उत्तर पश्चिम, दक्षिण दिल्ली व उत्तर पूर्व में हाथी बना पहेली
सात में तीन सीटों पर बसपा की भूमिका महत्वपूर्ण
बसपा का जातिगत फार्मूला कर सकता है बड़ा फेरबदल
दिल्ली की तपती सड़कों पर हाथी की दौड़ जहां खत्म होगी वहीं से किसी भी प्रत्याशी के संसद पहुंचने का रास्ता शुरु होगा। प्रचण्ड गर्मी में हाथी की दौड़ निश्चित रूप से चुनावी समीकरण को बदलेगी। सात लोकसभा सीटों में तीन सीटों उत्तर पश्चिम, दक्षिणी दिल्ली तथा उत्तर पूर्व में बसपा का मदमस्त हाथी कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए पहेली बन गया है। इन तीनों ही सीटों पर बसपा की अहम भूमिका परिणाम की दिशा तय करेगी। आसमान से आग उगलती गर्मी में राजधानी में चुनावी शोर की गूंज तो पहले जैसी नहीं है अलबत्ता निगम चुनाव में दस्तक के बाद बसपा का हाथी अब हिलौरें लेकर दौड़ने लगा है। हाथी की दौड़ पर न तो मौसम का असर है और न ही कांग्रेस और भाजपा का कोई अंकुश। एैसे में यह दोनों ही दल भयभीत हैं क्योंकि कहीं न कहीं बसपा का हाथी इन दोनों ही दलों को नुकसान पहुंचायेगा। उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व और दक्षिणी दिल्ली यह तीन लोकसभा सीटें एैसी हैं जहां से बहुजन समाज पार्टी को काफी उम्मीदें हैं। यहां बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी चुनाव भले ही न जीत पायें लेकिन इतना निश्चित है कि इन तीनों सीटों पर किसी भी प्रत्याशी की हार जीत बसपा ही तय करेगी। पिछले निगम चुनाव तथा विधानसभा चुनाव में भी इन तीनों ही सीटों पर बसपा को अन्य सीटों से अधिक सफलता मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को सर्वाधिक 24.53 प्रतिशत मत दक्षिणी दिल्ली सीट पर मिले थे और इसी लोकसभा के अन्तर्गत एक विधानसभा सीट पर भी बसपा ने कब्जा किया था। निगम चुनाव में भी इस सीट से तीन वार्डो पर बसपा प्रत्याशी विजयी हुए थे। इस चुनाव में बसपा ने यहां से गुजर प्रत्याशी कंवर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है जो जातीय दृष्टि से भी बसपा के अनुकूल है क्योंकि दक्षिणी दिल्ली सीट गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रा है, हालांकि यहां पर भाजपा ने भी गुर्जर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है लेकिन यदि बसपा का जातीगत फार्मूला कामयाब हुआ तो इसका नुकसान भाजपा प्रत्याशी को हो सकता है। उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर बसपा को विधानसभा चुनाव में 16.54 प्रतिशत मत हासिल हुए थे और निगम चुनाव की अपेक्षा बसपा के मतों में 1.68 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी। यहां 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा लगभग 20 प्रतिशत ओबीसी मतदाता है इनमें एक बड़ा हिस्सा बसपा का परंपरागत वोट बैंक है, पिछले निगम चुनाव में इसी सीट से बसपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इसी सीट पर था, यही कारण है कि बसपा ने यहां पर अपनी ताकत लगा दी है, बसपा की मजबूती यहां भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस को नुकसान पहुचा सकती है। उत्तर पूर्व सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को 17.67 प्रतिशत मत मिले थे और बसपा के मतों में निगम चुनाव में मिले 13.8 मतों की अपेक्षा 3.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और एक विधानसभा सीट पर भी बसपा ने कब्जा किया था। बसपा इस बार इस वृद्धि को बरकरार रखने की कोशिश में हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में हाजी दिलशाद को उतारा है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या यहां लगभग 22 प्रतिशत है, इसके अलावा ओबीसी व अनुसूचित जाति मतदाताओं की संख्या भी 30 प्रतिशत से अधिक है। बसपा यदि मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण कराने में कामयाब हुई तो यहां कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है।
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