती है तस्करी
दिल्ली में हेरोइन, कोकीन, एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, कोडीन, आईस, एफड्रइन, मारीजुआना,हशीश कैथामिन, चरस, नार्फेन, लुफ्रिजेसिक, एमडीएमएस दवांए हैं नशेड़ियों में प्रचलित
कम आय वर्ग मे है स्मैक व अफीम का चलन
नशे के व्यापारियों का है बड़ा नेटवर्कझुग्गी झोपड़ी से लेकर रईसजादों तक फैला है तस्करों का नेटवर्क10 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक है एक बार नशा करने की कीमत

संजय टुटेजा
नई दिल्ली 30 जून।
देश की राजधानी दिल्ली अब नशे के कारोबार का भी हाॅट स्पाॅट बन गई है। न केवल करोड़़ो रुपये के नशीले पदार्थो की खपत केवल राजधानी में ही होती है बल्कि दिल्ली के रास्ते अन्य देशों को भी नशीले पदार्थो की खपत हो रही है। इस धंधे में लगे तस्करों का नेटवर्क दिल्ली में ही नहीं बल्कि देश के अन्य नगरों से लेकर कई देशों तक फैला है। स्थिति यह है कि दिल्ली इस धंधे का ट्रांजिट कैम्प बनती जा रही है। नशे के प्रति युवा वर्ग के बढ़ते आकर्षण के साथ साथ नशे का कारोबार भी निरंतर बढ़ रहा है। यह कारोबार न केवल संगठित नेटवर्क का रूप ले चुका है बल्कि अब देश की सीमाओं को भी पार कर चुका है। न केवल अफगानिस्तान, म्यमांर, ब्राजील, नाइजेरिया, हैती आदि देशों से नशीले पदार्थो के जहर की तस्करी राजधानी में हो रही है बल्कि राजधानी के रास्ते नशीले पदार्थ कुछ अन्य देशों को भी तस्करी के जरिए भेजे जाते हैं। राजधानी के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ही कई बार अनेक विदेशी नागरिक नशीले पदार्थो को लाते पकड़े गये हैं। देश में मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के अनेक हिस्सों में अफीम की खेती की जाती है, इस धंधे में लगे लोग उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश से यहां अफीम लाकर उससे हेरेाइन तेयार करते हैं ओर राजधानी के नशेड़ियों को इसकी आपूर्ति करने के साथ साथ अन्य महानगरों व देशों को भी भेजते हैं। राजधानी में नशे का कारोबार झुग्गी झोपड़ियों से लेकर उच्च वर्ग तक फैला है और प्रत्येक वर्ग को अपनी पसंद के नशीले पदार्थो सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। नशे का शिकार लोगों में युवा वर्ग की संख्या अधिक है। मस्ती की चाह में युवा वर्ग नशे का सेवन करता है और फिर इसका आदि हो जाता है। निम्न आय वर्ग के युवा जहां अफीम व स्मैक का सेवन करने के अलावा कुछ जीवन रक्षक दवाओं का उपयोग नशे के रूप में करते हैं वहीं उच्च आय वर्ग महंगी नशीली दवाओं व नशीले पदार्थो का सेवन करता है इनमें कोकीन, एक्सटेसी, एसिड एवं स्पीड जैसे नशीले पदार्थ प्रमुख हैं। कोकीन की कीमत 3 हजार से 6 हजार रुपये प्रति ग्राम है जबकि एक्सटेसी व एसिड जैसे नशीले पदार्थ 200 से 600 रुपये की प्रति खुराक के हिसाब से उपलब्ध हो जाते हैं जबकि स्मैक की एक पुड़िया 25 रुपये से लेकर 100 रुपये तक मिलती है। इसकी कीमत इसकी क्वालिटी पर निर्भर करती है। बाजार में भारतीय स्मैक अफगानिस्तान से आने वाली स्मैक की अपेक्षा काफी सस्ती है।

क्या कहता है कानून नशीली दवाओं के खिलाफ पुलिस की नारकोटिक शाखा तथा केन्द्र के नाकोटिक कंट्रोल ब्यूरो द्वारा समय समय पर अभियान चलाये जाते हैं लेकिन कानून में नशीली पदार्थो की तस्करी पर कोई बड़ी सजा न होने के कारण तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाता। नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकाट्रोपिक सबटेंसिस एक्ट के तहत कोकीन व अन्य मादक पदार्थो की तस्करी पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है लेकिन यह सजा मादक पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि मात्रा कम हो और निजी उपयोग के लिए हो तो इसमें एक वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

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