मंगलवार, 2 सितंबर 2008

असुरक्षित नोनिहल कोन रखे ख्याल

  • स्कूलों की असुरक्षा: अभिभावकों का बढ़ता भय
    राजधानी के स्कूलों में सुरक्षित नहीं हैं बच्चे
    लचीले सरकारी नियमों की खुलकर उड़ती हैं धज्जियां
    स्कूलों में सुरक्षा के लिए कठोर नियमों व कानून का है अभाव
    कभी मौत तो कभी अन्य दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं छात्रा छात्राएं
    स्कूल प्रशासन का रवैया रहता है लापरवाह
    स्कूलों के भीतर ही बढ़ रही हैं मारपीट, छेड़छाड़ की घटनाएं
    कई स्कूलों में दुष्कर्म की घटनाओं से हुआ शिक्षा जगत शर्मसार
    स्वीमिंग पुलों पर नहीं है लाइफ गार्ड की व्यवस्था
    अनुशासन के नाम पर मनमानी करते हैं स्कूल प्रशासन
    शिक्षकों द्वारा अमानवीय ढंग से मारपीट पर भी उठते रहे है
    अनेक स्कूलों में नहीं हैं सुरक्षा गार्ड
    बच्चों की सुरक्षा के मापदंड पूरे नहीं करते हैं अनेक स्कूल
    स्कूलों में नहीं है चारदिवारी
    शौचालयों में लगी रहती हैं अशलील तस्वीरें
    स्कूलों में परिवहन की उचित व्यवस्था होने से दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं मासूम बच्चे
    कई स्कूलों के भवन हैं जर्जर, अक्सर होते रहे हैं हादसे
    स्कूलों में अवसाद का शिकार होकर कई बच्चे कर चुके है आत्महत्या
    सीबीएसई के निर्देश के बावजूद स्कूलों में नहीं हैं काउंसलर
    अभिभावक संघों की राय के सुझावों की होती है उपेक्षा

    दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड के 13 वर्षीय मासूम छात्रा मोहम्मद नादिर की रहस्यमय मौत और उससे पूर्व दिल्ली पब्लिक स्कूल आर.के.पुरम की छात्रा पुष्पांजलि की मौत ने राजधानी के स्कूलों में छात्रा छात्राओं की सुरक्षा पर एक एैसा सवाल खड़ा कर दिया है जिससे अभिभावक भयभीत दिखाई देने लगे है। यह भय केवल डीपीएस या फिर डीपीएस की तरह ही जाने माने व बड़े स्कूलों से ही नहीं बल्कि स्कूल गली मौहल्ले के हों या फिर सरकारी व निजी स्कूलों में भी यह भय दिखाई देता है। कभी स्कूल के शिक्षकों द्वारा छात्रा छात्राओं के साथ की गई निमर्मतापूर्वक पिटाई तो कभी कक्षा में लगातार उपेक्षा से अवसाद की ओर बढ़ते छात्रा। कभी शिक्षकों द्वारा ही मासूम छात्राओं से अशलील हरकतें तो कभी दुष्कर्म की अमानवीय हरकत। यह मामले एैसे हैं जो मौजुदा शिक्षा व्यवस्था को ही कठघरे में खड़े कर रहे हैं। स्कूलों में दुर्घटनाओं, मारपीट, छेड़छाड़ दुष्कर्म व अशलील हरकतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले एक वर्ष में ही राजधानी में दो दर्जन से अधिक एैसे मामले हो चुके हैं और आधा दर्जन से अधिक छात्रा छात्राएं अपनी जान गवां चुके हैं। इसके अलावा स्कूल में परोसे गये अवसाद के कारण आधा दर्जन छात्रा छात्राएं आत्महत्या भी कर चुके हैं। स्कूलों का प्रशासन अनुशासन के नाम पर छात्रा छात्राओं पर इतना दबाव बना देता है कि अधिकतर बच्चे अवसाद का शिकार हो जाते है।
    स्कूलों में नहीं है उचित परिवहन व्यवस्था स्कूलों में बच्चों को लाने के लिए कोई सटीक परिवहन व्यवस्था न होने के कारण बच्चे अक्सर दुर्घटनाओं का शिकार होते रहे हैं। हालांकि सरकार ने बच्चों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए स्कूली वैन नीति बनाई है लेकिन अधिकतर स्कूलों के पास पार्किंग की जगह न होने से स्कूली वैन बीच सड़क पर ही बच्चों को उतारती हैं और छुट्टी के बाद बीच सड़क से ही बच्चों को बैठाया जाता है जिससे सड़क दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
    सुरक्षा के लिए है कठोर नियमो ंका अभाव राजधानी में सरकारी व निजी स्कूलों के लिए सरकार की ओर से सुरक्षा के कठोर नियमों का अभाव है। जो नियम हैं वह भी अत्यंत लचीले हैं ओर स्कूल प्रशासन अक्सर लचीले नियमों का भी पालन करते दिखाई नहीं देते। नियमासाुन सभी स्कूलों में गेटमैन होना चाहिए तथा सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था होने के साथ साथ चारदिवारी भी होनी चाहिए लेकिन अधिकतर स्कूलों में न तो सुरक्षा गार्ड हैं और न ही गेट मैन। सरकारी स्कूलों का तो अत्यंत बुरा हाल है। वहां तो भवन ही जर्जर है। पिछले दिनों ही एक स्कूल भवन की दीवार गिर जाने से तीन बच्चे बुरी तरह घायल हो गये थे। सरकारी स्कूलों में मिड डे मील परोसे जाने के दौरान अनेक बच्चे स्वयं ही स्कूल से निकल कर घरों तक पहुंच जाते हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा इसका संज्ञान नहीं लिया जाता।

