बस हो गया चुनाव का शंखनाद। चुनावी महाभारत का भाजपा की ओर से शायद यह औपचारिक शंखनाद था। भाजपा द्वारा आज आयोजित ‘विजय संकल्प रैली’ से हालांकि आम जनता दूर थी लेकिन रैली में आडवाणी की मौजुदगी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए काफी थी। रैली के माध्यम से पार्टी नेतृत्व ने विभिन्न मुद्दे उठाकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश तो की ही साथ ही पार्टी के विभिन्न नेताओं की आपसी एकता का संदेश भी कार्यकर्ताओं को दिया।
प्रदेश भाजपा द्वारा आयोजित इस विजय संकल्प रैली का आयोजन किसी बड़े मैदान में न कर वीपी हाऊस के छोटे परिसर में किया गया। इस रैली में पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था ताकि आगामी चुनाव के मद्देनजर उन्हें सक्रिय कर उत्साह भरा जा सके निश्चित रूप से आडवाणी की मौजुदगी से कार्यकर्ताओं का जोश और उत्साह हिलौरें ले रहा था और पार्टी अपने इस उद्देश्य में कामयाब भी दिखाई दी। रैली में न तो आम जनता की भागीदारी थी और न ही बड़ी रैलियों जैसा उत्साह और वातावरण।
हालांकि यह माना जा रहा था कि चुनाव से पूर्व पार्टी राजधानी में कोई बड़ी रैली कर चुनावी शंखनाद करेगी लेकिन जिस तरह आडवाणी की इस रैली को प्रदेश भाजपा आम जनता से नहीं जोड़ पाई उससे आडवाणी के चुनावी शंखनाद की गूंज भी औपचारिक होकर रह गई। पार्टी के भीतर ही इस रैली को सीमित स्तर पर करने को लेकर मतभेद था। कुछ नेता चाहते थे कि रैली भले ही कुछ दिन बाद हो लेकिन विशाल स्तर पर रैली की जानी चाहिए ताकि आम जनता के बीच सरकार के काले चिट्ठों की पोल खोली जा सके।
आज की यह रैली समूची पार्टी का मुख्यमंत्राी पद के उम्मीदवार प्रो.विजय कुमार मल्होत्रा को समर्थन भी साबित हुई। रैली के माध्यम से यह भी संदेश देने की कोशिश की गई कि प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा की मुख्यमंत्राी पद की उम्मीदवारी पर पार्टी के सभी नेता एक राय से पार्टी के साथ हैं। रैली में जिस तरह सभी नेताओं ने दिल्ली से जुड़े मुद्दे उठाते हुए प्रदेश सरकार की नाकामियों को उजागर किया उससे यह रैली कांग्रेस व सरकार पर पहला चुनावी हमला भी साबित हुई। यहां तक कि आडवाणी ने भी दिल्ली को विश्व की सर्वोत्तम राजधानी बनाने तथा आम जनता की मूलभूत समस्याओं से संबधित मुद्दे उठाये।
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