शनिवार, 30 अगस्त 2008

सवालों के घेरे में है मासूम नादिर की मौत

मासूम नादिर

स्कूल प्रशासन की भूमिका दिखाई दे रही है संदिग्ध
दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्रा मासूम नादिर की मौत सवालों के घेरे में है। स्कूल परिसर के भीतर हुई इस मौत के मामले में स्कूल प्रशासन भी संदेह के घेरे में दिखाई दे रहा है। हालांकि यह कहा जा रहा है कि नादिर की मौत स्वीमिंग पुल में डूब कर हुई लेकिन इतने विख्यात स्कूल में एक मासूम बच्चा स्वीमिंग पुल तक कैसे पहुंच गया और यदि बच्चा स्वीमिंग पुल तक पहुंच भी गया तो उस दौरान लाइफ गार्ड, सुरक्षा गार्ड व कोच उसे क्यों नहीं बचा सके। यही सवाल इस मासूम के परिवार को ही नहीं बल्कि पुलिस को भी कुरेद रहे हैं। सराय काले खां स्थित हरिजन बस्ती निवासी रईस अहमद के 13 वर्षीय मासूम पुत्रा नादिर उर्फ नादुर को स्कूल की वैन शाम लगभग छह बजे शाही अस्पताल लेकर पहुंची। उस समय तक नादिर की मौत हो चुकी थी। उसकी मौत के बाद स्कूल प्रशासन ने उसके परिवार को तो खबर कर सीधे अस्पताल बुलाने के बजाय स्कूल में बुलाया जहां बताया गया कि नादिर की तबीयत खराब है। उसके परिजनों को अस्पताल पहुंच कर ही नादिर की मौत का पता चला लेकिन यह मौत कैसे हुई यह बताने वाला उसे वहां कोई नहीं था। स्कूल के जो कर्मचारी उसे अस्पताल लेकर आये उन्होंने उसे बताया कि नादिर की मौत स्कूल के स्वीमिंग पुल में डूब कर हुई है। राजधानी में अपनी अलग पहचान रखने वाले डीपीएस परिसर के भीतर छात्रा की डूब कर मौत हो जाने की बात न तो पुलिस के गले उतर रही है और न ही उसके परिजन इस पर विश्वास कर रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस इस मामले में हत्या की आशंका को देखते हुए भी अपनी जांच कर रही है। नियमानुसार प्रत्येक स्वीमिंग पुल पर बचाव के लिए लाइफ गार्ड नियुक्त होने के अलावा कोच नियुक्त होता है लेकिन नादिर को नहीं बचाया जा सका। जिस समय घटना हुई उस समय स्कूल के सुरक्षा गार्ड, स्वीमिंग पुल पर रहने वाले लाइफ गार्ड व कोच कहां थे और उसे बचाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि स्वीमिंग पुल के चारों तरफ बाउण्ड्री है और छोटे बच्चे का उस बाउण्ड्री को पार कर वहां तक पहुंचना मुश्किल है फिर मात्रा 13 वर्ष का मासूम स्वीमिंग पुल तक कैसे पहुंचा। उसके पिता ने उसे साढ़े चार बजे स्कूल के गेट पर एक्सट्रा क्लास के लिए छोड़ा, उसके बाद वह क्लास में गया या नहीं, इस बारे में भी पुलिस प्रशासन अभी चुप है। यदि क्लास में गया तो क्लास बीच में छोड़ कर वह स्वीमिंग पुल की तरफ कैसे बढ़ गया। शिक्षा व अनुशासन के लिए प्रख्यात इस स्कूल में जब एक छात्रा क्लास से गायब हो गया तो इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। यह सब एैसे सवाल हैं जिनके जवाब में अभी स्कूल प्रशासन मौन है। स्कूल के भीतर इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद देर रात तक स्कूल प्रशासन का कोई अधिकारी न तो अस्पताल में मौजूद था और न ही नादिर के घर कोई पहुंचा। मीडिया ने जब स्कूल जाकर स्कूल प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्डो ने स्कूल का गेट खोलने से ही इन्कार कर दिया। स्कूल प्रशासन न तो बात करने को तैयार है और न ही नादिर की मौत के कारणों को स्पष्ट कर रहा है।

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

उफनते जल सैलाब में ठहर गई जिंदगी

फोटो अनिल सिन्हा

जीवन तो बच गया लेकिन नहीं बचा सके जीने का सामान

500 से अधिक लोग अभी तक फंसे हैं पानी में
महिलायें, बच्चे व वृद्ध छह दिन से छतों पर डाले हुए हैं डेरा
नही है उफनते पानी से निकलने का कोई रास्ता
गांव में दिखाई देता है तबाही का मंजर
रोटी को भी मोहताज हैं पानी में फंसे लोग
o दो हजार से अधिक लोग हैं बाढ़ से प्रभावित
मदद के लिए भेजी गई नौकाएं बनी मौज मस्ती का साधन

संजय टुटेजा
नई दिल्ली,
यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद यमुना के खादर में बसे उस्मानपुर के लोगों की जिंदगी मानों जल सैलाब में ठहर गई है। इनकी जिंदगी तो बच गई लेकिन जीने का सामान वह नहीं बचा सके हैं। स्थिति यह है कि आज छठे दिन भी लगभग 500 महिलाएं, बच्चे व वृद्ध उफनते पानी के बीच में फंसे हैं और छतों पर डेरा डालकर अपनी जान बचाए हुए हैं। चैतरफा उफनते पानी से घिरा कोई भूख प्यास से बिलबिला रहा है तो कोई बीमारी में दवा के लिए तड़प रहा है। स्वतंत्राता दिवस की सुबह जब देश आजादी के गीत गा रहा था और देश के प्रधानमंत्राी डा।मनमोहन सिंह लालकिले की प्राचीर से गरीबों के विकास के दावे कर रहे थे, ठीक उसी समय राजधानी में यमुना के खादर में बसे उस्मानपुर गांव में यमुना के जल सैलाब ने एैसा तांडव किया कि यहां बसें दो हजार से अधिक लोग बेघर हो गये। किसी ने किनारों की ओर भाग कर जान बचाई तो और जो भाग नहीं सकते थे उन्होंने छतों पर चढ़कर जान बचाई। आज छह दिन बाद यमुना के जल स्तर में मामूली कमी तो आई है लेकिन यह गांव अभी भी जलमग्न है और गांवों में छतों पर बैठे बच्चे, महिलाएं व वृद्ध चारो तरफ मदद के लिए देख रहे है। राष्ट्रीय सहारा ने आज नौका से इस गांव में हुई तबाही का जायजा लिया तो पूरा गांव जलमग्न दिखाई दिया। न तो गांव तक पहुंचने का कोई रास्ता था और न ही इन्हें मदद पहुंचाने के लिए कोई सरकारी हाथ वहां दिखाई दिया। छतो ंपर बैठे लोग बेघर होकर अपनी बरबादी का मंजर देख रहे थे और मदद की गुहार करते दिखाई दे रहे थे। कुछ परिवार अभी भी पानी में तैर रहे अपने सामान को समेटने का प्रयास कर रहे थे। अपने घरों की छतो ंपर बैठे लोगों का वहां से किनारे तक आना आज भी नामुमकिन था। कोई प्यास बुझाने के लिए पानी मांगता दिखाई दिया तो कोई पेट की आग बुझाने के लिए रोटी मांग रहा था। बाढ़ बचाव दल की आधा दर्जन नोकाएं पीड़ितों तक कोई मदद पहुंचाने के बजाय वहां मौज मस्ती का साधन दिखाई दी, कुछ प्रभावी लोग इन नौकाओं पर बैठकर नौकायन का आनंद ले रहे थे। गांव की ही एक छत से आवाज लगाकर मुखराम ने बताया कि उसके परिवार की एक महिला बिरजेश तीन दिन से बीमार है और दवा के अभाव में वह लगातार तड़प रही है। आरएमएल में कार्यरत श्रीपाल ने बताया कि उसके घर का सभी सामान पानी में बह गया है, और परिवार की महिलाएं व बच्चे छत पर हैं।ला लोगांे में राहत कार्यो को लेकर रोष था। उन्होंने बताया कि राहत के नाम पर केवल यमुना के किनारे कुछ टैण्ट लगा दिये गये हैं जिनमें कुछ झुग्गी वासियों ने डेरा डाल लिया है जबकि आज भी पानी के बीच फंसे लोगों के पास न तो खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है और न ही कोई अन्य मदद की जा रही है।

