रविवार, 6 जुलाई 2008

लंका में आज भी स्थित हैं रामायाण कालीन स्थान

शोध में प्रमाणिक साबित हुई हैं रामायणकालीन घटनाएं
अशोक वाटिका में होगा रामकथा का आयोजन
नई दिल्ली 5 जुलाई।
करोड़ो लोगों के आस्था के प्रतीक भगवान राम के अस्तित्व को लेकर भले ही सवाल उठाये जाते रहे हों लेकिन लंका में आज भी रामायण कालीन स्थान मौजूद हैं और शोध में उक्त स्थानों पर रामायणकालीन घटनाएं प्रमाणिक साबित हुई हैं। एैसे ही एक स्थान ‘अशोक वाटिका’ पर एक भव्य मंदिर के निर्माण के बाद अब वहां श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीलंका में रामायण कालीन स्थानों के शोध में लगी विश्व स्तरीय 22 शोधार्थियों की टीम ने अपने शोध में न केवल रामायण कालीन अशोक वाटिका, सीता माता के अग्नि परीक्षा के स्थान, विभिषण के राज्याभिषेक का स्थान, रावण के गुप्त भूमिगत मार्ग आदि अनेक प्राचीन स्थानों का पता लगाया है बल्कि वहां रामायण कालीन घटनाओं के प्रमाण भी जुटाये हैं। इस टीम के प्रमुख सदस्य अशोक कैथ ने श्रीलंका में किये गये शोध से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि शोध को प्रमाणिक करने में जर्मन सरकार का उन्हें विशेष सहयोग रहा है।
उन्होंने बताया कि शोध के दौरान उन्हें वह स्थान भी मिला है जहां से रावण पुष्पक विमान से उड़ान भरता था, इसके अलावा वह पर्वत जहां रावण का शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, वह स्थान जहां श्री हनुमान जी द्रोण पर्वत से संजीवनी लेने गये तो आते समय उस संजीवनी का कुछ भाग जहां गिरा वह स्थान आज भी वहां है। उन्होंने बताया कि रावण के पुराने किले के अवशेष माता सीता द्वारा स्थापित विश्व का एक मात्रा शिवलिंग आदि अनेक स्थान एैसे हैं जो रामायण काल से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कुल 51 स्थान खोजे गये हैं उनका शोध अभी भी जारी है तथा अनेक अन्य स्थानों की भी खोज की जा रही है।
उन्होंने श्रीलंका के साथ सांस्कृति आदान प्रदान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि शोध के दौरान खोजी गई अशोक वाटिका में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है जहां 25 अगस्त से 30 अगस्त तक श्री रामकथा का निमंत्राण त्रिवेणी सेवा मिशन के कथाकार भाई अजय को दिया गया है। इस दौरान धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांगेराम गर्ग ने कहा कि रामायणकालीन तीर्थ स्थानों के मिलने के बाद अब उन स्थानों पर भी तीर्थयात्रा की शुरुआत होगी और इस यात्रा में अनेक संत, महात्मा व तीर्थ यात्राी शामिल होंगे।

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