बुधवार, 26 नवंबर 2008

बुलंद इरादों की राह पर सपनों को साकार करने की चाह

बुलंद इरादों की राह पर सपनों को साकार करने की चाह

जोश भी, उत्साह भी उल्लास भी, मस्ती भी

वहां उल्लास भी है, उत्साह, मस्ती, जोश और सपनों को साकार करने का जजबा भी है। उनके घर के आंगन की हरी घास पर आज सूर्य की पहली किरण के बाद से ही शुरु हुआ उनके दिन का सफर मानों उनके बुलंद इरादों की कहानी कह रहा था। आंगन में चिड़ियों की चहचाहट और भीतर लगातार घनघनाती फोन की घंटी से बेखबर वेटिंग इन सीएम प्रो.विजय कुमार मल्होत्रा शायद अपने लक्ष्य से बेखबर नहीं थे, तभी तो उनका पल पल मानों खुद ही मंजिल की ओर बढ़ रहा था। कभी चारों और से घेरे कार्यकर्ता, कभी मीडिया के सवाल और कभी बीच सड़कों पर आम जनता के साथ रोड शो, न केाई तनाव, न कोई शिकन, बस लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम। सवेरे साढ़े छह बजे से शुरु हुए वेटिंग इन चीफ प्रो.विजय कुमार मल्होत्रा के साथ इस सफर में दिन भर की दौड़ के बावजूद देर शाम तक भी मल्होत्रा के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। सुबह सवेरे की ठंडक के बीच हल्के व्ययाम व योगा के साथ जब उन्होंने दिन की शुरुआत की तो ठंड के बावजूद उनके आंगन में चुनाव की गर्मी दिखाई दे रही थी। चाय की चुस्कियों के साथ ही उन्होंने अखबारों की सुर्खियां देखी और फिर एक घंटे के भीतर ही अपने दैनिक कार्यो को पूरा कर भाजपा का यह विजय अपनी विजय के अभियान पर निकल पड़ा। पंचशील में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता उनका इंतजार कर रहे थे, लगभग 11 बजे मल्होत्रा जैसे ही वहां पहुंचे तो वातावरण जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा। यहां उन्होंने केवल भाषण ही नहीं दिया बल्कि कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रबंधन की सीख भी दी। कार्यकर्ताओं की यह कक्षा लेकर मल्होत्रा साढ़े बारह बजे जब अपने आवास पर पहुंचे तो वहां दिल्ली का मीडिया उनके इंतजार में था। मीडिया से बातचीत का मुद्दा तो बीआरटी कारीडोर था लेकिन मीडिया ने जो भी सवाल दागे उन्होंने मीडिया को संतुष्ट करने में कसर नहीं छोड़ी। मीडिया के साथ हुई इस चर्चा के बाद उनके जहन में शायद चुनाव प्रबंधन की चुनौतियां और चुनावी मुद्दे थे, तभी तो एक नई चर्चा के लिए वह सीधे पहुंचे पार्टी नेता अरुण जेटली के पास, जहां लगभग आधे घंटे की राजनीतिक चर्चा के बाद दोपहर के भोजन के लिए एक बार फिर वह अपने आवास पर पहुंचे जहां उनकी पत्नी के साथ साथ उनकी बेटी अनुपमा भी शायद पापा के साथ लंच करने का इंतजार कर रही थी। अनुपमा ने मुस्कुराहट के साथ अपने पापा का स्वागत किया तो मल्होत्रा का चेहरा खिल उठा। दिन के दूसरे पहर में शुरु हुआ मल्होत्रा का रोड शो, एक एैसा रोड शो जिसे देखकर मल्होत्रा भी गदगद थे और उनके चाहने वाले भी गदगद। इस रोड शो की शुरुआत हुई पंचशील विहार स्थित त्रिवेणी अपार्टमेंट से। लगभग साढ़े चार बजे मल्होत्रा जब यहां पहुंचे तो 500 से अधिक लोग हाथों में फूलों के हार लिए उनके स्वागत पर मौजूद थे। मल्होत्रा एक खुली जीप में सवार हुए और यह काफिला जब आगे बढ़ा तो चारों और से मल्होत्रा जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे। कहीं छतों से महिलाएं फूल बरसा रही थी तो कहीं बुजुर्ग महिलाएं उनकी जीप के आगे आकर आशीर्वाद के हाथ उठा रही थी। पंचशील के सभी ब्लाकों में घुमते हुए वह जिस ब्लाक में भी प्रवेश करते ब्लाक के शुरु में ही वहां के कार्यकर्ता गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत करते। शाम छह बजे इस काफिले ने आर ब्लाक से खिचड़ी एक्सटेंशन में प्रवेश किया और इसके बाद जे ब्लाक सहित अन्य ब्लाकों व गुप्ता कालोनी में इस रोड शो में उनके समर्थकों की संख्या बढ़ती गई। इस बीच उत्साही कार्यकर्ताओं ने उन्हें सब्जियों से भी तोला। देर शाम कृष्णा मंदिर में उनका यह रोड शो समाप्त हुआ। इसके बाद भी उनके चेहरे पर थकान नहीं थी और वह चल दिये एक नई सभा के लिए चितरंजन पार्क। वहां चुनावी सभा के बाद 9 बजे एक बार फिर उन्होंने कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रबंधन के गुर दिये। रात दस बजे वह घर लौटे तो आज की ही तरह अगले दिन के व्यस्त शैडयूल उनकी टेबल पर था।

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