रविवार, 10 अगस्त 2008

आजादी के त्यौहार पर आतंक का साया

स्वतंत्राता दिवस समारोह की सुरक्षा बनी बड़ी चुनौती

आतंकी वारदात का खौफ सुरक्षा एजेंसियों पर
लालकिले को आम नागरिकों के लिए किया बंद
खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों ने लिया लालकिले की आंतरिक व बाहय सुरक्षा का जायजा
सुरक्षा में होंगे 5 से 7 हजार जवान तैनात
ध्वजारोहण स्थल पर होगा प्रधानमंत्राी का विशेष सुरक्षा दस्ता
किसी अनहोनी से निपटने के लिए शार्ट शूटर रहेंगे तैनात
दिल्ली पुलिस के साथ एसपीजी, सीआईएसएफ, महिला कमांडो तथा रेपिड एक्शन फोर्स के जवान संभालेगे सुरक्षा की कमान
तीन दर्जन स्थानों पर मचान से रखी जायेगी समूचे क्षेत्रा पर नजर
बड़े जूम कैमरों की निगाह होगी दूर तक
जगह जगह लगे सीसीटीवी कैमरों की निगाह में होंगा पूरा समारोह
एक विशेष नियंत्राण कक्ष से लिया जायेगा सुरक्षा का जायजा
दिल्ली पुलिस ने पांच प्रमुख आतंकवादियों का पोस्टर जारी किया
लगभग आधा दर्जन आतंकवादी संगठनों से है खतरा

संजय टुटेजा
अहमदाबाद एवं बैंगलूरु में हुए बम विस्फोटों के बाद सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के लिए आगामी स्वतंत्राता दिवस समारोह की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है। आतंकवादी आजादी के पर्व पर राजधानी दिल्ली में भी अहमदाबाद या बैंगलूरु की पुनरावृत्ति कर सकते हैं, इसे देखते हुए खुफिया व सुरक्षा एजेंसियां न केवल सतर्क हैं बल्कि दिल्ली को बचाने के लिए मजबूत किलेबंदी की जा रही है। लालकिले पर होने वाले मुख्य समारोह की सुरक्षा हो या फिर राजधानी के अन्य संवेदनशील स्थान सभी स्थानों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने के साथ साथ संदिग्ध लोगों पर नजर रखने के लिए बड़े जूम कैमरे लगाये जा रहे है। सुरक्षा की दृष्टि से लालकिले को भी कल से आम नागरिकों के लिए बंद किया जा रहा है। देश की प्रमुख सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को राजधानी दिल्ली में भी आतंक की आहट सुनाई दे रही है। हाॅल ही में बैंगलुरू व अहमदाबाद में हुए सीरियल बम विस्फोटों ने जिस प्रकार खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्राणाली पर सवालिया निशान लगाया है उसे देखते हुए 15 अगस्त को देश भर में मनाये जाने वाले स्वतंत्राता दिवस पर भी आतंकी कार्रवाई का खंतरा मंडरा रहा है। इस खतरे से सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी वाकिफ हैं और सरकार भी, यही कारण है कि इस बार हर वर्ष की तरह लालकिले पर होने वाले स्वतंत्राता दिवस समारोह की सुरक्षा को लेकर भी विशेष एहतियात बरती जा रही है तथा आतंकी वारदातों को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। स्वतंत्राता दिवस पर 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्राी देश को संबोधित करेंगे। इस समारोह में देश विदेश के तमाम प्रमुख लोग उपस्थित रहते हैं, एैसे में लालकिले और उसके आस पास के क्षेत्रा की सुरक्षा के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है और लालकिले के चारो ओर बेरिकेटिंग लगाने के साथ साथ कल से लालकिले को आम नागरिकों के लिए भी बंद किया जा रहा है। सुरक्षा को लेकर आपसी तालमेल का अभाव न रहे इसके लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों व खुफिया एजेंसियों के अधिकारी लगातार बैठकें कर सुरक्षा की रणनीति बनाने के साथ साथ सभी संवेदनशील स्थलों का दौरा कर स्वयं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। राजधानी के सभी बस अड्डो, रेलवे स्टेशनों व मैट्रो की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के साथ साथ लालकिले पर होने वाले समारोह की सुरक्षा के लिए ही 5 से 7 हजार जवानों को तैनात करने की योजना बनाई गई है। यहां शार्प शूटर भी तैनात होंगे जो प्रतिकूल स्थिति में तत्काल गोली चलाकर अनहोनी को टाल देंगे। लालकिले के चारों ओर लगभग एक दर्जन स्थानों पर बड़े जूम कैमरे लगाये जा रहे हैं जो दूर तक निगाह रखेंगे। इसके अलावा तीन दर्जन मचान बनाई जा रही हैं जिन पर दूरबीन के साथ सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे। सभी प्रमुख स्थानों, समारोह के प्रवेश द्वारों तथा आस पास के क्षेत्रों पर सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जायेगी। लालकिले में ही एक नियंत्राण कक्ष बनाया जा रहा है जहां सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारी मौजूद रहकर प्रत्येक क्षेत्रा की सुरक्षा पर स्वयं नजर रखेंगे। किसी भी संदिग्ध गतिविधि से निपटने के लिए भी सुरक्षाकर्मियों को विशेष निर्देश दिये गये हैं ताकि समारोह स्थल पर कोई अव्यवस्था न हो। विभिन्न बाजारों व सार्वजनिक भीड़भाड़ वाले स्थानों की सुरक्षा को देखते हुए वहां बैरिकेटिंग लगाने के साथ साथ चेकिंग प्वाइंट बढ़ा दिये गये हैं।
आधा दर्जन आतंकवादी संगठनों से है खतरा
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिद्दीन व हरकत उल अंसार जैसे लगभग आधा दर्जन संगठन स्वतंत्राता दिवस पर राजधानी में कोई बड़ी वारदात कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस ने एैसे पांच खुंखार आतंकवादियों के पोस्टर भी जारी किए हैं जिनसे स्वतंत्राता दिवस पर राजधानी की सुरक्षा को खतरा है। इन खुंखार आतंकवादियों में पाकिस्तान निवासी अबु शोकर, अनंतनाग निवासी तारिक अहमद, श्रीनगर निवासी अबु हैदर, तथा पाकिस्तान निवासी अबु शाद एवं रोहिल शेख शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने आम जनता से सतर्क रहने तथा यह आतंकवादी कहीं दिखाई देने पर पुलिस को सूचना देने की अपील की है।

नई बसों की खरीद में डीटीसी को करोड़ो का चूना लगाने की तैयारी

सांठ गांठ से हो गई लोफ्लोर की दरों में 14 लाख की बढ़ोत्तरी
निगम के एक पूर्व अधिकारी कंपनियों से कर रहे हैं दलाली


दिल्ली परिवहन निगम के लिए एक हजार साधारण बसों तथा ढाई हजार लोफ्लोर बसों की खरीद में निगम को करोड़ों का चूना लगाने की तैयारी हो गई है। इस सौदे में भारी दलाली के साथ साथ कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सुनियोजित रणनीति बनाई गई है और निगम के एक पूर्व अधिकारी इस दलाली में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इसी रणनीति के तहत एक कम्पनी से महंगी दरों पर साधारण बसें तथा दूसरी कम्पनी से महंगी दरों पर लोफ्लोर बसें खरीदने की रणनीति बनाई गई है। निगम के एक पूर्व अधिकारी व एक मौजुदा अधिकारी इस सौदे में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, यही कारण है कि इस सौदे में बस निर्माता कंपनिया भी आपसी प्रतिस्पर्धा के बजाय एक दूसरे की मदद करती दिखाई दे रही हैं। दिल्ली परिवहन निगम के लिए जल्द ही एक हजार साधारण बसें तथा ढाई हजार लोफ्लोर बसे खरीदी जानी हैं और दोनों ही सौंदों के लिए निविदा प्रक्रिया भी शुरु कर दी गई है। यूं तो इन बसों की खरीद के लिए निगम बोर्ड बस निर्माता कम्पनियों से सौदेबाजी करता दिखाई दे रहा है लेकिन इस सौदेबाजी के पीछे असली खेल निगम के कुछ अधिकारी तथा एक पूर्व अधिकारी खेल रहे हैं। इस पूर्व अधिकारी ने हाॅल ही में निगम से त्यागपत्रा दिया है, बावजूद इसके वह इस सौदे में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। बताया जाता है कि 29 जुलाई को साधारण बसों की खरीद पर निर्णय लेने के लिए हुई निगम बोर्ड की बैठक से एक दिन पूर्व यह अधिकारी एक कम्पनी से दलाली के लिए चेन्नई में गये थे और कम्पनी अधिकारियों के साथ ही यहां लौटे। लोफ्लोर एवं साधारण बसों की आपूर्ति के लिए टाटा तथा अशोक लीलेैण्ड दो कम्पनीयां ही मैदान में हैं और रणनीति इस तरह की बनाई गई है साधारण बसें अशोक लीलेण्ड से खरीद ली जायें और लोफ्लोर बसें टाटा कम्पनी से खरीदी जायें। सूत्रों के अनुसार सौदे में सक्रिय अधिकारियों ने इसके लिए कम्पनियों से सांठ कर उन्हें इस प्रतिस्पर्धा के चक्कर में पड़ने के बजाय मनमानी दरो ंपर कोई एक सौदा लेने के लिए राजी भी कर लिया है। यही कारण है कि साधारण बसों के लिए टाटा ने प्रतिस्पर्धा न कर अपनी अधिकतम दरें दी हैं तथा लोफ्लोर के लिए अशोक लीलेंड भी अधिकतम दरों के साथ प्रतिस्पर्धा करती दिखाई नहीं दे रही है। एक हजार साधारण बसों की खरीद के लिए दी गई निविदा में टाटा कम्पनी ने 33 लाख रुपये प्रति बस तथा अशोक लीलेण्ड कम्पनी ने लगभग 27 लाख प्रति बस की दर दी है। अब से पहले भी डीटीसी ने अशोक लीलेंड से ही साधारण बसें खरीदी थी जिनकी औसत कीमत लगभग साढ़े पन्द्रह लाख थी लेकिन वर्तमान में डीटीसी ने साधारण बसों के लिए जो औसत मूल्य तय किया है वह लगभग 20 लाख है। एैसे में टाटा कम्पनी की 33 लाख कीमत से स्पष्ट है कि सांठ गांठ के तहत सौदेबाजी का नाटक कर अशोक लीलैण्ड को ही साधारण बसों का आर्डर दे दिया जायेगा। डीटीसी बोर्ड की 29 जुलाई को हुई बैठक में अशोक लीलेण्ड कम्पनी को अपनी दरें कम करने के लिए दो दिन का समय दिया गया। माना जा रहा है कि बोर्ड की आगामी बैठक में दरों में थोड़े फेरबदल के साथ अशोक लीलेण्ड को आर्डर देने पर मुहर लग जायेगी। यही रणनीति ढाई हजार लोफ्लोर बसों की खरीद में बनाई गई है। यह विडंबना ही है कि जो लोफ्लोर बसें एक वर्ष पूर्व 41 लाख में खरीदी गई थी उन्हीं लोफ्लोर बसों के लिए टाटा ने लगभग 14 लाख की बढ़ोत्तरी के साथ लगभग 55 लाख रुपये प्रति बस की दर दी है। अशोक लीलेंड ने लोफ्लोर के लिए लगभग 63 लाख रुपये प्रति बस की दर दी है, अशोक लीलेण्ड की दरों से स्पष्ट है कि यह कम्पनी लोफ्लोर के लिए प्रतिस्पर्धा करती दिखाई नहीं दे रही है। अब ढाई हजार बसें खरीदी जानी हैं, और 14 लाख रुपये प्रति बस की कीमत अधिक देकर बसें खरीदी गई तो सरकार व निगम को 300 करोड़ से अधिक का चूना लगेगाा। दिल्ली परिवहन मजदूर संघ ने बसों की सौदेबाजी के पीछे हो रहे इस खेल की जांच कराने की मांग की है। निगम चेयरमैन रमेश नेगी ने किसी अधिकारी को सौदेबाजी के लिए चेन्नई भेजे जाने से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई पूर्व अधिकारी अपने निजी काम से गया है तो उसकी उन्हें जानकारी नहीं है।

इस माह शुरु होगा हवाई अड्डे के तीसरे रनवे का ट्रायल

तीसरे रनवे के बाद एयरपोर्ट की क्षमता में होगी वृद्धि
घरेलू उड़ानों पर 16 मिलियन यात्राी हैं प्रति वर्ष
घरेलू टर्मिनल की मौजुदा क्षमता है 8 मिलियन यात्राी प्रति वर्ष
इस वर्ष के अंत तक घरेलू टर्मिनल की क्षमता 18 मिलियन करने की तैयारी
वर्ष के अंत तक तैयार होगा नया घरेलू टर्मिनल 1-डी
इस टर्मिनल की क्षमता होगी 10 मिलियन यात्राी प्रति वर्षवर्ष 2010 तक हवाई अड्डे की क्षमता होगी 60 मिलियन यात्राी प्रति वर्ष
4430 मीटर लंबा और 60 मीटर चैड़ा है तीसरा रनवे
इस रनवे पर बड़े विमान पर उतर सकेंगे आसानी से
रनवे पर इलैक्ट्रानिक उपकरणों का काम बाकी
डीजीसीए ने दिये काम पूरा करने के निर्देश
आकाश पर विमानों का दबाव होगा कम
प्रतिदिन औसतन 660 विमानों का होता है आवागमन
व्यस्त समय के दौरान प्रति मिनट में एक विमान का होता है आवागमन
औसतन ढाई से तीन मिनट में एक विमान का होता है आवागमन
एक वर्ष में हुई 231200 उड़ानों का हुआ आवागमन
लेण्डिंग के लिए घंटो आकाश में चमारीक्कर लगाने से मिलेगी मुक्ति
सवेरे 7 से 10 तथा शाम 6 से 9 बजे तक रहती है मारा


राजधानी के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तीसरे रनवे पर उतरने के लिए विमानो ंको अभी इंतजार करना होगा। हालांकि रनवे बनकर तैयार हो चुका है लेकिन सिग्नल व्यवस्था एवं इलैक्ट्रानिक उपकरणों का काम अभी बाकी है। डीजीसीए ने रनवे का काम जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये हैं बावजूद इसके सितंबर माह से पूर्व रनवे शुरु होने की संभावना नहीं है। राजधानी के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर फिलहाल दो ही रनवे है लेकिन हवाई यातायात दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। बढ़ते हवाई यातायात के चलते यहां आने वाले विमानों को रनवे खाली न होने के कारण उतरने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है तथा उड़ान भरने वाले विमानों में भी अक्सर देरी हो जाती है। कई बार तो सवेरे व शाम के दौरान व्यस्त समय में विमानों को रनवे पर उतरने के लिए आकाश पर काफी देर तक चक्कर लगाना पड़ता है। यही नहीं रनवे की चैड़ाई कम होने के कारण इस रनवे पर बड़े विमान भी आसानी से नहीं उतर सकते। हवाई अड्डे पर बढ़ते यातायात को देखते हुए ही एक नये आधुनिक रनवे की आवश्यकता महसूस की गई और हवाई अड्डे को निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (डायल) ने हवाई अड्डे के विकास के लिए बनाये गये मास्टर प्लान में तीसरे रनवे के निर्माण को भी शामिल किया। हवाई अड्डे पर मौजुदा रनवे 10/28 की लबाई 3815 मीटर है तथा चैड़ाई 45 मीटर है जबकि दूसरे रनवे 9/27 की लंबाई 2810 मीटर तथा चैड़ाई 45 मीटर है। इन दोनों रनवे की चैड़ाई कम होने के कारण ए380 जैसे बड़े विमानों को यहां उतरने में कठिनाई होती रही है लेकिन डायल द्वारा बनाये जा रहे तीसरे रनवे की लंबाई 4430 मीटर तथा चैड़ाई 60 मीटर है जिससे बड़े विमानों को यहां उतरने में कठिनाई नहीं होगी। यह रनवे कैट थ्री बी सुविधा से सुसज्जित होगा। हाल ही में डीजीसीए ने भी डायल तथा एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया को रनवे का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये हैं। डायल के असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट अरुण अरोड़ा का कहना है कि डायल ने रनवे तैयार कर दिया है अब कुछ काम अन्य एजेंसियों को करना है। उन्होंने कहा कि अगस्त माह के अंत तक काम पूरा हो जायेगा तथा संभवतः इस रनवे का ट्रायल भी शुरु हो जायेगा। उन्होंने बताया कि ट्रायल के बाद सितंबर में रनवे को विमानों के लिए खोल दिया जायेगा। इसके बाद आकाश पर यातायात का दबाव कम होगा और विमानों को उतरने व उड़ान के लिए इंतजार नही करना पड़ेगा। यातायात के व्यस्त समय में राजधानी में प्रति एक़ मिनट में एक विमान का आवागमन होता है। प्रतिदिन लगभग 660 विमानों का आवागमन राजधानी में होता है औसतन 30 से 40 विमान प्रति घंटा यहां आवागमन करते हैं। तीन वर्ष में इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर आने व जाने वाले विमानों की संख्या में लगभग 65 हजार उड़ानों की वृद्धि हुई है। पिछले पांच वर्ष में हवाई उड़ानों की संख्या दोगुने से भी अधिक हो गई है, यही कारण है कि मौजुदा दोनों रनवे पर विमानों का दबाव रहता है।

बढ़ती मांग ने राजधानी में बढाया सीएनजी संकट

  • पैट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से सीएनजी की मांग बढ़ी
    दो वर्ष में बढ़ गये 250 प्रतिशत सीएनजी यूजर्स
    सीएनजी स्टेशनों पर लगी हैं लंबी कतारें
    पिछले एक माह में ही बढ़ी दो लाख किलो सीएनजी की खपत
    पैट्रोल,डीजल की कीमतें बढ़ने से सीएनजी कनवर्ट कराने वालों की संख्या बढ़ी
    मुरली देवड़ा ने किया आईजीएल के एमडी को तलब
    आईजीएल ने बताई समस्याएं
    एनसीआर से आने वाले वाहन बने बड़ी समस्या30 प्रतिशत वाहनों का दबाव होता है एनसीआर से
    आईजीएल के पास नहीं है सीएनजी की कमी
    कम्प्रेशर क्षमता है सीएनजी स्टेशनो पर कतारों का प्रमुख कारण
    वाहनों के अनुपात में नहीं बढ़ रहे हैं सीएनजी स्टेशन
    भूमि आवंटित न होने के कारण बेबस है आईजीएल
    भूमि के लिए 40 आवेदन दबे हैं फाइलों मेंमौजुदा स्टेशनों की क्षमता बढाने की शुरु हुई तैयारी
    2.25 लाख प्राइवेट व सार्वजनिक वाहन प्रतिदिन भरवाते हैं सीएनजी
    सीएनजी स्टेशनों की संख्या है कुल 163
  • आईजीएल के स्टेशन 65पैट्रोल पम्पों पर लगे 75डीटीसी डिपो में लगे स्टेशन 23
    13 लाख किलो खपत होती है प्रतिदिन
    एक माह में दो लाख किलो सीएनजी की खपत बढ़ी
    आईजीएल ने विदेश से मंगाये 54 नये हाईकैपिसिटी कम्परेशर व 120 नये डिस्पेंसर
    सीएनजी वाहनों की
  • संख्यासीएनजी बसें २२५०० आटो रिक्शा ५५००० छोटे माल वाहक वाहन 24500
    एनसीआर से प्रतिदिन आने वाले सीएनजी वाहन लगभग 40 हजार
    अन्य प्राइवेट वाहन लगभग 1 लाख
    पैट्रोलियम पदार्थो की लगातार बढ़ती कीमतों ने राजधानी के सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की कतार लंबी कर दी है। पिछले एक माह में ही जहां सीएनजी की खपत में दो लाख किलो की बढ़ोत्तरी हो गई है वहीं पिछले दो वर्ष में 250 प्रतिशत सीएनजी के उपभोक्ता बढ़ गये है, यही कारण है कि सीएनजी स्टेशनों पर वाहनों की कतार छोटी नहीं हो रही है। इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के पास पर्याप्त सीएनजी तो है लेकिन पर्याप्त संसाधन व स्टेशनों की कमी होने के कारण यह समस्या विकराल हो रही है। आईजीएल ने दिसंबर तक संसाधनों व स्टेशनों का पूर्ण विस्तार करने की योजना बनाई है। राजधानी में सीएनजी गैस की आपूर्ति की जिम्मेदारी इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के पास है लेकिन आईजीएल प्रबंधन के सामने मुख्य समस्या यह है कि समय के साथ साथ राजधानी में सीएनजी उपभोक्ताओं की बढ़ोत्तरी तो हो रही है लेकिन उस अनुपात में आईजीएल के संसाधनों की बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। कहीं स्टेशन के लिए जमीन न मिलने की समस्या है तो कहीं कोई अन्य तकनीकी अड़चन सामने खड़ी है, नतीजतन विस्तार की तमाम योजनाएं अभी तक खटाई में पड़ी रही हैं। पैट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों के कारण प्राइवेट वाहन संचालक अब अपने वाहनों में सीएनजी किट लगवाना पसंद कर रहे हैं। औसतन प्रतिदिन 150 से 200 नये वाहनों में सीएनजी किट लगाई जा रही है जिससे आईजीएल के स्टेशनों पर दबाव बढ़ रहा है। हाल ही में लगभग 5000 स्कूली वैन भी सीएनजी में परिर्वतित कर दी गई है। इसके अलावा प्रतिदिन अनुमानित 30 से 40 हजार वाहन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा से दिल्ली में आते हैं और एनसीआर में कहीं सीएनजी स्टेशन न होने के कारण इनका दबाव भी राजधानी के स्टेशनों पर ही रहता है। अक्टूबर 2007 में आईजीएल को नोयडा में स्टेशन लगाने की अनुमति मिली है लेकिन अभी तक नोयडा में एक छोटा स्टेशन स्थापित हो सका है, अन्य स्टेशनों के लिए तकनीकी अड़चने दूर होने व भूमि आवंटित होने का इंतजार आईजीएल कर रही है। सीएनजी स्टेशनों पर बढ़ते दबाव का प्रमुख कारण स्टेशनों की कम्प्रेशर क्षमता में कमी होना, वाहनो ंकी संख्या बढ़ना तथा नये स्टेशनों के खुलने में देरी होना है। आईजीएल प्रबंधक निदेशक ओम नारायण कहते हैं कि वह लंबे समय से नये स्टेशनों के लिए भूमि आवंटित होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन भूमि संबधी लगभग 40 आवेदन डीडीए और एमसीडी की फाइलों में दबे हुए हैं। वह कहते हैं कि वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है जिसे देखते हुए 54 नये कम्प्रेशर आयात करने के अलावा 120 सीएनजी डिस्पेंसर मंगाये गये हैं जिनके लगने के बाद सीएनजी कम्प्ररेशर क्षमता में 30 से 40 प्रतिशत की बढोत्तरी हो जायेगी। उन्होंने बताया कि विस्तार की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है और दिसंबर तक समस्या का समाधान पूरी तरह हो जायेगा। रसीएनजी के मौजुदा स्टेशनों पर लगी कम्परेशर मशीनें लगातार 18-18 घंटे चलाई जा रही है इसके बावजूद सभी वाहनों को सीएनजी उपलब्ध नहीं हो पाती। लगभग 3 से 4 किलो सीएनजी की कमी रोजाना दिखाई देती है जबकि यह कमी केवल कम्परेशर क्षमता न होने के कारण ही है, वास्तव में आईजीएल के पास सीएनजी की कमी नहीं है। राजधानी में सीएनजी की प्रतिदिन की खपत लगभग 13 लाख किलो है। बीते एक माह में ही दो लाख किलो की मांग बढ़ गई है। हालांकि कम्प्रेशन की मौजुदा क्षमता आईजीएल के पास 21 लाख किलो प्रतिदिन की है लेकिन कम्प्रेशर मशीनें कुल क्षमता का 50 प्रतिशत ही कार्य सुविधाजनक तरीके से करती हैं नतीजतन लगभग 10.5 लाख किलो प्रतिदिन की आपूर्ति तो आराम से हो जाती है लेकिन इससे ऊपर की मांग को पूरा करने के लिए आईजीएल को मशक्कत का सामना करना पड़ता है। पेट्रोलियम मंत्राी ने आईजीएल प्रबंध निदेशक को किया तलब
    राजधानी में सीएनजी को लेकर उत्पन्न संकट को देखते हुए केन्द्रीय पैट्रोलियम मंत्राी मुरली देवड़ा ने आज आईजीएल के प्रबंध निदेशक को तलब किया। आईजीएल प्रबंधक निदेशक ओम नारायण ने विभिन्न तकनीकी अड़चनों से मंत्राी को अवगत कराया। राजधानी में सीएनजी स्टेशनों पर लगी लंबी कतारों तथा लोगों को हो रही कठिनाई के मद्देनजर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्राी मुरली देवड़ा ने आज आईजीएल के प्रबंध निदेशक ओम नारायण को बुलाकर सीएनजी संकट पर चर्चा की। इस दौरान प्रबंध निदेशक ओम नारायण ने उन्हें बताया कि भूमि उपलब्ध न होने के कारण ही नये स्टेशन स्थापित करने में अडचन आ रही है। उन्होने बताया कि स्टेशनों की कम्प्रेशर क्षमता बढ़ाने के लिए 54 हाईकैपिसिटी मशीने आयात की गई हैं। उन्होंने बताया कि नोयडा में एक स्टेशन के लिए 40 करोड़ का निवेश पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने मंत्राी के समक्ष स्पष्ट किया सीएनजी की कोई कमी नही, केवल कुछ ढांचागत सुविधाओं की कमी है जिसके चलते थोड़ा दबाव है। उन्होंने कहा कि नोयडा में आवंटित भूमि में अड़चन के कारण काम रुक गया है। उन्होंने बताया कि नोयडा में पाइप लाइन भी बिछा दी है वहां भूमि आवंटन में हो रही अड़चन दूर होती ही स्टेशन काम करने लगेगा। केन्द्रीय मंत्राी मुरली देवड़ा ने तकनीकी समस्याओं के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्राी से बात करने के अलावा उत्तर प्रदेश व हरियाणा सरकार से भी इस संबध में बात करने का आश्वासन दिया है।