क्या कहते है स्कूल प्रबंधक

  • लोनी रोड स्थित सिद्धार्थ इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के मैनेजर शशीकांत भारती ने बताया कि स्कूल भी समाज का ही एक हिस्सा है। जब समाज में चारो तरफ अपराधिक वारदातें हो रही हों तो स्कूल भी इससे बच नहीं सकते। हालांकि स्कूल प्रशासन बच्चों को सुरक्षात्मक माहौल देने की भरपूर कोशिश करते हैं लेकिन कई बार कुछ घटनाएं पढ़ने-सुनने को मिल ही जाती हैं। उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में बच्चे अब ज्यादा हिंसक होते जा रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि स्कूल प्रशासन हर छोटी बात की खबर रखे तथा आवश्यक्ता पड़ने पर बच्चों को हिंसा के दुरगामी परिणामों को विस्तार से बताए। मयूर विहार फेज-3 स्थित विद्या बाल भवन के प्रधानाचार्य सतवीर शर्मा ने दुर्घटनाओं के संबंध में बताया कि स्कूलों में सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। कई स्कूलों में सुरक्षा के पूरे उपाय नहीं होते, जिसके कारण छात्र-छात्राएं दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा शिक्षकों द्वारा छात्रों के उत्पीड़न पर सतवीर ने बताया कि रेगुलर टीचर पूरी तरह से ट्रेन्ड होते हैं। इसके अलावा उच्च शिक्षा प्राप्त होने के कारण बच्चों के साथ दुव्र्यवहार और उत्पीड़न नहीं करते हैं। छात्रों को प्रताड़ित करने का कार्य ठेके पर रखे जाए शिक्षक करते हैं, जो न तो टेªन्ड होते हैं और ना ही उच्च शिक्षा प्राप्त। कई स्कूल कम वेतन देने की लालच में इन्हें रख लेते हैं, जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। दिलशाद गार्डन के ग्रीनफिल्ड पब्लिक स्कूल के उप-प्रधानाचार्य एसके शर्मा ने कहा कि छात्रों द्वारा आत्महत्या व हिंसा की घटनाओं के लिए छात्रा कम और वतावरण और अभिभावक ज्यादा दोषी हैं। किसी के पास बच्चों के साथ वक्त बिताने व उनकी समस्याएं सुनने का समय नहीं है। जिसके कारण ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं। इंद्रप्रस्थ विस्तार स्थित नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल के चेयरमैन वीपी पांचाल ने बताया कि अब तो लोग घरों में भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं, स्कूलों की बात कौन करे। वैसे स्कूल प्रशासन सदैव बच्चों की सुरक्षा के लिए सजग रहता है लेकिन छात्र कब क्या कर दे इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। सिद्धार्थ इंटरनेशनल स्कूल के अभिभावक-शिक्षक संघ के सदस्य रमाकान्त ने बताया कि अभिभावक-शिक्षक संघ इन घटनाओं को रोकने में महत्ती भूमिका निभा सकता है। प्रत्येक स्कूल के फीस से लेकर बच्चों की सुरक्षा तक पर निर्णय लेने में अभिभावक-शिक्षक संघ का विशेष योगदान होता है। अगर यह समस्याओं को सही तरीके से स्कूल प्रशासन के सामने उठाएं तो बहुत हद तक इन पर रोक लग सकती है।


    24 जनवरी 2008- पचास से ज्यादा स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्राी रेणुका चैधर से मुलाकात की। इसमें इस बात पर रजामंदी जताई गई कि शिक्षकों और अभिभावकों का एक कोर ग्रुप बनाया जाए, जो छात्रों की स्कूलों में सुरक्षा पर नजर रख सके। इसके साथ ही हेल्पलाइन बनाने पर भी विचार किया गया।
    16 मार्च 2008-सीबीएसई ने देशभर के सरकार व पब्लिक स्कूलों को एक फुल टाइम काउंसेलर रखने का आदेश दिया। जो छात्रों की समस्याओं का निराकरण कर सके।

  • घटनाएं
    25 फरवरी 2008-मंडावली में बारहवीं की छात्रा ने जान दी।
    8 मार्च 2008-सोनिया विहार में ग्यारहवीं के छात्र ने जान दी।
    13 मार्च 2008-गोकुलपुर में ग्यारहवीं के छात्र ने आत्महत्या की।
    26 मार्च-कोंडली स्थित दिनकर नेशनल पब्लिक स्कूल की कक्षा दस की छात्रा रिंकी कौशिक को शिक्षक की पिटाई के कारण जान गवानी पड़ी। 3 नवंबर को स्कूल में पढ़ाते समय स्कूल के शिक्षक ने उसे डंडे से सिर पर मार दिया था। उसके बाद रिंकी को अस्पताल में भर्ति किया गया। जहां वह कोमा में चली गई और 26 मार्च को उसकी मौत हो गई।
    21 अप्रैल 2008- मंडावली निवासी रोहित कुमार यादव शकरपुर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय को स्कूल से गायब। 21 अप्रैल को अपहरण का मामला शकरपुर थाने में दर्ज।
    28 जुलाई-मंडावली स्थित नगर निगम प्राथमिक विद्यालय की चारदीवारी गिरने से तीन छात्र गंभीर रूप से घायल।

कोई टिप्पणी नहीं: