बुधवार, 26 नवंबर 2008

कांग्रेस के हाथ पर हाथी का पांव

सोनिया ने की जनादेश की अपील तो माया ने किया इंकलाब का एलान

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली की जनता को विकास का वास्ता तो दिया है लेकिन विकास और उपलब्धियों से सजे कांग्रेस के हाथ पर आज बसपा का हाथी जिस तरह पांव रख कर दौड़ता दिखाई दिया है उससे कांग्रेस की मुश्किले बढ़ती दिखाई दे रही हैं। आज हुई सोनिया गांधी और मायावती की रैलियां भीड़ की दृष्टि से भले ही समान रही हों लेकिन सोनिया की रैली में केवल उपलब्धियों का वास्ता, जनादेश की अपील और मतदाताओं से गुजारिश थी तो मायावती की रैली सचमुच इंकलाब का एलान थी। चुनाव प्रचार के इस अंतिम दौर में आज दो महारथी एक साथ इंकलाब करने के लिए मैदान में थे। एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बाहरी दिल्ली में हाथ उठाकर दिल्ली की जनता को विकास का वास्ता दे रही थी तो दूसरी और पूर्वी दिल्ली में हाथी पर सवार बसपा सुप्रीमों मायावती मानों कांग्रेस और भाजपा का किला भेदने आई थी। इस किले को भेदने के लिए मायावती ने अपने तरकस से अनेक तीर चलाये। आम जनता और दिल्ली से जुड़ा प्रत्येक मुद्दा मानों उनका अस्त्रा बनकर उनकी जबान पर था। प्रचार के इस दौर में कांग्रेस नेे बसपा के इन तीरों का भले ही गंभीरता से न लिया हो लेकिन बसपा के इन तीरों में आज ईवीएम मशीनों को भेदने की ताकत भी दिखाई दी। मायावती की रैली जहां दिल्ली में जगह बनाने की जुझारू कोशिश थी तो सोनिया की रैली दिल्ली में अपनी जगह बचाने की एक कवायद भर थी। सोनिया की रैली में जनता से जुड़े मुद्दे थे तो मायावती की रैली में क्रांति के स्वर थे। दोनों ही रैलियों में अनेक भिन्नताएं थी लेकिन एक समानता थी, दोनों ही रैलियों में इन पार्टियों के बाकी नेता अपने सुप्रीमों के सामने बौने दिखाई दे रहे थे। यदि रैलियों में उमड़ी भीड़ की दृष्टि से तुलना की जाये तो दोनों रैलियों में लगभग एक समान भीड़ थीे लेकिन इसके बावजूद बसपा के लिए इस रैली को उपलब्धि कहा जा सकता है क्योंकि दिल्ली में बसपा का न तो कांग्रेस की तरह कभी जनाधार रहा है और न ही संगठन की दृष्टि से भी बसपा कांग्रेस की तरह मजबूत यहां है, एैसे में कांग्रेस को चुनावी रैली में बराबर की टक्कर देकर मायावती ने निश्चित रूप से आगामी चुनाव में कांग्रेस को बड़ा नुकसान देने का अहसास करा दिया है। हालांकि दिल्ली में हाथी की आहट तो निगम चुनाव में ही दिखाई देने लगी थी लेकिन सोशल इंजीनियरिंग के जिस फार्मूले को मायावती ने दिल्ली में भी अपना प्रमुख शस्त्रा बनाने की घोषणा की है उससे इतना निश्चित है कि हाथी की आहट ही कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब है।

कोई टिप्पणी नहीं: