आल्पसंख्यक महिलाओं को वंदे मातरम का मंत्रा दे गये आडवाणी
भीड़ को देख आडवाणी सहित सभी नेता हुए गदगद
भाजपा को अछूत नहीं मानती अल्पसंख्यक महिलाये
महंगाई को लेकर कांग्रेस से दूर होती दिखाई दी
संजय टुटेजा
आज भाजपा के लिए शायद एक सुखद दिन था। अल्पसंख्यक महिलाओं के सम्मेलन में उमड़ी भीड़ ही आश्चर्यजनक नहीं थी, बल्कि पार्टी के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी के स्वर में स्वर मिलाकर मुस्लिम महिलाओं का ‘भारत माता की जय’ और वंदे मातरम’ के नारे लगाना भी कम आश्चर्यजनक नहीं था। आडवाणी ने इस सम्मेलन में महिलाओं को राष्ट्रप्रेम और वंदेमातरम का मंत्रा दिया। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष शाहनवाज हुसैन द्वारा यहां मावलंकर सभागार में अल्पसंख्यक महिलाओं का सम्मेलन भाजपा के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। सम्मेलन में उमड़ी मुस्लिम महिलाओं की भीड़ की को देखकर तो भाजपा के तमाम नेता गदगद थे ही, इस भीड़ के बहाने भाजपा नेताओं को मुसलमानों की दृष्टि में लगा अछूत का दाग मिटाने का मौका भी मिला। तमाम वक्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं को यही समझाने का प्रयास किया कि भाजपा उनके लिए अछूत नहीं बल्कि उनकी हितैषी है। सम्मेलन में आई मुस्लिम महिलाएं भाजपा की नीतियों रीतियों से भले ही संतुष्ट हों या न हों लेकिन महिलाओं में बढ़ती महंगाई को लेकर आक्रोश था और यही आक्रोश उन्हें सम्मेलन तक खींच कर भी लाया। भाजपा के प्रति इस लगाव के बारे में जब राष्ट्रीय सहारा ने कुछ महिलाओं को कुरेदा तो रोजी रोटी, गरीबी, महंगाई आदि समस्याओं से जूझ रही इन महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा। बल्ली मारान निवासी रेहाना बोली ‘28 रुपये की आधा किलो दाल हो गई है अब खायें पियें या भूखे मरें, कहां जाये। ओखला निवासी वहीदा का गुस्सा इस तरह दिखाई दिया ‘जहां मर्जी तोड़ फोड़ कर देते है, न रहने देते हैं न खाने देते है, गरीबों की तो जान लेना चाहते हैं ये सरकार वाले। ये भाजपा वाले ही ठीक हैं। सम्मेलन में भाजपा के प्रधानमंत्राी पद के दावेदार लालकृष्ण आडवाणी के प्रति महिलाओं में काफी आकर्षण दिखाई दिया। बुरका पहने एक महिला जब आडवाणी से उनका आटोग्राफ लेने बढ़ी तो सुरक्षाकर्मियों ने उसे पीछे हटाया। आडवाणी ने सम्मेलन में महिलाओं को राष्ट्रीयता का पाठ पड़ाया और वंदेमातरम का मंत्रा दिया। उन्होंने स्वयं महिलाओं से वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगवाये। मुस्लिम महिलाओं के मुख से इस तरह के नारे सचमुच आश्चर्यजनक था। सम्मेलन के संयोजकों को भी यह अंदाजा नहीं रहा था कि इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं वहां तक पहुंचेगी इसलिए शायद सम्मेलन को एक सभागार में समेटा गया था लेकिन जितनी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं सम्मेलन में पहुंची उससे इस सम्मेलन को एक सभागार में समेटना आयोजकों के लिए भी मुश्किल हो गया। हांलांकि अल्पसंख्यक मोर्चे का यह राष्ट्रीय सम्मेलन था लेकिन इसमें राजधानी दिल्ली की मुस्लिम महिलाओं की संख्या अधिक थी जिन्हें भाजपा के स्थानीय मुस्लिम नेता अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए वहां लाये थे।
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